रिपोर्ट सौरभ दीक्षित जिला संवाददाता फर्रुखाबाद मो 8299 776522
फ़र्रुख़ाबाद में अनूपम दुबे की ज़मानत अर्ज़ी ख़ारिज: कोर्ट बोला- आरोप बेहद गंभीर, जांच जारी
गंभीर आरोपों और हत्या के मामलों में दोषी होने के चलते अदालत ने ज़मानत देने से किया इनकार
फ़र्रुख़ाबाद में एसटी-एसटी विशेष न्यायालय ने अनूपम दुबे की ज़मानत अर्ज़ी ख़ारिज कर दी है। न्यायाधीश अभिनीतम उपाध्याय ने यह आदेश पारित करते हुए कहा कि जाली दस्तावेज़ तैयार कर ज़मीन हड़पने, धमकी देने और जातिसूचक गालियाँ देने जैसे आरोप अत्यंत गंभीर हैं। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि सह-आरोपियों के ख़िलाफ़ जांच अभी जारी है, इसलिए इस स्तर पर ज़मानत देना उचित नहीं होगा।अनूपम दुबे की पत्नी मीनाक्षी दुबे ने अधिवक्ता के माध्यम से ज़मानत याचिका दाखिल की थी।
बचाव पक्ष की दलीलें
बचाव पक्ष ने दलील दी कि सह-आरोपी रामश्याम ने 12 मई 2014 को सिर्फ़ इकरारनामा किया था और वास्तविक कब्ज़ा नहीं दिया गया। उन्होंने दावा किया कि राजस्व रिकॉर्ड में न तो हेराफेरी की गई और न जालसाजी। बचाव पक्ष के मुताबिक़, आरोप अतिरंजित हैं और अभियुक्त को फँसाया गया है।
अभियोजन पक्ष: ठगी और जातिगत अपमान के गंभीर आरोप
अभियोजन पक्ष ने ज़मानत का कड़ा विरोध करते हुए बताया कि मामला बेहद गंभीर है। आरोपों में धोखा देना, ठगी, सरकारी रिकॉर्ड में जालसाजी, ज़मीन हड़पने की कोशिश, जातिसूचक शब्दों का प्रयोग और सार्वजनिक स्थान पर जातिगत मानहानि जैसी धाराएँ शामिल हैं।
यह मामला 17 मार्च 2023 को सामने आया था, जब वादी एकलव्य कुमार जाटव ने थाना मऊदरवाज़ा में रिपोर्ट दर्ज कराई थी। आरोप है कि 2003 से 2005 के बीच राजस्व अधिकारियों की मिलीभगत से जाली आदेश तैयार कर विवादित भूमि अपने नाम दर्ज कराई गई। 2014 के कथित इकरारनामे के आधार पर कब्ज़े का प्रयास भी किया गया। विरोध करने पर धमकी और अभद्रता की गई।
वादी की आपत्ति और कोर्ट का निर्णायक अवलोकन
29 नवंबर 2025 को वादी ने विस्तृत आपत्ति दाखिल कर आरोपों की पुष्टि की। पीड़ित ने यह भी दोहराया कि अभियुक्तों ने मूल्यवान दस्तावेज़ों में हेराफेरी करने और ज़मीन अपने नाम कराने के लिए संगठित प्रयास किया था। पीड़ित को जान से मारने की धमकी तक मिलने की बात कही गई।
अदालत ने अपने आदेश में यह महत्वपूर्ण उल्लेख किया कि अनूपम दुबे पहले से ही हत्या के दो मामलों में दोषी ठहराया जा चुका है और उम्रकैद की सज़ा काट रहा है। कोर्ट ने माना कि ऐसे में गंभीर आरोपों वाले इस नए मामले में उसे ज़मानत देना न्यायसंगत नहीं होगा।
