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चिरमिरी: कयलांचल नगरी चिरमिरी का ओसीएम खदान बना चोरों का अड्डा — राष्ट्र की संपत्ति पर दिनदहाड़े डाका, प्रबंधन मौन!

 " विनोद कुमार पांडे ब्यूरो चीफ 


कयलांचल नगरी चिरमिरी का ओसीएम खदान बना चोरों का अड्डा — राष्ट्र की संपत्ति पर दिनदहाड़े डाका, प्रबंधन मौन!

चिरमिरी।कभी "कोयलांचल नगरी" के नाम से प्रसिद्ध चिरमिरी, आज अपने ही काले हीरे की लूट का गवाह बन गया है। ओसीएम खदान क्षेत्र — जो सबसे ज्यादा. कोयला.उत्पादन का गौरव बिंदु माना जाता है — अब. वही माइंस खदान.चोरों का अड्डा बन चुका है। लोहा, तांबा और डीज़ल की चोरी यहाँ इतनी आम हो गई है कि अब दिन के उजाले में भी यह खेल जारी रहता है।


 सुरक्षा तंत्र फेल, लचर व्यवस्था  प्रबंधन बेखबर


खान प्रबंधक सवेरिया अपनी जिम्मेदारी उठाने में असफल साबित हो रहे हैं। सुरक्षा गार्डों की भारी कमी और मौजूद गार्डों की लापरवाही ने खदान की सुरक्षा को मज़ाक बना दिया है। साम के 6 बजे से सुबह तक खदान परिसर के अंदर चोरों की हलचल रहती है, जबकि सुरक्षा कर्मी खुद को बचाने में व्यस्त दिखाई देते हैं। चोरों का झुंड देखकर भाग जाते हैं दूर नहीं उठा पा रहे हैं अपनी जिम्मेदारी लगातार चोरों का बढ़ रहा है मनोबल हौसले


 राष्ट्र की संपत्ति पर सेंध — डीज़ल से लेकर कोयला तक!


सूत्रों के मुताबिक, खदान के लिए डिपो से आने वाला डीज़ल रास्ते में ही गायब कर दिया जाता है। कई हजार लीटर डीज़ल "मिलीभगत" के खेल में गोल हो जाता है। ड्राइवरों से लेकर अंदरूनी स्टाफ तक की मिलीभगत से यह रैकेट लंबे समय से फल-फूल रहा है।

कागज़ों में सब कुछ “ठीक” दिखाया जाता है, जबकि ज़मीनी हकीकत कुछ और ही है।


बड़े अफसरों के संरक्षण में चल रहा ‘खेल’


ओसीएम खदान में कार्यरत तीन कर्मचारियों पर गंभीर आरोप लगे हैं सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार और चर्चित विषय बना हुआ है— जो खान प्रबंधक सवेरिया के “खास” बताए जाते हैं। ये तीनों कर्मचारी अपने वास्तविक काम की बजाय “चापलूसी” में माहिर कामछोड सिर्फ सवेरिया  की चमचागिरी और चापलूसी में दिन-रात लगे रहते हैं जबकि तीनों का डिग्नेशन कार्यपद प्रभार अलग-अलग है 

एक की ड्यूटी सर्वे.  में, दूसरे की डोज़र ऑपरेटर में और तीसरे की पंप ऑपरेटर के पद पर है, मगर ये कभी मौके पर नहीं देखे जाते। 8 घंटे की ड्यूटी में 4 घंटे करते हैं ड्यूटी नहीं आते हैं ड्यूटी टाइम पर 

तीनों का रहन-सहन किसी बड़े बाबू से कम नहीं — सूट-बूट में ऑफिस की शोभा बढ़ाते हैं, जबकि खदान में काम करने वाले मजदूरों की हालत उनके पहनावे और शक्ल  कपड़ों और जर्जर चेहरों से झलकती है। यह तीनों जिस कार्य प्रभार पद पर हैं नहीं करते हैं उसे कार्य प्रभार की ड्यूटी कभी नहीं मिलेंगे अपने ड्यूटी पर सिर्फ इधर-उधर घूमते 8 घंटा बिताते हैं नहीं हुए उनके कहीं तबादले चमचागिरी और चापलूसी से एक ही स्थान पर लंबे समय से टिके हुए हैं जो भ्रष्टाचारी सम्मिलित नजर आते हैं 


 अक्सर  संडे और शाम के समय, दारू मुर्गा की चलती है पार्टी.. सवेरिया के.संरक्षण


जानकारी के मुताबिक, खदान परिसर में रोज़ाना रात में दारू और मुर्गे की पार्टियाँ होती हैं। बताया जाता है कि ये पार्टियाँ अधिकारियों की जानकारी और संरक्षण में चलती हैं।

डीज़ल चोरी, अवैध कोयला परिवहन और लोहा चोरी — ये सब एक संगठित नेटवर्क के तहत होता है जिसमें “ऊपर तक” सेटिंग मानी जा रही है।


 खदान की सच्चाई बन गई चर्चा का विषय


ओसीएम खदान अब चर्चा का केंद्र बन गया है। स्थानीय जनता और ईमानदार कर्मचारियों में रोष है कि राष्ट्र की संपत्ति को इस तरह बर्बाद किया जा रहा है और कोई भी अधिकारी जवाबदेही लेने को तैयार नहीं है।

यह सब तब हो रहा है जब सरकार बार-बार भ्रष्टाचार और चोरी पर सख्त कार्रवाई की बात कहती है




अब सवाल यह है:

क्या प्रशासन इन खदानों की वास्तविक स्थिति का संज्ञान लेकर कार्रवाई करेगा?

या फिर राष्ट्र की संपत्ति यूँ ही चोरों और भ्रष्टाचार के हवाले होती रहेगी?





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