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कांकेर: किसान संघ के दबाव पर जिला स्तरीय जांच दल ने की पुष्टि; मुआवजे की मांग को लेकर आंदोलन की तैयारी

 गुणवत्ताहीन धान बीज से किसानों को भारी नुकसान


पत्रकार स्वतंत्र नामदेव 

कांकेर जिला ब्यूरो


 किसान संघ के दबाव पर जिला स्तरीय जांच दल ने की पुष्टि; मुआवजे की मांग को लेकर आंदोलन की तैयारी


परलकोट क्षेत्र के किसानों को गुणवत्ताहीन धान बीज (किस्म भी एन आर-2233) के कारण हुए भारी नुकसान की शिकायत पर प्रशासन ने त्वरित कार्रवाई करते हुए जिला स्तरीय जांच दल का गठन किया। ऑल इंडिया किसान खेत मजदूर संगठन द्वारा पीड़ित किसानों के लिए मुआवजे की मांग को लेकर किए गए आंदोलन के बाद यह जांच की गई, जिसमें धान की बालियां सूखने और दाना नहीं बनने की शिकायत प्रथमदृष्टया सही पाई गई है।

जिला उप संचालक कृषि, उत्तर बस्तर कांकेर के निर्देश पर गठित जांच दल, जिसका समन्वय अनुविभागीय कृषि अधिकारी  लक्ष्मीकांत नाग ने किया,  किसानों के खेतों का भ्रमण किया। टीम में कृषि महाविद्यालय, अनुसंधान केंद्र पखांजूर और कृषि विज्ञान केंद्र, कांकेर के प्राध्यापकों और विशेषज्ञों सहित वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी शामिल थे।

जांच के दौरान, किसानों की उपस्थिति में फसल कटाई परीक्षण किया गया। किस्म भीएनआर-2233 के प्लॉट में 1x1 मीटर के क्षेत्र में धान के दाने का वजन अत्यंत कम पाया गया कृषक  कनाई पाईन के खेत में: 54 ग्राम

 कृषक  प्रशांतो साहा के खेत में 17 ग्राम कृषक अरविंद मंडल के खेत में: 62 ग्राम।

जांच दल ने पाया कि इसी खेत या आस-पास के खेतों में अन्य कंपनी के धान बीजों की बालियों में चावल भरा हुआ है, जबकि शिकायत वाले भीएन आर -2233 किस्म के धान में चावल नहीं भरा या दाना (बदरा) बन गया है। मौके पर उपस्थित किसानों और संगठन के प्रतिनिधियों के सामने पंचनामा तैयार किया गया। इस पूरी प्रक्रिया में बीज उत्पादक कंपनी  के प्रतिनिधि भी मौजूद रहे।

जांच दल ने प्रथमदृष्टया यह पाया है कि धान की किस्म भीएनआर-2233 में आई यह समस्या गुणवत्ताहीन बीज का संकेत देती है।

ऑल इंडिया किसान खेत मजदूर संगठन के ब्लॉक अध्यक्ष अजित मिस्त्री और केंद्र कमेटी सदस्य कॉ. सदाशिव ने इस नुकसान को किसानों के लिए "पूरी तरह बरबादी" बताया है। उन्होंने कहा है कि मुआवजे के भुगतान की मांग को लेकर संगठन जल्द ही आंदोलन करेगा। उन्होंने चेतावनी दी कि जरूरत पड़ने पर पूरे देश से आवाज उठाई जाएगी और आंदोलन को और तेज किया जाएगा। संगठन ग्राम स्तर पर बैठकों का दौर शुरू कर चुका है।

किसानों को सता रही कर्जे की चिंता

एक ओर जहां कुछ क्षेत्रों में भारी धान उत्पादन दिख रहा है, वहीं गुणवत्ताहीन बीजों के कारण बर्बाद हुए किसान परिवार गहरे संकट में हैं। पीड़ित किसानों की सबसे बड़ी चिंता बैंक के कर्ज, महाजन के ऋण और समितियों के ब्याज को लेकर है। वे अपनी परिवारिक जरूरतों को पूरा करने और उधारी चुकाने को लेकर चिंतित हैं।

हालांकि, किसानों ने प्रशासन की तत्परता से की गई जांच पर विश्वास जताया है और उन्हें उम्मीद है कि जल्द ही उचित मुआवजा मिलेगा। अब सबकी निगाहें प्रशासन की गंभीरता और मुआवजे के भुगतान पर टिकी हैं।



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