*आत्मज्ञान से ही मनुष्य का कल्यान सम्भव:-म. ज्ञानं शब्दानन्द*
चन्दगीराम मिश्रा
हरदोई
*मानव उत्थान सेवा समिति ने जनिगांव मे गणपति मैरिज लान पर किया सदभावना समागाम का आयोजन*
हरदोई। सदगुरु सतपाल महाराज के पावन जन्मोत्सव के उपलक्ष्य मे मानव उत्थान सेवा समिति की ओर से ब्रहस्पतिवार को जानिगांव के गणपति मैरिज लान के प्रांगण मे सदभावना समागम का आयोजन किया गया।समागम की शुरुआत मे पहुंची
संडीला की विधायिका अल्का अर्कवंशी से शुरू हुई।विधायिका ने कहा कि गुरु सतपाल महाराज के संत महात्मा हम लोगो को एक प्रेरणा दे रहे है। कि भारत विश्व गुरु बने,माताओ बहनो भारत विश्व गुरु जब बनेगा। जब हर बच्चे के अंदर आध्यत्म की अलख जगेगी।आज अध्यात्म की अलख जगाने के लिए संत महात्मा हमारे जानिगांव मे आये हुए है।
सतलोक आश्रम मुरादनगर से आये म.ज्ञानशब्दानन्द व हरदोई आश्रम से आये म. विद्युतानन्द ने दीप प्रज्ववलित कर की।ज्ञानंशब्दा ने कहा कि जिंदगी का बस यही आधार होना चाहिए,आदमी का आदमी से प्यार होना चाहिए।नफ़रत की आग को अब प्यार से बुझाना है।मिला ले दिल से दिल देर क्यों लगाना है। श्री सतपाल ज़ी से ज्ञानं ऎसा पाना है। मिटा अंधकार को घट मे ज्योति को जगाना है।और दिए गए उदबोधन मे कहा कि सद्गुरु महाराज अपने आध्यात्मिक ज्ञान प्रचार के माध्यम से सोये हुए समाज को आध्यात्म ज्ञानं की प्राप्ति करा रहे है। कहा कि राष्ट्र की एकता अखंडता समाजिक सौहार्ड और सदभावना की शक्ति मे निहित है। सदभावना के द्वारा मानव समाज मे प्रेम सौहार्द और राष्ट्र का सर्वागीण विकास सम्भव है। अध्यात्म ही सदभावना की जननी है। महापुरुषो और संतो ने अध्यात्म ज्ञानं के द्वारा ही समाज मे सदभाव को फैलाया।
महात्मा विद्युतानन्द ने कहा कि मानव जीवन मे सदभावना का होना बहुत जरुरी है। सदभावना से ही हम एक सशक्त और मजबूत समाज के भविष्य को बना सकते है।श्रद्धावान जिज्ञासु ही अध्यात्म ज्ञान की प्राप्ति का सच्चा अधिकारी है और जिज्ञासु को ज्ञान की प्राप्ति के लिए तत्वज्ञानी गुरू की शरण में निष्कपट भाव से जाना चाहिए, तब ही उस को ज्ञान प्राप्त होगा।
समागम के अंत मे आरती हुई। प्रवचन सुनने के दौरान भक्तों ने कई बार महाराज के नाम के जयकारे भी लगाए। बाद में भंडारे में प्रसाद ग्रहण किया। आयोजन में राम सहारे राठौर ओमप्रकाश राठौर रामनाथ दिनकर पंकज मौर्या शिवम गुप्ता बिहारी लाल, अनुज राठौर रूपरानी राठौर आदि का विशेष सहयोग रहा।


