दुर्गुकोंदल में आदिवासी समाज में दो प्रमुख पर्वों की धूम, नवाखाई और ठाकुर जोहरनी पर्व की तैयारी।
संवाददाता/ स्वतंत्र नामदेव
कांकेर ब्यूरो टी टी एन 24
छत्तीसगढ़ के आदिवासी समाज में हर्ष और उल्लास का माहौल है। दुर्गूकोंदल ब्लॉक में आदिवासी समुदाय 1 सितंबर को नवाखाई पर्व और 2 सितंबर को ठाकुर जोहरनी पर्व मनाने जा रहा है। गोंडवाना समाज के पदाधिकारियों ने इन पर्वों को आपसी भाईचारे और शांति के साथ मनाने की अपील की है।नवाखाई पर्व नई फसल का स्वागत
नवाखाई, छत्तीसगढ़ के बस्तर क्षेत्र का एक प्रमुख त्योहार है। यह पर्व धान की नई फसल आने की खुशी में मनाया जाता है। इस दिन, आदिवासी समाज नई फसल का पहला हिस्सा अपने देवी-देवताओं को अर्पित कर उनका आभार व्यक्त करता है।
परंपराएं और रीति-रिवाज
देवताओं की पूजा: इस पर्व की शुरुआत मंडा देव की पूजा से होती है, जिन्हें गोत्र देवता के रूप में पूजा जाता है।
नई फसल का अर्पण: परिवार के सदस्य नए चावल से बनी खीर और धान की बालियों को अपने बुढ़ादेव और अन्य देवी-देवताओं को चढ़ाते हैं।
सामुदायिक उत्सव: पूरे गांव के लोग एक साथ मिलकर इस पर्व का जश्न मनाते हैं और एक-दूसरे को नवाखाई की शुभकामनाएं देते हैं।
गोंडवाना समाज के उपाध्यक्ष रामचंद्र कल्लो और पूर्व ब्लॉक सचिव बैजनाथ नरेटी ने बताया कि यह पर्व न केवल नई फसल के लिए ईश्वर का आभार व्यक्त करने का एक तरीका है, बल्कि यह आदिवासी समुदाय के लोगों के बीच एकता और सौहार्द भी बढ़ाता है।
ठाकुर जोहरनी पर्व: लोक कला का सम्मान
नवाखाई के अगले दिन, यानी 2 सितंबर को, ठाकुर जोहरनी पर्व मनाया जाएगा। इस दिन, गांव के प्रमुख लोग (सियान) ठाकुर के घर पर इकट्ठा होकर पारंपरिक गीतों और संगीत का आनंद लेते हैं।
कौन हैं ठाकुर जोहरानी?
यह पर्व महान छत्तीसगढ़ी लोक गायक और संगीतकार ठाकुर जोहरानी को समर्पित है। उनके गीत छत्तीसगढ़ की समृद्ध संस्कृति, परंपरा और जीवन शैली को दर्शाते हैं। उनके पारंपरिक गीतों ने छत्तीसगढ़ी संगीत में महत्वपूर्ण योगदान दिया है, जिससे उनकी रचनाएं इस क्षेत्र की सांस्कृतिक धरोहर का एक अहम हिस्सा बन गई हैं।
गोंडवाना समाज के ब्लॉक अध्यक्ष झाड़ू राम उईका और उपाध्यक्ष रामचंद्र कल्लो ने सभी से अपील की है कि वे इन दोनों पर्वों को भाईचारे और सौहार्द के साथ मिलकर मनाएं।
