गांव की गलियों में कीचड़ का क़ब्ज़ा – प्रशासनिक विकास पर बड़ा सवाल
ब्यूरो रिपोर्ट - पंकज तिवारी, TTN24 न्यूज़
प्रधान, सचिव और BDO की उदासीनता से त्रस्त सकरौहा गांव> "यह गली नहीं, गंदगी और बीमारी की स्थायी जलधारा बन चुकी है।"
चित्रकूट ज़िले के मानिकपुर ब्लॉक अंतर्गत सकरौहा गांव की यह तस्वीर विकास के खोखले दावों पर करारा तमाचा है। ग्राम पंचायत और खंड विकास कार्यालय द्वारा लाखों रुपये खर्च करने के दावों के बावजूद यहां की गलियां आज भी जलभराव, कीचड़ और दुर्गंध से भरी हुई हैं। गांव की मुख्य गली में महीनों से जमा गंदा पानी ग्रामीणों की सेहत और दैनिक जीवन के लिए अभिशाप बन गया है। बच्चों का स्कूल जाना, बुज़ुर्गों का निकलना और महिलाओं का कामकाज सब प्रभावित हो चुका है।
ग्रामीणों का आरोप - "कई बार शिकायत दी, लेकिन न प्रधान आए, न सचिव दिखे।"
"बारिश के बाद गली तालाब बन जाती है, मच्छर और बदबू से जीना मुश्किल है।"
प्रशासनिक नज़रअंदाज़ी - 1. ग्राम प्रधान की निष्क्रियता। 2. सचिव द्वारा समस्याओं की अनदेखी। 3. BDO कार्यालय की चुप्पी। यह स्थिति साफ़ दर्शाती है कि सरकारी योजनाएं सिर्फ़ कागज़ों पर हैं, ज़मीन पर उनका कोई असर नहीं दिखता।जनहित में मांग - जिलाधिकारी चित्रकूट से मांग की जाती है कि, 1. सकरौहा गांव की तत्काल जांच कराई जाए। 2. संबंधित अधिकारियों की जवाबदेही तय की जाए।3. जल निकासी व नाली निर्माण का स्थायी समाधान कराया जाए।
तस्वीर में - सकरौहा गांव की गली का दृश्य जहाँ सड़क पर पानी ही पानी नजर आ रहा है। यह हाल उस गांव का है, जिसे कागजों में “स्वच्छ” बताया जाता है।