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छोटेकापसी: महिलाओं और बच्चों द्वारा कापसी बाजार में निकाली गई रथ यात्रा

 महिलाओं और बच्चों द्वारा कापसी बाजार में निकाली गई रथ यात्रा


संवाददाता/ स्वतंत्र नामदेव कांकेर ब्यूरो

छोटेकापसी, कापसी बाजार में आज एक अनूठी रथ यात्रा निकाली गई, जिसमें ग्राम पंचायत छोटेकापसी के आश्रित ग्राम पी.व्ही. 130 की महिलाओं और बच्चों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। यह रथ यात्रा पी.व्ही. 130 से शुरू होकर कापसी बाजार तक पहुंची और पूरे क्षेत्र में घूमकर एक आध्यात्मिक और सामुदायिक माहौल का निर्माण किया।



बता दें कि रथ यात्रा भारत का एक प्रमुख और अत्यंत धार्मिक त्योहार है, जो मुख्य रूप से ओडिशा के पुरी शहर में मनाया जाता है। यह भगवान जगन्नाथ (जो भगवान श्रीकृष्ण का ही एक रूप माने जाते हैं), उनके बड़े भाई भगवान बलभद्र और बहन देवी सुभद्रा को समर्पित है।


रथ यात्रा एक वार्षिक उत्सव है जिसमें भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा की मूर्तियों को बड़े और भव्य लकड़ी के रथों पर विराजमान करके, पुरी के जगन्नाथ मंदिर से उनकी मौसी के घर, गुंडिचा मंदिर तक ले जाया जाता है। यह यात्रा आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को शुरू होती है और नौ दिनों तक चलती है। गुंडिचा मंदिर को भगवान का जन्मस्थान भी माना जाता है, जहां देवशिल्पी विश्वकर्मा ने इन प्रतिमाओं का निर्माण किया था।


रथ यात्रा का महत्व


रथ यात्रा का अत्यधिक धार्मिक महत्व है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन भगवान अपने गर्भगृह से बाहर निकलकर सीधे भक्तों के बीच आते हैं। इस यात्रा में शामिल होने और रथ की रस्सियों को खींचने से भक्तों को असीम पुण्य मिलता है और उनके समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं। यह भी माना जाता है कि रथ खींचने से मोक्ष की प्राप्ति होती है और व्यक्ति को जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्ति मिलती है। 


यह त्योहार समभाव का प्रतीक है, क्योंकि इसमें किसी भी जाति, धर्म या देश का व्यक्ति बिना किसी भेदभाव के भाग ले सकता है।


इस अवसर पर ग्राम पी व्ही 130 के बच्चों और महिलाओं ने पारंपरिक वेशभूषा धारण की और भक्ति गीतों का जाप करते हुए रथ को खींचकर कापसी बाजार की गलियों से गुजारा। इस यात्रा का मुख्य उद्देश्य धार्मिक सद्भाव और सामुदायिक एकता को बढ़ावा देना था। स्थानीय निवासियों ने भी इस रथ यात्रा का गर्मजोशी से स्वागत किया और जगह-जगह रुककर इसमें हिस्सा लिया।



 महिलाओं ने बताया कि यह आयोजन उनकी आस्था और एकजुटता का प्रतीक है। बच्चों में भी इस यात्रा को लेकर खासा उत्साह देखने को मिला, जिन्होंने बड़े चाव से इसमें भाग लिया। इस तरह के आयोजनों से न केवल धार्मिक परंपराओं का निर्वहन होता है, बल्कि ग्रामीणों के बीच सामाजिक मेलजोल भी बढ़ता है।

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