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बाराबंकी: जनरथ बस खड़ी ट्रक में जा भिड़ी, भीषण हादसे में दर्जनों घायल, तीन की हालत गंभीर

 क्राइम ब्यूरो _ मोहम्मद अहमद 

जिला बाराबंकी 


*जनरथ बस खड़ी ट्रक में जा भिड़ी, भीषण हादसे में दर्जनों घायल, तीन की हालत गंभीर*


रामसनेहीघाट, बाराबंकी। मंगलवार तड़के लखनऊ-अयोध्या राष्ट्रीय राजमार्ग पर एक दर्दनाक सड़क हादसा हो गया। रामसनेहीघाट थाना क्षेत्र के भेटरिया गांव के पास गोरखपुर से लखनऊ जा रही यूपी रोडवेज की जनरथ बस खड़े ट्रक में पीछे से जा टकराई। टक्कर इतनी भीषण थी कि बस का अगला हिस्सा पूरी तरह पिचक गया और यात्रियों में अफरा-तफरी मच गई। बस में कुल 40 से अधिक यात्री सवार थे। हादसे के बाद मुख्य दरवाजा जाम हो गया, जिससे कई यात्रियों को आपातकालीन खिड़कियों से बाहर निकलना पड़ा। सूचना मिलते ही स्थानीय पुलिस और एंबुलेंस मौके पर पहुंची और राहत कार्य शुरू किया। गंभीर रूप से घायल यात्रियों को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र से जिला अस्पताल और वहां से लखनऊ ट्रामा सेंटर रेफर किया गया।घायलों में प्रमुख रूप से परमारंद तिवारी, अरविंद कुमार, भीम, सरवन कुमार, शाहबाज खान और रंजीत शुक्ला शामिल हैं। गंभीर रूप से घायल यात्रियों में ममता पत्नी मोहन, सूर्यांश पुत्र मोहन, पूर्णिमा पुत्री सुभाष, गणेश पुत्र बहादुर, सुभ्राम आलम पुत्र खुर्शीद, भवानीशंकर सिंह, रजत, अजीत शुक्ला (चालक) और विनोद कुमार का नाम शामिल है। जिला अस्पताल में प्राथमिक इलाज के दौरान डॉक्टरों ने नीरज, सुभाष और विनोद की हालत अत्यंत चिंताजनक बताई और उन्हें तत्काल लखनऊ ट्रामा सेंटर रेफर किया गया। डॉक्टरों के अनुसार, नीरज की स्थिति अत्यंत गंभीर बनी हुई है।प्राथमिक जांच में हादसे का कारण जनरथ बस की तेज रफ्तार और ट्रक का सड़क किनारे खड़ा होना पाया गया है। पुलिस ने क्रेन की मदद से दोनों वाहनों को हटाकर यातायात बहाल कर दिया है और मामले की गहनता से जांच की जा रही है।


( इनसेट )


*“डग्गामार वाहनों पर कार्रवाई या सिर्फ दिखावा?”*


बाराबंकी। जिला प्रशासन और परिवहन विभाग लगातार यह दावा कर रहे हैं कि डग्गामार और अवैध वाहनों के खिलाफ सख्त अभियान चलाया जा रहा है। लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां करती है। जहाँ एक ओर सड़कों पर चल रहे ई-रिक्शा चालकों का रोज़ चालान काटा जा रहा है, वहीं दूसरी ओर बड़े वाहनों—जैसे बिना अनुमति के चलने वाली डग्गामार बसें और तेज रफ्तार रोडवेज—जांच से अक्सर बच निकलते हैं। सवाल यह उठता है कि क्या कार्रवाई सिर्फ कमजोर और गरीब वाहन चालकों तक सीमित रह गई है? या प्रशासन वास्तव में सड़कों को सुरक्षित बनाने के लिए सभी स्तरों पर निष्पक्ष कार्रवाई करेगा? अब वक्त आ गया है जब "वाहन चालकों की नहीं, नीति की जांच जरूरी है।"

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