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बाराबंकी: उर्दू शायरी में गूंजी रामकथा: बाराबंकी के विनय बाबू ने रची 7 हजार शेरों में 'विनय रामायण

 क्राइम ब्यूरो_मोहम्मद अहमद 

जिला बाराबंकी 


*"उर्दू शायरी में गूंजी रामकथा: बाराबंकी के विनय बाबू ने रची 7 हजार शेरों में 'विनय रामायण'"*

बाराबंकी। जनपद के छोटे से गांव असगरनगर मजीठा के विनय बाबू ने वह कर दिखाया है जो जुनून, लगन और भाषा के प्रति प्रेम की मिसाल बन गया है। सिर्फ जूनियर हाईस्कूल तक पढ़े विनय बाबू को बचपन से ही उर्दू भाषा और शेरो-शायरी से लगाव था। स्कूल के रास्ते में कुछ बुजुर्गों से सुनी गई उर्दू की मिठास उनके दिल में इस कदर घर कर गई कि यह लगाव धीरे-धीरे जुनून में बदल गया। जब विनय बाबू को यह पता चला कि उर्दू में रामायण का कोई संपूर्ण संस्करण नहीं है, तो उन्होंने इस अभाव को दूर करने की ठान ली। अगले 14 वर्षों की अथक मेहनत और साधना के बाद उन्होंने 'विनय रामायण' नाम से उर्दू में रामायण का भावानुवाद तैयार कर डाला। यह ग्रंथ 500 पृष्ठों में फैला हुआ है, जिसमें 24 खंड और लगभग 7 हजार शेर शामिल हैं। विनय बताते हैं कि यह कोई शाब्दिक अनुवाद नहीं है, बल्कि रामायण के प्रमुख प्रसंगों को उर्दू शायरी की जुबान में भक्ति के रंग में पिरोया गया है। इस महान कार्य के लिए उन्हें अयोध्या, प्रयागराज और यहां तक कि हिमालय की यात्राएं करनी पड़ीं। आर्थिक तंगी और कई मुश्किलें आईं, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। अब विनय की इच्छा है कि ‘विनय रामायण’ का विमोचन राज्यपाल के हाथों हो। शायर अजीज बाराबंकवी के शागिर्द रहे विनय बाबू अब महाभारत के भावानुवाद की दिशा में काम शुरू कर चुके हैं। उनका मानना है कि हमारी धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर को सभी भाषाओं में सरल और सुंदर रूप में प्रस्तुत करना समय की आवश्यकता है। उनकी यह कोशिश धर्म और साहित्य के बीच एक नई पुल बनाती है, जहां भक्ति उर्दू शायरी बनकर दिलों में उतरती है।

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