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. बिहार बेगूसराय ब्यूरो. मोहम्मद नबी आलम
जिले में बाल अधिकारों की सुरक्षा और बाल विवाह की रोकथाम के लिए कार्यरत संगठन वैशाली समाज कल्याण संस्थान ने बाल विवाहों की रोकथाम के लिए धर्मगुरुओं के बीच चलाया जागरूकता अभियान
-संगठन के सी.ई.ओ सह प्रोजेक्ट प्रबंधक कौशल किशोर विकल ने कहा, धर्मगुरुओं से मिला सहयोग व समर्थन अभिभूत करने वाला, इस अक्षय
तृतीया जिले में नहीं होगा एक भी बाल विवाह
बाल अधिकारों की सुरक्षा व संरक्षण के लिए देश में नागरिक समाज संगठनों के सबसे बड़े नेटवर्क जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रेन
(जेआरसी) के बेगूसराय में सहयोगी संगठन वैशाली समाज कल्याण संस्थान की ओर से अक्षय तृतीया और शादी-ब्याह के
मौसम को देखते हुए बाल विवाहों की रोकथाम के लिए विभिन्न धर्मों के विवाह संपन्न कराने वाले पुरोहितों के बीच चलाए
जा रहे जागरूकता अभियान को व्यापक सफलता मिली है और सभी धर्मगुरुओं ने इसकी सराहना करते हुए समर्थन का हाथ
बढ़ाया है। संगठन ने कहा कि यह देखते हुए कि कोई भी बाल विवाह किसी पंडित, मौलवी या पादरी जैसे पुरोहित के बिना
संपन्न नहीं हो सकता, हमने उन्हें बाल विवाह के खिलाफ अभियान से जोड़ने का फैसला किया। इसके सकारात्मक नतीजों
को देखते हुए हम उम्मीद कर सकते हैं इस अक्षय तृतीया पर जिले में एक भी बाल विवाह नहीं होने पाएगा। आज जिले में
तमाम मंदिरों-मस्जिदों के आगे ऐसे बोर्ड लगे हुए जिन पर स्पष्ट लिखा है कि यहां बाल विवाह की अनुमति नहीं है। गौरतलब
है कि जेआरसी 2030 तक देश से बाल विवाह खत्म करने के मकसद से चाइल्ड मैरिज फ्री इंडिया कैम्पेन चला रहा है।
जेआरसी कानूनी हस्तक्षेपों के जरिए बाल अधिकारों की सुरक्षा व संरक्षण के लिए देश के 416 जिलों में जमीन पर काम कर
250 से भी ज्यादा नागरिक संगठनों का नेटवर्क है जिसने पिछले वर्षों में दो लाख से ज्यादा बाल विवाह रुकवाए हैं और पांच
करोड़ से ज्यादा लोगों को बाल विवाह के खिलाफ शपथ दिलाई है। इसके सहयोगी संगठन वैशाली समाज कल्याण संस्थान ने स्थानीय
प्रशासन के साथ सहयोग व समन्वय से कानूनी हस्तक्षेपों और परिवारों एवं समुदायों को समझा-बुझा कर अकेले 2023-24
में ही जिले में 21 बाल विवाह रुकवाए हैं। यह संगठन 2030 तक बाल विवाह मुक्त भारत के लक्ष्य को हासिल करने के
लिए जेआरसी के संस्थापक भुवन ऋभु की किताब ‘व्हेन चिल्ड्रेन हैव चिल्ड्रेन : टिपिंग प्वाइंट टू इंड चाइल्ड मैरेज’ में सुझाई
गई समग्र रणनीति पर अमल कर रहा है।
वैशाली समाज कल्याण संस्थान के सी.ई. ओ सह प्रोजेक्ट प्रबंधक कौशल किशोर विकल ने कहा कि अभी भी देश में बाल विवाह के खिलाफ जरूरी
जागरूकता की कमी है। ज्यादातर लोगों को यह पता नहीं है कि यह बाल विवाह निषेध अधिनियम (पीसीएमए), 2006 के
तहत दंडनीय अपराध है। इसमें किसी भी रूप में शामिल होने या सेवाएं देने पर दो साल की सजा व जुर्माना या दोनों हो
सकता है। इसमें बाराती और लड़की के पक्ष के लोगों के अलावा कैटरर, साज-सज्जा करने वाले डेकोरेटर, हलवाई, माली, बैंड
बाजा वाले, मैरेज हाल के मालिक और यहां तक कि विवाह संपन्न कराने वाले पंडित और मौलवी को भी अपराध में संलिप्त
माना जाएगा और उन्हें सजा व जुर्माना हो सकता है। उन्होंने कहा कि इसीलिए हमने धर्मगुरुओं और पुरोहित वर्ग के बीच
जागरूकता अभियान चलाने का फैसला किया क्योंकि यह वो सबसे महत्वपूर्ण वर्ग है जो विवाह संपन्न कराता है। हमने उन्हें
समझाया कि बाल विवाह और कुछ नहीं बल्कि बच्चों के साथ बलात्कार है। अठारह वर्ष से काम उम्र की किसी बच्ची से
वैवाहिक संबंधों में भी यौन संबंध बनाना यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) कानून के तहत बलात्कार है। बेहद
खुशी का विषय है कि आज पंडित और मौलवी इस बात को समझते हुए न सिर्फ इस अभियान को समर्थन दे रहे हैं, बल्कि
खुद आगे बढ़कर बाल विवाह नहीं होने देने की शपथ ले रहे हैं। यदि पुरोहित वर्ग बाल विवाह संपन्न कराने से इनकार कर दे
तो देश से रातोंरात इस अपराध का सफाया हो सकता है। इस अभियान में उनके आशातीत सहयोग व समर्थन से हम
अभिभूत हैं। इसको देखते हुए हमारा मानना है कि जल्द ही हम बाल विवाह मुक्त बेगूसराय के लक्ष्य को हासिल कर
लेंगे। इस अभियान को समर्थन देने के लिए जिले के जाने माने समाजसेवी नगर निगम बेगूसराय 35 के वार्ड पार्षद डाo शगुफ्ता ताज़वर, पूनम कुमारी वार्ड पार्षद संख्या 26 मुस्लिम धर्मगुरु मोo मोजाहिद, अनुपम कुमार, कांग्रेस नेता, पूजा कुमारी वार्ड संख्या 21, सिद्धांत कुमार प्रोजेक्ट समन्वयक, राजमणि रंजन सपोर्ट परसन, सरिता कुमारी समुदायिक कार्यकर्ता उपस्थित थी।