आनन्द बॉबी चावला ब्यूरो चीफ झांसी।
झाॅसी
दिनाॅक 08 दिसम्बर 2025
नावार्ड की टीम ने देखी "कागज पर उकेरी बदलते गांवों की तस्वीर"
बुंदेलखंड में जल संरक्षण के मॉडल कार्यों का नाबार्ड दल ने किया व्यापक निरीक्षण
नाबार्ड मुख्यालय मुंबई के चीफ जनरल मैनेजर डॉ0 भवानी शंकर, लखनऊ चीफ जनरल मैनेजर पंकज कुमार, डीजीएम सिद्धार्थ शंकर सहित डीडीएम भूपेश पाल ने किया निरीक्षण
वर्षा जल संरक्षण एवं प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन के कार्यों को देख कि प्रसन्नता व्यक्त इक्रीसेट का यह सामुदायिक मॉडल ग्रामीण विकास और जल संरक्षण के लिए एक उत्कृष्ट उदाहरण:- चीफ जर्नल मैनेजर नाबार्ड
झांसी।आज जनपद झाँसी के दूरदराज क्षेत्र तहसील टहरौली में नाबार्ड मुख्यालय से आए दल ने जल संरक्षण के कार्यों का निरीक्षण किया,नाबार्ड मुख्यालय, मुंबई के चीफ जनरल मैनेजर डॉ0 भवानी शंकर, नाबार्ड लखनऊ कार्यालय के चीफ जनरल मैनेजर पंकज कुमार, डीजीएम सिद्धार्थ शंकर, तथा झांसी के डीडीएम भूपेश पाल सहित सभी सदस्यों का ग्राम प्रधान सहित अन्य अधिकारियों ने पुष्पगुच्छ भेंटकर स्वागत किया। दल ने इक्रीसेट (ICRISAT) द्वारा टहरौली तहसील के 40 गाँवों में किए गए वर्षाजल संरक्षण एवं प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन के कार्यों का मंगलवार को विस्तृत निरीक्षण किया।दल के सदस्यों ने ग्राम नोटा में निर्मित सामुदायिक तालाब, ग्राम गुंडाहा में बनाए गए जल संचयन ढाँचों तथा भदोखर में पुनर्जीवित हवेली का बारीकी से अवलोकन करते हुए संरक्षण की उपयोगिता को समझा। इसके अलावा दल ने भगोरा में विकसित कृषिवानिकी मॉडल, सूक्ष्म सिंचाई के लिए किसानों को उपलब्ध कराए गए स्प्रिंकलर और ड्रिप इरिगेशन प्रणालियों का भी जायजा लिया। क्षेत्र के किसानों को इस प्रणाली के उपयोग से फसलों का आच्छादन और उत्पादन में लगातार बढ़ोतरी हो रही की भी जानकारी दी।
नाबार्ड मुख्यालय मुंबई से आए चीफ जनरल मैनेजर सहित अन्य अधिकारियों को निरीक्षण के दौरान ICRISAT के ग्लोबल थीम लीडर एवं प्रधान वैज्ञानिक डॉ0 रमेश सिंह और सलाहकार श्री आर.के. उत्तम ने परियोजना क्षेत्र में किए गए जल संरक्षण कार्यों की विस्तार से जानकारी बड़े मानचित्र के माध्यम से दी। वहीं सहायक वैज्ञानिक डॉ0 अशोक शुक्ला ने कृषिवानिकी मॉडल, बड़े पैमाने पर वृक्षारोपण तथा खेत-परिवेश में सुधार के प्रयासों के बारे में बताया। उन्होंने बताया कि क्षेत्र में जल की उपलब्धता सुनिश्चित रहने से किसानों में बागवानी और फलदार वृक्षों से भी आय बढ़ाने में रुचि ली गई।
नाबार्ड मुख्यालय मुंबई के चीफ जनरल मैनेजर डॉ0 भवानी शंकर सहित अन्य सदस्यों ने परियोजना के अंतर्गत हुए कार्यों की सराहना करते हुए कहा कि यदि इसी प्रकार के जल संरक्षण और संसाधन प्रबंधन के प्रयास बुंदेलखंड के पूरे 10 मिलियन हेक्टेयर क्षेत्र में लागू किए जाएँ, तो सिंचाई हेतु और पेयजल की दीर्घकालिक समस्या का समाधान संभव है। उपस्थित ग्रामवासियों ने इस सुझाव पर तालियां बजाते हुए स्वागत किया।भ्रमण पर आए नाबार्ड के अधिकारियों के दल ने इक्रीसेट (ICRISAT) द्वारा सशक्त किए जा रहे किसान उत्पादक संगठन (FPO) के कार्यों की भी जानकारी ली। साथ ही टहरौली परियोजना के तहत गठित प्राकृतिक संसाधन संरक्षण समिति के सदस्यों से मुलाकात कर समुदाय की सहभागिता से संचालित इस बड़े मॉडल की कार्यशैली को समझा।
नाबार्ड अधिकारियों ने कहा कि ICRISAT का यह सामुदायिक मॉडल ग्रामीण विकास और जल संरक्षण के लिए एक उत्कृष्ट उदाहरण है, जिसे व्यापक स्तर पर अपनाने की आवश्यकता है।
इस मौके पर डी के सचान, प्राकृतिक संसाधन संरक्षण समिति के अध्यक्ष आशीष उपाध्याय, पुष्पेन्द्र सिंह बुंदेला, डॉ0 अशोक शुक्ला, रामप्रकाश पटेल, रामेश्वर शर्मा, दीनदयाल पटेल, नातीराजा बुंदेला, रविन्द्र सोनी, गौरीशंकर सिरबैया, गौरव पटेल, राजू शर्मा नोटा, रामसिंह बुंदेला, जयराज सिंह राना, प्रहलाद सिंह, शैलेन्द्र सोनी, आनंद सिंह, शिशुवेंद्र सिंह, ललित किशोर, दीपक त्रिपाठी, विजय सिंह, छायाकार पिंटू, सुनील निरंजन, राकेश कुमार, सत्येन्द्र सिंह, अनिल कुमार, निहाल सिंह, पर्वत कुशवाहा, नीरज कुमार आदि उपस्थित रहे।
आनन्द बॉबी चावला झांसी।

