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एमसीबी: गुलाब कमरों ने साधा सरकार पर निशाना — “जनजातीय गौरव केवल औपचारिकता, पांडो बस्तियों तक नहीं पहुंच रहीं योजनाएं”


 विनोद कुमार पांडे ब्यूरो चीफ

 लोकेशन एमसीबी जिला


गुलाब कमरों ने साधा सरकार पर निशाना — “जनजातीय गौरव केवल औपचारिकता, पांडो बस्तियों तक नहीं पहुंच रहीं योजनाएं”

बिरसा मुंडा जयंती पर आयोजित जनजातीय गौरव दिवस कार्यक्रम को लेकर पूर्व विधायक गुलाब कमरों ने प्रदेश सरकार पर तीखा प्रहार किया। उन्होंने कहा कि जनजातीय जिला होने के बावजूद यह आयोजन अब केवल औपचारिकता बनकर रह गया है।


गुलाब कमरों ने सवाल उठाया—


> “यह बड़ा कार्यक्रम था, इसे स्वामी आत्मानंद स्कूल ग्राउंड या आमखेरवा ग्राउंड में भव्य रूप से होना चाहिए था। छोटा और सीमित आयोजन जनजातीय सम्मान के अनुरूप नहीं है।”


उन्होंने यह भी कहा—


> “राज्य में आदिवासी मुख्यमंत्री होते हुए भी जनजातीय कार्यक्रमों और कल्याण योजनाओं पर खर्च में कटौती दिख रही है। विश्व आदिवासी दिवस पहले ही बंद कर दिया गया और अब जो आयोजन हो रहे हैं वे भी बस खानापूर्ति बन गए हैं।”

पलथा जाम वार्ड-8 की पांडो बस्ती की बदहाली ने खोली हकीकत गुलाब कमरों ने उदाहरण देते हुए कहा कि सरकार के दावों की असली परीक्षा तभी होती है जब योजनाएं बस्तियों तक पहुंचें।

पलथा जाम वार्ड क्रमांक 8 की पांडो बस्ती की स्थिति आज भी बेहद दयनीय है।

ग्रामीणों के अनुसार बस्ती में— न सड़क, ना ही स्टेट लाइट, न स्वास्थ्य सुविधा, न शौचालय, न साफ पानी, न नियमित राशन, कार्ड तक नहीं है कई लोगों के पास, न आंगनवाड़ी, न स्कूल तक पहुंच मार्ग, अधूरी बिजली और नल-जल योजना कई घरों तक नहीं पहुंचा अब तक लाभ सुविधा यूनिट स्वास्थ्य बस भी नहीं आती। प्रमुख रूप से इस ग्रामीण इलाके बस्ती पर नहीं मिल पा रहा स्वास्थ्य सुविधाएं लाभ छोटे बच्चों को और महिलाओं को ना रोड है ना नाली है कोरिया क्षेत्र बाजार में लगाया जाता है यूनिट बस को नहीं पहुंच पाते हैं ग्रामीण लाभ लेने बरसात में बच्चे स्कूल नहीं जा पाते। कई घरों में दरवाजे तक नहीं हैं,. गरीबी और बेरोजगारी. के चलते. घरों में दरवाजा तक नहीं लगता पा रहे हैं ग्रामीण जनजाति के लोग.जिससे रातों में डर रहता है चीता, भालू और हाथियों जैसे जंगली जानवरों का भय हमेशा बना रहता है। महिलाएं रातभर भगवान भरोसे सोती हैं।


ग्रामीणों ने बताया कि योजनाओं की बातें सुनीं,



…लेकिन स्थायी लाभ कभी नहीं मिला।

करीब 30–40 परिवार आज भी बुनियादी सुविधाओं से वंचित हैं और अब तक आवास/भूमि पट्टा भी नहीं मिला।

“सरकार बड़ी बातें करती है, पर धरातल पर सच्चाई शून्य” — गुलाब कमरो


गुलाब कमरों ने कहा—


> “सरकार आरक्षण, आवास योजना, शौचालय, उज्ज्वला, पोषण, स्वास्थ्य, रोजगार—सब की बातें करती है, पर पांडो और अन्य जनजातीय बस्तियों तक इनमें से कुछ भी नहीं पहुंचा है।”



उन्होंने आरोप लगाया कि चुनाव बीतते ही जनप्रतिनिधि इन बस्तियों की ओर वापस झांकते तक नहीं।



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योजनाओं की जमीनी पहुंच पर गंभीर सवाल


जनजातीय गौरव दिवस के सरकारी दावों के बीच पांडो बस्ती की वास्तविक स्थिति यह स्पष्ट करती है कि

योजनाओं की पहुंच, निगरानी और प्राथमिकता—तीनों में भारी कमी है।


स्थानीय प्रशासन और जनप्रतिनिधियों की निष्क्रियता से बस्ती आज भी बुनियादी सुविधाओं के इंतजार में है।



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