विनोद कुमार पांडे ब्यूरो चीफ
गरीबों का हक़ पेट काटकर चना गोल – चिरमिरी की उचित मूल्य दुकानों में हर बार पीडीएस वितरण से की जा रही कटौती, शिकायतों पर भी विभाग.मौन" नहीं सुनती सरकार
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पत्रकार और कार्डधारकों की शिकायत के बावजूद खाद विभाग, जनप्रतिनिधि और प्रशासन जिम्मेदारी से बचते पाच माह से लंबित 8 दुकानों का आवंटन भी अटका
चिरमिरी। एमसीबी जिला चिरमिरी के शासकीय उचित मूल्य की दुकानों से हर एक दो महीने मे. अक्सर परमानेंट गरीब परिवारों को मिलने वाला पीडीएस का चना बार-बार गायब हो जाता है। गरीबों का पेट और अधिकार मार दिया जाता है सरकार के द्वारा. और क्या कोई नई बात नहीं है इस बार भी.सितंबर माह का एक महीना बीत जाने के बाद भी अब तक चना का वितरण नहीं हुआ है। कार्डधारक परेशान हैं, मगर खाद विभाग और जनप्रतिनिधि छत्तीसगढ़ खाद्य मंत्री.मौन साधे बैठे हैं।
छत्तीसगढ़ सरकार गरीबों को महंगाई से राहत देने के लिए चावल, शक्कर और चना जैसे खाद्यान्न उचित मूल्य की दुकानों के माध्यम से उपलब्ध कराती है। लेकिन चिरमिरी क्षेत्र और राज्य की अन्य दुकानों में.यह योजना गरीबों तक पूरी तरह नहीं पहुंच पा रही है। कार्डधारकों का आरोप है कि दो महीने तक तो वितरण ठीक रहता है, लेकिन तीसरे महीने में हमेशा चना गोल तो कहीं शक्कर कर दिया जाता है। यही नहीं, जब भी कार्डधारक या पत्रकार शिकायत करते हैं, तो विभागीय अधिकारी फोन नहीं उठाते और न ही जनप्रतिनिधि कोई स्पष्ट जवाब देते हैं।
यह स्थिति कोई नई नहीं है। बार-बार शिकायतों और मीडिया में खबरें प्रकाशित होने के बावजूद खाद विभाग और जिला प्रशासन और राज्य के खाद्य मंत्री के द्वारा वितरण चना स्थाई रूप से हर महीने राशन कार्ड धारकों वितरण करने की योजना या किसी प्रकार का निर्णय या दिशा निर्देश या जिला प्रशासन के द्वारा कोई आवशासन नहीं । दिया जाता है.ना कार्डधारक. की. अधिकार की बात की जाती है. जिस पर राशन कार्ड धाराक सवाल कर रहे हैं कि आखिर गरीबों का हक़ बार-बार अधिकार पेट.क्यों मारा जा रहा है?
शहर में चर्चा यह भी है कि राजनीतिक दबाव और पुराने संचालकों को फायदा पहुँचाने के लिए पांच महीने पहले प्रस्तावित 8 नई उचित मूल्य की दुकानों का आवंटन भी अब तक किस.अधर में लटका हुआ है। महिला समूहों को आवंटन की प्रक्रिया शुरू करने के बाद भी आज तक अंतिम आदेश नहीं निकाले गए, जिससे महिलाएं दर-दर भटक रही हैं। जबकि शासकीय उचित मूल्य दुकान आवंटित कार्यवाही एक माह 15 दिन में कर दी जाती है मगर 5 महीने बीतने के बाद में भी किसी प्रकार का कोई दिशा निर्देश अब तक नहीं देखने को मिल रहा है दंड अनुभागिय अधिकारी कार्यालय के द्वारा जिससे सांप स्पष्ट नजर आता है और कई सवाल और चर्चा का विषय शहर में बना हुआ है या तो फिर पुराने प्रस्तावित दुकान संचालकों को सीधा फायदा पहुंचाने के लिए लटकाया जा रहा है या राजनीतिक दबाव या फिर पुराने प्रस्तावित दुकान संचालकों को दोबारा दुकान संचालित करने का मौका दिया जा रहा है और आम नागरिक और जनता को गुमराह कर धोखा में रखा जा रहा है जो यह दंड अनुभागिय अधिकारी स्पष्ट करें और आम जनता और मीडिया को स्पष्ट बताएं यह आवंटित प्रक्रिया कब तक पूरी हो पाएगी
जनता का सवाल है – आखिर गरीबों की थाली से बार-बार चना गायब होने. पर. खाद्य मंत्री खाद्य अधिकारी और जिला प्रशासन सरकार कब तक गरीबों का पेट काटते रहेगी यह सरकार ‘गरीबी उन्मूलन’ और ‘महंगाई राहत’ का दावा? झूठा साबित हो रहा है
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