बेसहारा लोगों की मदद करने से बड़ा कोई धर्म नहीं l हाजी बिलाल अहमद
फर्रुखाबाद शहर में मदीना स्वीट हाउस और मदीना खजूर गैलरी वाले शख्सियत कम उम्र में हाजी बिलाल ने समाजसेवी होने का वह किरदार निभाया है जितनी भी तारीफ की जाए उतनी कम है चाहे वह मस्जिद हो चाहे गरीब लोगों की मदद हो जो भी उनके पास आया वह खाली नहीं गया l हांजी बिलाल साहब का नाम आसपास के जिलों में मशहूर है मदीना खजूर गैलरी काफी दूर-दूर से लोग यहां खजूर ले जाते हैं हमेशा उनके परिवार का लोगों से इखलाख पार्ट मोहब्बत बहुत ही अच्छा रहा है हाजी बिलाल अहमद ने सबसे कम उम्र में हज किया और लोगों की मदद की है l गरीब और बेसहारा लोगों की मदद करने से बड़ा कोई धर्म नहीं है। हर जागरूक व्यक्ति का कर्तव्य बनता है कि वह असहाय और मजबूर लोगों की मदद के लिए तत्पर रहे। उन्होंने कहा कि हर व्यक्ति समाज का हिस्सा है और समाज में हर व्यक्ति की अपनी-अपनी भूमिका होती है।गरीब और असहाय व्यक्ति भी समाज का ही हिस्सा है, लेकिन परिस्थिति वश वह सुख सुविधाओं से दूर हो जाता है। ऐसे व्यक्ति को समाज के साथ जोड़ने के लिए सामाजिक संगठनों को आगे आना चाहिए।इतना ही नहीं पशु और पक्षियों को भी संस्थान द्वारा दाने की व्यवस्था की जाती है। हाजी जी ने कहा कि सामाजिक एवं धार्मिक संस्थाएं उन लोगों तक सुविधाएं पहुचाने का यत्न करती है जहां पर सरकार उन लोगों तक नहीं पहुंच सकती। हाजी बिलाल अहमद ने कहा कि हर किसी आदमी का जीवन उसके कर्मो के अनुसार बनाता है। जो लोग अमीर हैं जिनके पास पैसा ज्यादा है, उनमें से ज्यादातर लोग ऐसे होते हैं जो किसी गरीब की मदद नहीं करते, हैं जो अपना जीवन गरीबों की सेवा में लगाते हैं। वहीं अच्छे इंसान कहलाते हैं और आखिरत में जन्नत पाते हैं l हाजी बिलाल अहमद ने कहा कि मुस्लिम समाज में जितने भी समाजसेवी हैं कि जितना हो सके गरीब लोगों की मदद करें। उस थोड़ी सी मदद के बाद जो गरीबों के चेहरों पर खुशी आती है जो शख्स किसी मुसलमान भाई की दुनिया की तकलीफ दूर करता है, अल्लाह तआला उसकी क़यामत की तकलीफों में से एक तकलीफ दूर कर देगा।” इस हदीस से हमें साफ समझ आता है कि इंसान की मदद करना सिर्फ इंसानियत का काम नहीं बल्कि ईमान का भी हिस्सा है अल्लाह से दुआ है कि हम सबको नेक कामों की तौफीक़ दे l खिदमत-ए-खल्क़ का भी सच्चा पैग़ाम पहुँचाने वाला बनाए।