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पखांजूर: जंगली दन्तेल हाथी अबूझमाड़ के जंगलों से वापस महाराष्ट्र के मसनकट्टा फिर कापसी वन क्षेत्र में वापसी

 * *जंगली दन्तेल हाथी अबूझमाड़ के जंगलों से वापस महाराष्ट्र के मसनकट्टा फिर कापसी वन क्षेत्र में वापसी*


    *रिपोर्टर -उत्तम बनिक पखांजूर*

बांदे : विगत कई दिनों से लगातार 15से 20दिन तक जंगली हाथी का मौजूदगी लोगो को परेशानी का वजह बनी थी,एक सप्ताह में बांदे क्षेत्र से कई ग्राम में खेतों एवं घरों को नुकसान करते हुए उफनती नदी नाला पार् कर खेतों को रौंधते हुए कोटरी नदी पार कर अबूझमाड़ के जंगलों में कई घरों को नुकसान पहुंचा कर वापस बारकोट के रास्ते कोठरी नदी को पार कर संगम, माचपल्ली घोड़ा गांव, अंजारी के रास्ते होते हुए मुख्य सड़क पार कर मूरडोडा में ग्रामीणों द्वारा हाथी को देखा गया, जिस रास्ते हाथी चल रहा है उस रास्ते पर पगचिन्ह के निशान जगह-जगह दिखाई पड़ रहा है पेनकोडो, मरोड़ा के वन क्षेत्र में अपनी उपस्थिति दर्ज करा कर रखा था,वन परिक्षेत्र कापसी एवं बांदे के अधिकारी लगातार कुछ दिनों से दो-तीन टीम गठित कर हाथी के ऊपर निगरानी बनाये हुये थे,एवं संबंधित ग्राम पीवी 39, 131, माचपल्ली, फुरर्फूंडी, पेनकोडो, ढोटोमेटा, रेंगाड़डी, निरदें, मरोड़ा,आराफरसी को हाई अलर्ट कर सावधान सचेत रहने की जानकारी दे रहे हैं वन विभाग के अधिकारी वन परिक्षेत्र कापसी के दल के प्रमुख देवदत्त तारम, राहुल देव ठाकुर, सहायक दल के प्रभारी लूडपारामभगत, टी आर सिन्हा, संतोष कुमार, असलाल साहू, सुखराम, नगेसिया ध्रुव, गीता ताराम, यमुना सर्वा, तो दूसरी तरफ बांदे वन परिक्षेत्र के अधिकारी विजय कुमार पटनायक, दल प्रभारी राजकुमार कोरोपी, सुखराम नरेटी, सुजूराम ध्रुव देवलाल, रामसाय, श्रीमती बिमला गीता, श्यामा चरण, रोशन, टीकम निषाद जो सुरक्षा और निगरानी में रात दिन लगे हुए हैं पर जंगली हाथी को सुरक्षित स्थान तक पहुंचाने के लिए अभी तक असफल रहे दूसरी तरफ बिजली विभाग के बांदे के टीम भी इसके पीछे निगरानी बनाते हुए फीडर को चालू करना बंद करना लगातार अपने कार्य करते जा रहे हैं साथ में पुलिस और डीआरजी की टीम सुरक्षा के दृष्टिकोण को देखते हुए अपनी उपस्थिति लगातार दे रहे थे, जैसे तैसे हाथी को वपास महाराष्ट्र के मसनकट्टा के जंगल में वापसी हुई थी, परन्तु फिर आज 9बजे के करीब माचपल्ली से संगम की ओर जाते देखा गया है जिससे फिर ग्रामीण के मन मे दहशत साफ झलक रही है, अब तो किसानो के मन मे साफ चिंता की लकीर झलक रही है अब फिर से फसलों की नूकसान हुआ, इसकी भरपाई सहना भारी पड़ेगा, समूचे परलकोट मे खेती-बाड़ी से जीवन यापन चलता है यही समय है कि लोग फसल लगाकर इसी फ़सल को तैयार कर बेचकर अपनी सारे वर्ष जरूरत को पूर्ण करते है अब तो फ़सल तैयार होना शुरू हो चुका है, और इस हाथी द्वारा खेतों को नुकसान पहुंचाने से इस क्षेत्र के किसानों को बहुत बड़ी क्षति होगी!

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