क्षेत्र के अन्नदाताओं का संकट खराब बीज-खाद, बकाया भुगतान और 'स्मार्ट' बिजली बिल से किसान त्रस्त।
पत्रकार स्वतंत्र नामदेव
कांकेर जिला ब्यूरो
ऑल इंडिया किसान खेत मजदूर संगठन इकाई पखांजूर ने अनुविभागीय अधिकारी राजस्व पखांजूर के माध्यम से जिला कलेक्टर कांकेर एवं संबंधित अधिकारियों को ज्ञापन सौंपा है।उन्होंने अपने आवेदन में क्षेत्र के लाखों किसानों को इन दिनों फसल उत्पादन से लेकर उपज की बिक्री तक कई गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। खराब गुणवत्ता वाले कृषि आदानों (बीज, खाद, कीटनाशक) की कालाबाजारी, व्यापारियों द्वारा फसल का भुगतान रोके जाने और नए 'बिजली बिल-2023' व 'स्मार्ट मीटर' योजना से उत्पन्न आशंकाओं ने किसानों की कमर तोड़ दी है।
फसल बर्बादी का डर गुणवत्ताहीन कृषि आदानों की कालाबाजारी
पर किसानों ने गंभीर चिंता व्यक्त की है कि उन्हें खराब गुणवत्ता वाले धान बीज, खाद और कीटनाशक खरीदने पर मजबूर किया जा रहा है। साथ ही, कुछ असामाजिक तत्वों और व्यापारियों द्वारा खाद की कमी का बहाना बनाकर उसे अत्यधिक ऊंचे दामों पर बेचा जा रहा है और साथ में अनावश्यक सामग्री खरीदने की शर्त भी थोपी जा रही है।
इसका भयावह परिणाम यह हुआ है कि हजारों-लाखों रुपये खर्च करने के बावजूद किसानों की लहलहाती धान की फसलें बर्बाद हो रही हैं। खेतों में धान की बालियाँ सूख रही हैं और दाने परिपक्व होने के बजाय 'बदरा' (खाली दाने) बन रहे हैं। किसानों ने इस समस्या पर हजारों रुपये खर्च कर दिए हैं, लेकिन फसल को बचा नहीं पा रहे हैं। इस आर्थिक नुकसान की आशंका से किसान सदमे में हैं और उन्हें डर है कि वे बैंकों, महाजनों और समितियों के कर्ज को नहीं चुका पाएंगे।
मांग: सरकार और प्रशासन तत्काल प्रभाव से गुणवत्ताहीन बीज, खाद और कीटनाशकों की बिक्री पर रोक लगाए और कालाबाजारी करने वालों के खिलाफ सख्त दमनात्मक कार्रवाई करे। कृषि विभाग को फसलों में हो रहे नुकसान की जांच कर उचित मुआवजा देने की व्यवस्था करनी चाहिए।
मक्का खरीद में 7 करोड़ रुपये का बकाया: ठगे गए किसान:-
किसानों ने कड़ी मेहनत और कर्ज़ लेकर फसलें उगाई, लेकिन उपज बेचने के बाद भी उन्हें भुगतान नहीं मिला है। जानकारी के अनुसार, क्षेत्रों के हजारों किसानों से कोचिया व्यापारियों द्वारा मक्का खरीदी गई, मगर किसानों को भुगतान नहीं किया गया।
प्रशासन के हस्तक्षेप के बावजूद, किसानों के लगभग 8 करोड़ रुपये के बकाए में से केवल 1 करोड़ रुपये का ही भुगतान किया गया है। आज की तारीख तक भी किसानों का लगभग 7 करोड़ रुपये बकाया है। भुगतान न मिलने के कारण पीड़ित किसान परिवार कर्ज के बोझ तले दबे हुए हैं और असहनीय पीड़ा झेल रहे हैं। प्रशासन तुरंत इस मामले में कड़ा रुख अपनाए, बकाया 7 करोड़ रुपये का भुगतान सुनिश्चित करे और भुगतान न करने वाले व्यापारियों (कोचियों) पर कानूनी कार्रवाई करे।
बिजली बिल और स्मार्ट मीटर का डर: 'कम्पनियों का एकपक्षीय प्रभाव'
समस्त बिजली उपभोक्ताओं में 'बिजली बिल-2023' और 'स्मार्ट मीटर स्कीम' को लेकर भारी रोष और आशंका है। उपभोक्ताओं का कहना है कि डिजिटल मीटर सही रीडिंग दे रहे हैं और वे नियमित बिल का भुगतान कर रहे हैं। फिर भी, स्मार्ट मीटर लगाए जा रहे हैं, जिसे वे कंपनियों के एकपक्षीय प्रभाव और आर्थिक तबाही का कारण मान रहे हैं।
किसानों, गरीब घरों, छोटे दुकानदारों और सामान्य उपभोक्ताओं का मानना है कि नई योजनाएं उनके जीवन पर अतिरिक्त बोझ डालेंगी और उन्हें आर्थिक अंधकार में धकेल देंगी। सरकार को स्मार्ट मीटर योजना के क्रियान्वयन पर पुनर्विचार करना चाहिए, उपभोक्ताओं की आशंकाओं को दूर करना चाहिए और बिजली बिलों को लेकर एक पारदर्शी और न्यायसंगत नीति लागू करनी चाहिए ताकि गरीब और मध्यम वर्ग पर अनावश्यक आर्थिक बोझ न पड़े।
इन ज्वलंत समस्याओं पर किसान संगठनों ने सरकार से तत्काल और ठोस कार्रवाई की मांग की है, ताकि देश का अन्नदाता संकट से बाहर निकल सके।
इस दौरान अध्यक्ष अजित मिस्ट्रीज अनिमेष बिस्वास, सहित सैकड़ों किसान मौजूद थे।
