*कृषि क्षेत्र में नारी शक्ति : नमो ड्रोन दीदी योजना ने महिलाओं को बनाया आत्मनिर्भर, खेतों में ड्रोन से कीटनाशक दवाइयों का छिड़काव करके कमा करी हैं लाखों*
*नमो ड्रोन दीदी योजना : राजकोट की सोनलबेन पांभर बनीं लखपति, खेती में ड्रोन टेक्नोलॉजी के उपयोग से कमाए 15 लाख रुपए*
*सखी मंडल से जुड़ीं बनासकांठा की ड्रोन दीदी भावनाबेन चौधरी की कमाई 50,000 रुपए प्रति माह के पार पहुंची*
रिपोर्ट भरतसिंह आर ठाकोर अरवल्ली गुजरात
नवरात्रि यानी आस्था, भक्ति और उत्सव का महाकुंभ। नवरात्रि का त्योहार नारी शक्ति का प्रतीक माना जाता है। बात जब महिला शक्ति की होती है, तब यह भी उल्लेखनीय है कि श्री नरेन्द्र मोदी ने गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री और मौजूदा प्रधानमंत्री के रूप में विभिन्न क्षेत्रों में महिलाओं को आगे बढ़ाने के लिए लगातार प्रयास किए हैं। उनका यह दृढ़ विश्वास है कि 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के संकल्प को साकार करने में महिलाओं का अमूल्य योगदान होगा।
प्रधानमंत्री द्वारा लॉन्च की गई विभिन्न योजनाओं ने महिलाओं का मनोबल बढ़ाया है और उन्हें आगे आने के लिए प्रेरित किया है। ऐसी ही एक योजना है- नमो ड्रोन दीदी योजना, जो नई ड्रोन तकनीक के उपयोग से महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के उद्देश्य से 2023 में शुरू की गई थी। गुजरात में मुख्यमंत्री श्री भूपेंद्र पटेल के नेतृत्व में स्वयं सहायता समूहों और सखी मंडलों ने नमो ड्रोन दीदी योजना के जरिए महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने में उल्लेखनीय भूमिका निभाई है।
*नमो ड्रोन दीदी योजना : कृषि क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने की महत्वाकांक्षी पहल*
नमो ड्रोन दीदी योजना महिला सशक्तिकरण और कृषि क्षेत्र में क्रांति लाने की महत्वाकांक्षी पहल है। दीनदयाल अंत्योदय योजना- राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन और क्लस्टर लेवल फेडरेशन के तहत नमो ड्रोन दीदी योजना कृषि सेवाओं के लिए ड्रोन मुहैया कराकर महिला स्वयं सहायता समूहों को सशक्त बनाती है। इस योजना का उद्देश्य ड्रोन प्रदान कर मौजूदा कस्टम हायरिंग केंद्रों को मजबूत बनाना, श्रम एवं इनपुट्स की लागत को कम करना, ड्रोन पायलट्स एवं तकनीशियन के लिए आय के स्रोत पैदा करना, फसल प्रबंधन को बेहतर बनाना तथा किसानों की आय में वृद्धि करना है। आज ड्रोन दीदी एडवांस टेक्नोलॉजी के उचित उपयोग से कृषि क्षेत्र को नई दिशाएं दे रही हैं।
*राजकोट की ड्रोन दीदी सोनलबेन पांभर 15 लाख की कमाई के साथ बनीं लखपति*
राजकोट जिले के नानावड़ा गांव की 33 वर्षीय सोनलबेन पांभर ने खेती में ड्रोन तकनीक का उपयोग कर 15 लाख रुपए कमाए हैं और इसीलिए सोनलबेन केवल ड्रोन दीदी नहीं, बल्कि लखपति दीदी के रूप में भी जानी जाती हैं। सोनलबेन ने ड्रोन दीदी बनने के अपने सफर के बारे में बताया, “पहले में घर का कामकाज करती थी। मिशन मंगलम के कर्मचारी ने हमारे गांव में एक सार्वजनिक बैठक आयोजित कर मंडल की बहनों को नमो ड्रोन योजना की जानकारी दी। इससे मुझे आत्मनिर्भरता की दिशा में आगे बढ़ने की प्रेरणा मिली। दिसंबर, 2023 में मैंने महाराष्ट्र के पुणे (सेवरी) में 15 दिनों का प्रशिक्षण प्राप्त किया और उसके बाद राजकोट में इफको से अतिरिक्त प्रशिक्षण हासिल किया। टेक्निकल टीम ने मुझे सिखाया कि ड्रोन का उपयोग किस प्रकार करना है। पहली बार मैंने 10 जून, 2024 को सफलतापूर्वक ड्रोन का उपयोग कर मेरे गांव के खेतों में कपास और मूंगफली की फसलों पर कीटनाशक दवाई का छिड़काव किया। इसके बाद तो मुझे अन्य किसानों से भी काम मिलने लगा और मेरी आय बढ़ने लगी।”
सोनल बेन ने आगे कहा कि, “पिछले 1 वर्ष में मैंने 1740 किसानों के खेतों में मूंगफली, सोयाबीन, अरहर दाल, कपास, चना और मटर जैसी विभिन्न फसलों में ड्रोन के जरिए कीटनाशक दवाइयों का छिड़काव किया है, जिससे अब तक मैंने कुल 15,38,500 रुपए कमाए हैं। स्वयं सहायता समूह में जुड़ने के कारण मुझे न केवल ड्रोन दीदी के रूप में, बल्कि लखपति दीदी के रूप में भी एक नई पहचान मिली है। इस योजना मेरे और मेरे परिवार के जीवन स्तर में काफी सुधार हुआ है। मैं इस योजना के लिए मिशन मंगलम विभाग और प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के प्रति आभार व्यक्त करती हूं।”
*बनासकांठा की ड्रोन दीदी भावनाबेन चौधरी हर माह कर रही हैं 50,000 रुपए से अधिक की कमाई*
बनासकांठा जिले की कांकरेज तहसील के वरसड़ा गांव निवासी भावनाबेन चौधरी कहती हैं, “मैंने बीए तक की पढ़ाई की है और मैं खेती एवं पशुपालन के व्यवसाय से जुड़ी हूं। राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत मैं सखी मंडल के साथ काम कर रही हूं। मैं सखी मंडल के सभी कार्यक्रमों में सक्रिय रूप से हिस्सा लेती हूं। पहले तो ड्रोन के बारे में मुझे और मेरे गांव में किसी को भी कोई जानकारी नहीं थी। मुझे जिला और तहसील स्तर पर राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविकास मिशन योजना की शाखा में बुलाया गया और ड्रोन के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई। मैं ड्रोन दीदी बनने को लेकर काफी उत्सुक थी। मैंने जीएनएफसी, भरूच की ओर से अहमदाबाद इंडस यूनिवर्सिटी में 15 दिनों का रेजिडेंशियल ड्रोन प्रशिक्षण प्राप्त किया और बाद में ड्रोन पायलट की परीक्षा पास कर अपना लाइसेंस प्राप्त किया। उसके बाद, मुझे ड्रोन का प्रारंभिक सेट अपने घर पर प्राप्त हुआ और मैंने अपने गांव के खेतों में ड्रोन की मदद से कीटनाशकों का छिड़काव करना शुरू किया। आज मैं अपने गांव में ड्रोन दीदी के रूप में जानी जाती हूं और हर महीने 50,000 रुपए से अधिक कमाती हूं। इस काम से मुझे सम्मान और स्वतंत्रता, दोनों मिले हैं। मैं यह अवसर प्रदान करने के लिए श्री नरेन्द्र मोदी साहब और नमो ड्रोन दीदी योजना की बहुत आभारी हूं।”
गुजरात के ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं के लिए नमो ड्रोन दीदी योजना एक परिवर्तनकारी पहल साबित हुई है। इस योजना के जरिए ग्रामीण महिलाओं को आर्थिक स्वतंत्रता और सम्मान, दोनो मिला है और उनका आत्मविश्वास भी बढ़ गया है। इतना ही नहीं, वे अपने समुदायों के लिए एक रोल मॉडल भी बन गई हैं। उनकी हिम्मत, दृढ़ता और सफलता महिला सशक्तिकरण की सच्ची भावना को चरितार्थ करती है और भारत के उज्ज्वल एवं आत्मनिर्भर भविष्य के वादे को प्रतिबिंबित करती है।

