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पखांजूर: पखांजूर में मानसूनी बारिश से किसानों को राहत, पर खाद की किल्लत बनी मुसीबत

 पखांजूर में मानसूनी बारिश से किसानों को राहत, पर खाद की किल्लत बनी मुसीबत।


संवाददाता/ स्वतंत्र नामदेव कांकेर ब्यूरो 

पखांजूर तहसील (परलकोट क्षेत्र) में लंबे इंतजार के बाद मानसून की सक्रियता ने किसानों के चेहरों पर खुशी ला दी है। भरपूर मानसूनी बारिश से खेत तरबतर हो गए हैं, जिससे धान की रोपाई युद्धस्तर पर शुरू हो गई है। हालांकि, इस खुशी के बीच डीएपी खाद की किल्लत और कालाबाजारी ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है।


*खेतों में लौटी रौनक, रोपाई का काम जोरों पर*


बांदे भाजपा मंडल उपाध्यक्ष उत्तम बनिक ने बताया कि परलकोट के किसान सुबह होते ही अपने औजारों के साथ खेतों की ओर निकल पड़ते हैं। गीली मिट्टी और पानी से भरे खेतों में किसान पूरे उत्साह के साथ धान की रोपाई कर रहे हैं। सुबह से शाम तक खेतों में किसानों की टोलियां काम करती दिख रही हैं, जिसमें महिलाएं, पुरुष और युवा सभी शामिल हैं। इस चहल-पहल से गांवों में रौनक लौट आई है।


 जून के पहले हफ्ते में बारिश न होने से चिंतित किसान, अब जून के अंतिम सप्ताह में हुई मानसूनी बारिश से राहत महसूस कर रहे हैं। मजदूरों की उपलब्धता और समय पर संसाधनों की व्यवस्था से भी किसानों को सहूलियत मिल रही है। 


पखांजूर सत्यानंद पल्ली निवासी विदु विश्वास ने उम्मीद जताई कि मौसम अनुकूल बना रहे और फसल अच्छी हो।


*आधुनिक खेती की ओर बढ़ते कदम, बढ़ी ट्रैक्टर की मांग*


कापसी क्षेत्र के किसान विमल, देवव्रत मंडल, विधान मंडल और रंजीत राय ने बताया कि इन दिनों खेतों में रोपाई का काम चल रहा है। किसान अब पारंपरिक साधनों के बजाय आधुनिक साधनों जैसे ट्रैक्टर, पानी की मोटर, आधुनिक बीज और कृषि उपकरणों का तेजी से उपयोग कर रहे हैं। रोपाई से पहले खेतों में कीचड़ करने के लिए ट्रैक्टरों की मांग बढ़ गई है। जिन किसानों के पास ट्रैक्टर हैं, वे अपने खेतों की जुताई के बाद आसपास के गांवों और कस्बों में किराए पर ट्रैक्टर दे रहे हैं। इन दिनों जुताई के लिए ट्रैक्टर का किराया 900 रुपये प्रति घंटा है, जबकि रोटोवेटर ट्रैक्टर के लिए 1200 रुपये प्रति घंटा लिया जा रहा है, जिससे किसानों को अधिक कीमत चुकानी पड़ रही है।


*डीएपी खाद की कालाबाजारी से किसान परेशान*


जहां एक ओर बारिश ने किसानों को राहत दी है, वहीं परलकोट क्षेत्र में डीएपी खाद की किल्लत और कालाबाजारी ने उनकी परेशानी बढ़ा दी है। "नई दुनिया" की टीम से बातचीत में कई किसानों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि गांवों में दुकानदार डीएपी खाद को सरकारी कीमत से दोगुने दाम पर बेच रहे हैं, जिससे किसान इसे खरीदने को मजबूर हैं। जिम्मेदार अधिकारियों की चुप्पी पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं।

किसानों का कहना है कि परलकोट क्षेत्र में कई खाद दुकानें बिना प्रिंसिपल के चल रही हैं, विभाग को जानकारी होने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। 


ग्रामीण क्षेत्रों में कुछ दलाल और बांदे क्षेत्र के गल्ला व्यापारी, जो आंध्र प्रदेश से मक्का बेचकर महाराष्ट्र से डीएपी खाद लाते हैं, वे चोरी-छिपे रात में गांवों में किसानों को अधिक दामों पर खाद पहुंचा रहे हैं। इसका खामियाजा परलकोट क्षेत्र के गरीब और भोले-भाले किसानों को भुगतना पड़ रहा है। 


किसान लेम्पस समितियों से लोन लेकर हर साल फसल लगाते हैं, लेकिन इस साल लेम्पस से पर्याप्त मात्रा में खाद न मिलने से उन्हें अनेकों परेशानीयो का सामना करना पड़ रहा है। किसानों ने अपनी नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि इस किल्लत के चलते उनकी फसलें समय पर नहीं लग पा रही हैं और शासन-प्रशासन को इस ज्वलंत समस्या पर ध्यान देना चाहिए।

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