कंज्यूमर आईडी बनने के एक साल बाद भी गैस कनेक्शन न मिलने से महिलाएँ आक्रोशित, एचपी गैस एजेंसी का घेराव
संवाददाता/ स्वतंत्र नामदेव कांकेर ब्यूरो
प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के तहत गैस कनेक्शन का इंतजार कर रही सैकड़ों महिलाओं का गुस्सा फूट पड़ा। अपनी कंज्यूमर आईडी बनने के बावजूद पिछले एक, डेढ़ साल से गैस चूल्हा कनेक्शन न मिलने से नाराज़ इन महिलाओं ने आज मां आमाबोदनी एचपी गैस एजेंसी अंतागढ़, के द्वारा संचालित दुकान मटोली पखांजूर का घेराव कर जोरदार धरना प्रदर्शन किया।उनका आरोप है कि एजेंसी संचालक भोले-भाले हितग्राहियों को गुमराह कर "साइड बंद है" का बहाना बनाकर कनेक्शन देने से इनकार कर रहे हैं।
*कंज्यूमर आईडी मिलने के एक साल बाद नहीं मिला कनेक्शन*
ग्रामीण संध्या सरकार, काजल राय, गौरी मंडल, का कहना है कि उन्होंने लगभग डेढ़ साल पहले ऑनलाइन माध्यम से प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के तहत गैस कनेक्शन के लिए आवेदन किया था। उनके निजी मोबाइल नंबरों पर कंज्यूमर आईडी जनरेट होने के मैसेज आए हुए भी साल भर से ज़्यादा हो गए हैं। इसके बावजूद, मां आमाबोदनी एचपी गैस एजेंसी के संचालक द्वारा उन्हें लगातार टालमटोल किया जा रहा है।
ग्रामीण नमिता राय, रीना मंडल, रिंकी सिकदार, सुष्मिता मंडल के अनुसार, जब भी वे एजेंसी जाती हैं,
दुकान का शटर बंद मिलता है और जिम्मेदार कर्मचारी नदारद रहते हैं, या फिर उन्हें "साइड बंद है" का बहाना कर वापस भेज दिया जाता है।
*खाद्य निरीक्षक ने किया पंचनामा तैयार, कनेक्शन देने के निर्देश*
आज के विरोध प्रदर्शन के दौरान दुकान का शटर बंद पाए जाने से महिलाओं का आक्रोश और बढ़ गया। मौके पर खाद्य निरीक्षक पखांजूर मुकेश साहू उपस्थित हुए, जिन्होंने हितग्राहियों की बातें सुनीं और तत्काल पंचनामा तैयार किया।
इस संबंध में खाद्य निरीक्षक पखांजूर मुकेश कुमार साहू ने बताया कि उन्होंने पंचनामा तैयार कर लिया है और एजेंसी संचालक को जल्द से जल्द हितग्राहियों को गैस कनेक्शन देने का आदेश दिया है।
*गैस कनेक्शन न मिलने पर और बड़े प्रदर्शन की चेतावनी*
महिलाओं ने चेतावनी दी है कि यदि उन्हें जल्द से जल्द गैस कनेक्शन नहीं दिए गए, तो वे बड़े पैमाने पर धरना प्रदर्शन के लिए बाध्य हो जाएंगी।
यह घटना प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के क्रियान्वयन में आ रही बाधाओं और ग्रामीण क्षेत्रों में लाभार्थियों को हो रही परेशानियों को उजागर करती है।
अब देखना होगा कि खाद्य विभाग के हस्तक्षेप के बाद इन महिलाओं को उनका हक कब तक मिल पाता है।