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झारखंड: अधिवक्ताओं की परेशानियों का समीक्षा अधिवक्ताओं की स्थिति: एक उपेक्षित वर्ग की अनसुनी पुकार

 नेशनल हेड और लीगल एडवाइजर अधिवक्ता राजेश कुमार की कलम से 

एंकर अधिवक्ताओं की परेशानियों का समीक्षा अधिवक्ताओं की स्थिति: एक उपेक्षित वर्ग की अनसुनी पुकार। 

 भारत जैसे विशाल और विविधतापूर्ण देश में अधिवक्ता समाज का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। ये वही लोग हैं जो कानून के दायरे में रहकर न केवल व्यक्तियों, बल्कि समाज और राष्ट्र के हितों की रक्षा करते हैं। अधिवक्ता न सिर्फ न्याय की प्राप्ति में सहायक होते हैं, बल्कि कानूनी सलाह और मार्गदर्शन के माध्यम से लोगों की हर मुसीबत में साथ देते हैं। फिर भी, यह विडंबना है कि देश में अधिवक्ताओं की स्थिति अत्यंत दयनीय है। आर्थिक तंगी, स्वास्थ्य समस्याएं, और परिवार पालने की जिम्मेदारी जैसे बोझ उनके कंधों पर हमेशा बने रहते हैं। इस लेख में हम अधिवक्ताओं की समस्याओं, उनकी उपेक्षा के कारणों और सरकार से अपेक्षित कदमों पर चर्चा करेंगे।अधिवक्ताओं की समस्याएं: एक कड़वा सचअधिवक्ता, जो शिक्षा में डबल ग्रेजुएट कहलाते हैं, उनकी मेहनत और समर्पण के बावजूद उनकी आर्थिक स्थिति अक्सर कमजोर रहती है। विशेष रूप से नए अधिवक्ता, जो अपने करियर की शुरुआत में संघर्ष करते हैं, को क्लाइंट्स प्राप्त करने और अपनी पहचान बनाने में वर्षों लग जाते हैं। इस दौरान उनकी आय अनिश्चित और अपर्याप्त होती है। इसके अलावा, स्वास्थ्य समस्याएं और परिवार के भरण-पोषण की जिम्मेदारी उनके लिए और भी चुनौतीपूर्ण बन जाती है।सबसे दुखद पहलू यह है कि सरकार की ओर से अधिवक्ताओं के लिए कोई विशेष कल्याणकारी योजना या सहायता उपलब्ध नहीं है। अन्य वर्गों जैसे किसान, मजदूर, या सरकारी कर्मचारियों के लिए विभिन्न योजनाएं और लाभ मौजूद हैं, लेकिन अधिवक्ता इस मामले में पूरी तरह उपेक्षित हैं। न तो उनकी सुरक्षा के लिए कोई ठोस नीति है, न ही उनके कल्याण के लिए कोई विशेष प्रावधान।अधिवक्ता और सत्ता: एक विरोधाभासयह और भी आश्चर्यजनक है कि देश की विभिन्न राजनैतिक पार्टियों में अधिवक्ता उच्च पदों पर आसीन हैं। कोई सांसद है, कोई विधायक है, तो कोई मंत्री। फिर भी, ये लोग अपने ही समुदाय के हितों की बात करने में चूक जाते हैं। संसद हो या विधानसभा, अधिवक्ताओं की समस्याओं पर चर्चा शायद ही कभी होती है। यह एक गंभीर सवाल उठाता है कि आखिर क्यों वे लोग, जो स्वयं अधिवक्ता रहे हैं, अपने समुदाय के लिए आवाज नहीं उठाते? क्या सत्ता की कुर्सी उनके कर्तव्यों को भुला देती है? यह स्थिति न केवल अधिवक्ताओं के लिए, बल्कि पूरे समाज के लिए एक चिंता का विषय है, क्योंकि अधिवक्ता ही हैं जो कानून और न्याय के प्रहरी के रूप में समाज को दिशा दिखाते हैं।अधिवक्ता परिषद: सीमित संसाधनों में संघर्षअधिवक्ताओं की अपनी संस्था, जिसे अधिवक्ता परिषद या बार काउंसिल के नाम से जाना जाता है, कुछ हद तक उनके कल्याण के लिए कार्य करती है। यह संस्था विभिन्न गतिविधियों और शुल्क के माध्यम से फंड एकत्र करती है, जिसका उपयोग अधिवक्ताओं के हित में किया जाता है। लेकिन यह फंड इतना सीमित होता है कि वह अधिवक्ताओं की समस्याओं का समाधान करने में नाकाफी साबित होता है। बिना सरकारी सहायता के यह संस्था कितने दिन तक इस बोझ को उठा पाएगी, यह एक बड़ा सवाल है।समाधान की दिशा में कदमअधिवक्ताओं की स्थिति को सुधारने के लिए सरकार को तत्काल कुछ ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है। कुछ संभावित उपाय निम्नलिखित हो सकते हैं:आर्थिक सहायता योजना: सरकार को अधिवक्ताओं के लिए एक विशेष आर्थिक सहायता योजना शुरू करनी चाहिए, विशेष रूप से नए और संघर्षरत अधिवक्ताओं के लिए। यह योजना स्टाइपेंड, लोन, या अन्य वित्तीय सहायता के रूप में हो सकती है।स्वास्थ्य बीमा: अधिवक्ताओं के लिए एक राष्ट्रीय स्तर की स्वास्थ्य बीमा योजना शुरू की जानी चाहिए, जो उनकी चिकित्सा आवश्यकताओं को पूरा कर सके।सुरक्षा के उपाय: अधिवक्ता कई बार विवादास्पद मामलों में शामिल होते हैं, जिसके कारण उनकी सुरक्षा को खतरा हो सकता है। सरकार को उनकी सुरक्षा के लिए विशेष प्रावधान करने चाहिए।अधिवक्ता परिषद को आर्थिक मदद: बार काउंसिल और अधिवक्ता परिषद को सरकार की ओर से नियमित आर्थिक सहायता प्रदान की जानी चाहिए, ताकि वे अपने कल्याणकारी कार्यों को और प्रभावी ढंग से कर सकें।पेंशन योजना: वरिष्ठ अधिवक्ताओं, जो लंबे समय तक समाज की सेवा करते हैं, के लिए एक पेंशन योजना शुरू की जानी चाहिए।निष्कर्षअधिवक्ता समाज का वह आधार हैं, जो कानून और न्याय की नींव को मजबूत करते हैं। फिर भी, उनकी स्थिति की उपेक्षा न केवल उनके लिए, बल्कि पूरे समाज के लिए हानिकारक है। सरकार और समाज को मिलकर यह सुनिश्चित करना होगा कि अधिवक्ताओं को वह सम्मान, सुरक्षा, और सहायता मिले, जिसके वे हकदार हैं। यह समय है कि हम सब मिलकर अधिवक्ताओं की अनसुनी पुकार को सुनें और उनके कल्याण के लिए ठोस कदम उठाएं। यदि सरकार इस दिशा में गंभीरता से विचार करे और अधिवक्ता परिषद को आर्थिक व नीतिगत सहायता प्रदान करे, तो निश्चित रूप से अधिवक्ताओं की स्थिति में सुधार होगा और वे समाज की सेवा और भी बेहतर ढंग से कर सकेंगे। यह एक सामूहिक जिम्मेदारी है कि हम अपने समाज के इन प्रहरियों के हितों की रक्षा करें। आइए, हम सब मिलकर इस दिशा में एक सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास करें।

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