लोकेशन बोकारो से ब्यूरो रिपोर्ट
दामोदर नदी के किनारे अवैध बालू उत्खनन का मामला बना गंभीर चिंता का विषयसूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार उच्च स्तरीय जांच की मांग: बोकारो में अवैध बालू उत्खनन और पर्यावरण विनाशबोकारो जिला, झारखंड के चास अंचल अंतर्गत भतुआ मौजा में दामोदर नदी के किनारे अवैध बालू उत्खनन का मामला गंभीर चिंता का विषय बन गया है। यह क्षेत्र, जो कभी हरे-भरे पलाश, पीपल, शीमल और अन्य पेड़-पौधों से आच्छादित था, अब बालू माफियाओं की लूट का शिकार हो रहा है। स्थानीय लोगों के अनुसार, इन माफियाओं ने न केवल सैकड़ों पेड़ों को काट डाला, बल्कि 30 घनफीट तक मिट्टी हटाकर बालू का अवैध उत्खनन भी किया जा रहा है। इस गैरकानूनी गतिविधि ने पर्यावरण को भारी नुकसान पहुंचाया है और स्थानीय पारिस्थितिकी तंत्र को खतरे में डाल दिया है।स्थानीय प्रशासन की निष्क्रियता
स्थानीय निवासियों ने इस मामले को बार-बार जिला उपायुक्त, जिला खनन विभाग, और सेल बोकारो स्टील प्लांट के अधिकारियों के समक्ष उठाया है। खनन विभाग द्वारा दो-तीन बार छापेमारी और हरला थाना में अज्ञात लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने के बावजूद, अवैध उत्खनन का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा। स्थानीय लोगों का आरोप है कि बालू माफियाओं की मिलीभगत थाना पुलिस और खनन विभाग के कुछ अधिकारियों के साथ है। माफियाओं ने कथित तौर पर धमकी दी है कि वे प्रशासन को "मैनेज" कर चुके हैं और किसी का कुछ नहीं बिगाड़ सकते।सेल बोकारो की जमीन पर खतराभतुआ मौजा में लगभग 1,000 एकड़ जमीन सेल बोकारो स्टील प्लांट के अधीन है। सेल द्वारा भी एक बार छापेमारी की गई थी, लेकिन बालू माफियाओं ने उनकी टीम को घेर लिया, जिसके बाद सेल के अधिकारी इस मामले पर चुप्पी साधे हुए हैं। यह स्थिति न केवल कानून-व्यवस्था की विफलता को दर्शाती है, बल्कि कॉर्पोरेट और सरकारी संस्थानों की निष्क्रियता को भी उजागर करती है।प्रत्यक्षदर्शी का साहस और धमकियांपिछले सप्ताह एक स्थानीय निवासी ने अवैध उत्खनन को रोकने की कोशिश की, लेकिन माफियाओं ने उन्हें रंगदारी का झूठा मुकदमा दर्ज करने की धमकी दी। इस निवासी ने उत्खनन स्थल की तस्वीरें और वीडियो भी रिकॉर्ड किए, जो इस गैरकानूनी गतिविधि के सबूत के रूप में प्रशासन को सौंपे गए हैं। इसके बावजूद, रोजाना 200 से अधिक ट्रैक्टर बालू लेकर क्षेत्र से निकल रहे हैं, और यह सब कथित तौर पर थाना पुलिस की नाक के नीचे हो रहा है।मीडिया की भूमिका और जनजागरूकता
इस अवैध गतिविधि को कई बार दैनिक समाचार पत्रों में उजागर किया गया है, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। यह स्थिति न केवल स्थानीय प्रशासन की लापरवाही को दर्शाती है, बल्कि यह भी सवाल उठाती है कि आखिर इतने बड़े पैमाने पर अवैध उत्खनन बिना किसी संरक्षण के कैसे संभव है?आवश्यक कदम और अपीलयह मामला पर्यावरण संरक्षण, कानून-व्यवस्था, और स्थानीय समुदाय के हितों से जुड़ा है। इसकी उच्च स्तरीय जांच निम्नलिखित बिंदुओं पर केंद्रित होनी चाहिए:बालू माफियाओं और स्थानीय प्रशासन के बीच कथित सांठगांठ की जांच।पेड़ों की अवैध कटाई और पर्यावरणीय क्षति का आकलन।सेल बोकारो की जमीन पर हो रहे अवैध कब्जे और उत्खनन पर रोक।दैनिक ट्रैक्टरों की आवाजाही और बालू के अवैध व्यापार की निगरानी।स्थानीय निवासियों और पर्यावरण प्रेमियों ने झारखंड सरकार, केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय, और राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) से इस मामले में तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है। यह समय है कि प्रशासन इस पर्यावरणीय और सामाजिक आपदा को गंभीरता से ले और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करे।निष्कर्ष
भतुआ मौजा में हो रहा अवैध बालू उत्खनन केवल एक स्थानीय समस्या नहीं, बल्कि यह पर्यावरणीय लूट और प्रशासनिक विफलता का प्रतीक है। यदि समय रहते इस पर रोक नहीं लगाई गई, तो दामोदर नदी का पारिस्थितिकी तंत्र और स्थानीय समुदाय का जीवन और भी खतरे में पड़ सकता है। यह एक ऐसी लड़ाई है, जिसमें जनता, मीडिया, और प्रशासन को एकजुट होकर काम करना होगा।लेखक का नोट: यह लेख स्थानीय निवासी द्वारा प्रदान किए गए आवेदन और उपलब्ध जानकारी पर आधारित है। उच्च स्तरीय जांच और त्वरित कार्रवाई ही इस समस्या का समाधान कर सकती है।