रेहान ख़ान रिपोर्टर फर्रुखाबाद उत्तर प्रदेश
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फर्रुखाबाद में मोहर्रम के मौके पर हरी भरी अनोखे ताजिये
मोहर्रम की पहली तारीख से ताजिया रखने की परंपरा रही है शिया सुन्नी मुसलमानो के साथ ही दुसरे धर्मो के लोग भी इसमें बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेते है इसके लिए हज़रत इमाम हुसैन की शहदत की याद मे तारीख को कर्बला में दफन करते हैंताज़िया बनाने मे लोगो की कारीगरी और हुनर भी नज़र आता है
इस दौरान हर शहर मे कुछ विशेष ताज़िया बनाने का भी चलन है
ऐसे ही ताजीये फर्रुखाबाद मे एक दो अकीदतमंद परिवार हरी भरी घास के बनाते है l
मोहल्ला हाता मंझले खां भीकामपुरा निवासी दिलशाद खां ने बताया कि हालो के बीज की घास उगा कर ताज़िया हमारा परिवार पिछले 90 साल से बनाया जा रहा है पहले हमारे दादा यॉर मोहम्मद उसके बाद पिता लाल मोहम्मद बनाते थे lदिलशाद ने बताया कि पहले हम हम लोग बास की मदद से ढाँचा बनाते है इसके बाद खजूर की पत्तों से बनी चटाई और उसके ऊपर रुई सिलने के पानी से पूरा भिगो दिया जाता है इसके बाद मोहर्रम की तीन तारीख को इसमें हालो के बीज लगाया जाता है और लगातार पानी डाला जाता है दिलशाद ने बताया की इसके बनने मे लागत 40 से 50 हज़ार रूपए और मेहनत बहुत अधिक लगती है हम लोग किसी से कोई चंदा नहीं लेते हैं और पूरा इसको बनाने मे मदद करता है
वाइट दिलशाद खा