मानसून की बारिश ने जिले की तमाम ग्राम पंचायतों की सफाई व्यवस्था की पोल खोल
*ब्यूरो रिपोर्ट - पंकज तिवारी, TTN24 न्यूज़*
_चित्रकूट -_*बारिश में खुली ग्राम पंचायतों की साफ-सफाई की पोल, कीचड़, गंदगी और जलभराव ने ग्रामीणों की जिंदगी बनाई नरक समान जिन गांवों को कागजों में 'स्वच्छ और आदर्श पंचायत' घोषित किया गया था, वहीं अब जलभराव, बजबजाती नालियां और गंदगी से पटे रास्ते ग्रामीणों के लिए मुसीबत का सबब बन गए हैं। बारिश शुरू होते ही गांवों की गलियों में पानी भर गया है। नालियों की सफाई न होने से गंदा पानी सड़कों पर फैल रहा है, जिससे ग्रामीणों को आवागमन में भारी कठनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि ग्राम पंचायत द्वारा सफाई का सिर्फ दिखावा किया जाता है। हकीकत में महीनों से कचरा नहीं उठाया गया, नालियों की सफाई नहीं हुई और बजट सिर्फ कागजों में खर्च हुआ। *कीचड़ और गंदगी से भरे रास्ते, घरों में घुसा पानी -* कई गांवों में हालात इतने खराब हैं कि घरों में गंदा पानी घुसने लगा है। बच्चे और बुजुर्ग कीचड़ से भरे रास्तों से फिसलते-पड़ते स्कूल और बाजार जाने को मजबूर हैं। कहीं-कहीं तो रास्ते पूरी तरह बंद हो गए हैं। ग्रामीणों ने बताया कि कई बार शिकायतें करने के बावजूद भी प्रधान और सचिव ने कोई ठोस कार्रवाई नहीं की। *स्वास्थ्य पर मंडरा रहा खतरा -* बारिश के पानी में नालियों का गंदा पानी मिल जाने से बीमारियों का खतरा भी बढ़ गया है। डायरिया, मलेरिया और बुखार के मरीज तेजी से सामने आ रहे हैं। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर भीड़ बढ़ने लगी है लेकिन सफाई की स्थिति जस की तस बनी हुई है। *फर्जी रिपोर्टिंग और कागजी विकास -* ग्राम पंचायतों में सफाई, नाली निर्माण और जल निकासी पर लाखों रुपये का बजट पास होता है, लेकिन जमीनी स्तर पर उसका उपयोग सवालों के घेरे में है। ग्रामीणों का आरोप है कि अधिकारी और पंचायत प्रतिनिधि मिलकर बजट की बंदरबांट करते हैं और सिर्फ फर्जी फोटो खींचकर पोर्टल पर अपलोड कर देते हैं। *प्रशासन खामोश, जनता परेशान -* सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या पंचायतों की इस लापरवाही पर कोई सख्त कदम उठाया जाएगा? क्या जिम्मेदार अधिकारियों और कर्मचारियों पर कार्रवाई होगी? या फिर हर साल की तरह इस बार भी ग्रामीणों को बारिश में नरकीय जीवन जीने के लिए छोड़ दिया जाएगा?