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बोकारो: बोकारो में बढ़ती अपराध दर और पुलिस की चुनौतियाँ

 

लोकेशन बोकारो से नेशनल हैड अधिवक्ता राजेश कुमार 

कलम से शीर्षक।  बोकारो में बढ़ती अपराध दर और पुलिस की चुनौतियाँ 

बोकारो// अपराधियों ने दी बोकारो पुलिस को खुली चुनौती, चास थाना क्षेत्र के बाईपास रोड स्थित आस्था ज्वेलर्स में शाम 6:15 बजे हुई डकैती। दो बाइक सवार में आए थे चार हथियारबंद अपराधी, दुकान में रखें सभी सोने का जेवर लेकर आगे अपराधी, दुकान में रखे 100 और 500 की दो बंडल भी लेकर भागे अपराधी। मौके पर पहुंची पुलिस, भीड़ भाड़ के इलाके में घटना को अपराधियों ने दिया अंजाम।


बोकारो, झारखंड का एक प्रमुख औद्योगिक शहर, हाल के दिनों में अपराध की बढ़ती घटनाओं के कारण चर्चा में है। हाल ही में चास थाना क्षेत्र के बाईपास रोड पर स्थित आस्था ज्वेलर्स में हुई सशस्त्र डकैती ने न केवल स्थानीय निवासियों को स्तब्ध कर दिया, बल्कि बोकारो पुलिस की कार्यक्षमता पर भी सवाल उठाए। शाम 6:15 बजे, भीड़-भाड़ वाले इलाके में चार हथियारबंद अपराधियों ने दो बाइकों पर सवार होकर इस घटना को अंजाम दिया। उन्होंने दुकान से सभी सोने के जेवर और नकदी (100 और 500 रुपये की दो बंडल) लूट लिए और आसानी से फरार हो गए। यह घटना अपराधियों की बेखौफ हिम्मत और पुलिस की लचर व्यवस्था को दर्शाती है। इसके साथ ही, समाजवादी पार्टी (सपा) से जुड़े कुछ तत्वों के प्रभाव और पुलिस की कथित वसूली की प्रवृत्ति ने जनता का विश्वास डगमगाया है। इस निबंध में, बोकारो की अपराध स्थिति, पुलिस की भूमिका, और नए एसपी के समक्ष चुनौतियों का विश्लेषण किया जाएगा।बोकारो में अपराध की स्थिति

बोकारो, जो कभी अपनी शांति और औद्योगिक प्रगति के लिए जाना जाता था, अब डकैती, चोरी, और अन्य अपराधों का गढ़ बनता जा रहा है। आस्था ज्वेलर्स डकैती इसका ताजा उदाहरण है। अपराधियों ने न केवल दिनदहाड़े लूटपाट की, बल्कि पुलिस को खुली चुनौती दी। इससे पहले, बालीडीह थाना क्षेत्र में एक अंतरराज्यीय डकैत गिरोह का पर्दाफाश हुआ था, जिसमें चार कुख्यात अपराधी पकड़े गए। ये घटनाएँ दर्शाती हैं कि अपराधी संगठित और निडर होकर काम कर रहे हैं। सीसीटीवी फुटेज नष्ट करने जैसे उनके तरीके पुलिस की तकनीकी कमजोरियों को उजागर करते हैं। भीड़-भाड़ वाले क्षेत्रों में ऐसी वारदातें होने से जनता में भय का माहौल है, और लोग अपनी सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं।पुलिस की भूमिका और चुनौतियाँ

बोकारो पुलिस की कार्यशैली पर लंबे समय से सवाल उठते रहे हैं। आस्था ज्वेलर्स डकैती के बाद पुलिस मौके पर तो पहुँची, लेकिन अपराधियों का कोई सुराग नहीं मिला। यह पुलिस की त्वरित प्रतिक्रिया और खुफिया तंत्र की कमी को दर्शाता है। इसके अलावा, स्थानीय लोगों का आरोप है कि पुलिसकर्मी अक्सर दोपहिया वाहनों की जाँच के नाम पर आम नागरिकों को परेशान करते हैं और वसूली में लिप्त रहते हैं। यह प्रवृत्ति न केवल पुलिस की छवि को धूमिल करती है, बल्कि असली अपराधियों को पकड़ने में बाधा डालती है। अपराधी आसानी से वारदात को अंजाम देकर निकल जाते हैं, जबकि पुलिस छोटे-मोटे मामलों में उलझी रहती है।नए पुलिस अधीक्षक (एसपी) हरविंदर सिंह, जिन्होंने मई 2025 में कार्यभार संभाला, ने बोकारो को अपराधमुक्त बनाने का संकल्प लिया था। उन्होंने अपराध नियंत्रण और यातायात व्यवस्था सुधारने की बात कही, लेकिन हाल की घटनाएँ दर्शाती हैं कि अभी बहुत कुछ किया जाना बाकी है। पुलिस थानों में शिकायतों का त्वरित निपटारा और महिला अपराधों की रोकथाम जैसे उनके वादे अब तक पूरी तरह लागू नहीं हो पाए हैं। जनता का यह भी कहना है कि एसपी का कार्यालय जनसंपर्क से दूरी बनाए रखता है, जिससे लोगों की समस्याएँ अनसुनी रह जाती हैं।सपा का प्रभाव और पुलिस की निष्क्रियता

बोकारो में समाजवादी पार्टी (सपा) से जुड़े कुछ तत्वों का प्रभाव भी एक चिंता का विषय है। स्थानीय लोग मानते हैं कि सपा के कुछ नेताओं का अपराधियों के साथ गठजोड़ हो सकता है, जिसके कारण पुलिस पर दबाव पड़ता है। संभल हिंसा मामले में सपा सांसद जियाउर्रहमान बर्क और उनके सहयोगियों पर हिंसा भड़काने के आरोप लगे थे, जो सपा की विवादास्पद भूमिका को दर्शाते हैं। बोकारो में भी ऐसी अफवाहें हैं कि कुछ अपराधी राजनीतिक संरक्षण के कारण बेखौफ हैं। यह स्थिति पुलिस के लिए एक बड़ी चुनौती है, क्योंकि राजनीतिक दबाव उनकी निष्पक्षता को प्रभावित करता है। पुलिस की कथित वसूली की प्रवृत्ति भी इस समस्या को बढ़ाती है। दोपहिया वाहनों की जाँच के दौरान पुलिसकर्मियों द्वारा आम नागरिकों से पैसे माँगने की शिकायतें आम हैं। यह न केवल पुलिस की विश्वसनीयता को कम करता है, बल्कि अपराधियों को पकड़ने में संसाधनों का दुरुपयोग भी करता है। जब पुलिस छोटे-मोटे मामलों में व्यस्त रहती है, तो संगठित अपराधी आसानी से अपने मंसूबों को अंजाम दे देते हैं।नए एसपी के समक्ष चुनौतियाँ

नए एसपी हरविंदर सिंह के सामने कई चुनौतियाँ हैं। सबसे पहले, उन्हें पुलिस के खुफिया तंत्र को मजबूत करना होगा ताकि अपराधियों की गतिविधियों पर पहले से नजर रखी जा सके। दूसरा, पुलिसकर्मियों की जवाबदेही सुनिश्चित करनी होगी ताकि वसूली जैसी गतिविधियाँ बंद हों। तीसरा, राजनीतिक दबाव से मुक्त होकर निष्पक्ष कार्रवाई करनी होगी, विशेषकर उन मामलों में जहाँ सपा जैसे दलों का प्रभाव संदिग्ध है। इसके अलावा, जनता के साथ बेहतर संवाद स्थापित करना होगा ताकि उनका विश्वास जीता जा सके।एसपी ने अपराधमुक्त बोकारो का लक्ष्य रखा है, लेकिन इसके लिए ठोस कदम उठाने होंगे। उदाहरण के लिए, छपरा में पुलिस ने रोको-टोको अभियान शुरू कर अपराधियों पर नकेल कसी है। बोकारो में भी ऐसी पहल की जरूरत है। सीसीटीवी नेटवर्क को मजबूत करना, रात में गश्त बढ़ाना, और संगठित अपराधियों के खिलाफ विशेष अभियान चलाना कुछ जरूरी कदम हो सकते हैं।निष्कर्ष

बोकारो में आस्था ज्वेलर्स डकैती जैसी घटनाएँ पुलिस और प्रशासन के लिए एक चेतावनी हैं। अपराधियों की बढ़ती हिम्मत, पुलिस की लचर व्यवस्था, और सपा जैसे दलों का कथित प्रभाव इस समस्या को और जटिल बनाते हैं। नए एसपी हरविंदर सिंह के पास शहर को अपराधमुक्त बनाने का अवसर है, लेकिन इसके लिए उन्हें पुलिस सुधार, जनसंपर्क, और निष्पक्ष कार्रवाई पर ध्यान देना होगा। जनता की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए पुलिस को वसूली जैसे कृत्यों से ऊपर उठकर असली अपराधियों पर नकेल कसनी होगी। तभी बोकारो फिर से शांति और समृद्धि का प्रतीक बन सकेगा

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