नया बाजार पखांजूर संगम चौक से सोहगांव पुलिया तक सड़क हुआ तालाब में तब्दील।
संवाददाता/ स्वतंत्र नामदेव कांकेर ब्यूरो
पहली मानसूनी बारिश ने सड़कों के दावों की पोल खोल दी है। संगम चौक से सोहगांव पुलिया तक जाने वाला रास्ता अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है। पहली ही बारिश में सड़क पर बने गहरे गड्ढे पानी से लबालब भर गए हैं, जिससे सड़क का नामोनिशान मिटता दिख रहा है। यह मार्ग अब किसी तालाब से कम नहीं लग रहा, और इस पर चलना राहगीरों के लिए किसी बड़े जोखिम से कम नहीं है।स्थानीय निवासियों का कहना है कि सड़क की हालत लंबे समय से खराब थी, लेकिन प्रशासन ने इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया।
आलम यह है कि बारिश के पानी से भरे गड्ढे दिखते ही नहीं, जिससे दोपहिया वाहन चालकों और पैदल यात्रियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। कई लोग इन छिपे हुए गड्ढों में गिरकर चोटिल हो चुके हैं। ग्रामीणों का आरोप है कि जल निकासी की उचित व्यवस्था न होने के कारण भी पानी सड़क पर जमा हो जाता है, जिससे स्थिति और भी भयावह हो गई है।
दैनिक यात्रियों में से एक, रमेश कुमार ने बताया, "रोज इस रास्ते से गुजरना पड़ता है, लेकिन अब तो डर लगता है। गड्ढों का अंदाजा ही नहीं लगता और गाड़ी कभी भी डगमगा जाती है। छोटे बच्चों और बुजुर्गों के लिए तो यह रास्ता मौत का कुआं बन गया है।" स्थानीय दुकानदारों का व्यवसाय भी प्रभावित हो रहा है, क्योंकि ग्राहक खराब रास्ते के कारण आने से कतरा रहे हैं।
जनता अब प्रशासन से सवाल पूछ रही है कि आखिर उनकी सुरक्षा के साथ खिलवाड़ कब तक किया जाएगा।
इस गंभीर समस्या पर जिला प्रशासन की चुप्पी समझ से परे है और लोगों में भारी आक्रोश है।
अब देखना यह है कि प्रशासन कब नींद से जागेगा और संगम चौक से सोहगांव की पुलिया तक के इस जानलेवा रास्ते को दुरुस्त करेगा।
इस संबंध में नगर पंचायत अध्यक्ष पखांजूर नारायण चंद्र साहा से बात करने पर उन्होंने बताया संगम चौक से सोहगांव पुलिया तक हर साल नगर पंचायत की ओर से रिपेयरिंग कार्य किया जाता है इस वर्ष भी यही योजना है, पानी निकासी के लिए नाली सफाई कार्य एवं जहां नाली नहीं है जल्द ही वैकल्पिक रूप से कच्ची नाली बनवा दी जाएगी।
इस संबंध में एसडीओ लोक निर्माण विभाग पखांजूर एके मिलिंद से बात करने पर उन्होंने बताया यह सड़क प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के अंतर्गत आता है, कॉलेज रोड होने के कारण छोटे-मोटे गढ्ढे हम लोग भर देते हैं परंतु बड़े मरम्मत कार्य करने में हमारी असमर्थता है।