*फर्रुखाबाद उत्तर प्रदेश*
*रेहान ख़ान रिपोर्टर 9452755077*
*हेडलाइन*
बंदरों के आतंक से लोग परेशान, नहीं हो रहा समाधान l पूर्व प्रधान दिलशाद सिद्दीकी
फर्रुखाबाद थाना मऊदरवाज़ा क्षेत्र गांव तुर्कीपुर से बंदरोंके आतंक निरंतर बढ़ने से लोग परेशान हैं। गांव तुर्कीपुर के प्रधान दिलशाद से बार-बार लोगो ने बंदरों से छुटकारा दिलाने की मांग करते रहे हैं, लेकिन समाधान नहीं हो रहा है। निरंतर कस्बे में बढ़ रही बंदरों की संख्या के कारण लोग घरों में कैद होने को मजबूर हो गए है lपूर्व प्रधान दिलशाद सिद्दीकी ने कहा कि गांव के एक बुजुर्ग आदमी को बंदर ने छत से फेंक दिया उनकी टांग टूट गई 4 महीने हो गए पलंग पर पड़े हुएकई महिलाओं और बच्चों को भी बंदर काट चुका है हम सरकार से निवेदन करते हैं कि जल्द से जल्द बंदरों से निजात दिलाई जाए l
बंदरों से बचने के लिए लोग हजारों रुपए खर्च करके लोहे के जाल लगवा रहे हैं। बंदर हर रोज किसी किसी वार्ड में बच्चों, बुजुर्गों, राहगीरों महिलाओं को काट रहे हैं। लोगों ने कहा कि जिला प्रशासन को चाहिए कि वह बंदरों को पकड़वा कर इनके आतंक से छुटकारा दिलाए।
गलियोंमें निकलना हुआ मुश्किल : बंदरोंकी बढ़ रही संख्या के चलते गलियों में लोगों का निकला मुश्किल हो गया है। बंदरों की टोलियां घरों में घुस कर घर में रखा सामान उठा कर ले जाती हैं। बंदरों के डर से गलियों में, छतों पर बच्चे नहीं खेलते हैं। महिलाएं भी छतों पर कपड़े सुखाने के बाद उनकी रखवाली करती हैं। बंदर छतों पर सूखने वाले कपड़े ले जाते हैं। घरों के आगे बंदरों के आतंक से बचने के लिए जाल हजारों रुपए खर्च करके लोग लगवा रहे हैं।दिलवाएंगे छुटकारा
बंदरोंके आतंक का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि अस्पताल में हर रोज तीन से चार केस आते हैं जिन्हें बंदरों ने काटा हुआ है। बंदर के काटने के बाद रेबीज का इंजेक्शन लगाया जाता है। निरंतर मरीजों की संख्या बढ़ रही है।
अकेले नहीं जा सकते : रुखसानाबंदरोंका आतंक इतना है कि गली से राहगीर अकेले नहीं जा सकता है। गलियों की दीवार पर बंदर टोलियों के साथ बैठे रहते हैं। बंदर हर रोज किसी किसी गांव में बच्चों, राहगीरों, महिलाओं को काट रहे हैं। कई बार गाँव तुर्कीपुर से बंदरों से छुटकारा दिलाने की मांग कर चुके हैं लेकिन समाधान नहीं हो रहा है।
साजिद खान जिला उपाध्यक्ष अल्पसंख्यक मोर्चा ने कहा कि गांव तुर्कीपुर की समस्या हम सरकार तक पहुंचेगे l
लोहे के जाल लगवाने पड़े
बंदरोंका इतना आतंक है कि घरों पर लोहे के जाल लगवाने पड़ रहे हैं। बच्चे छत्त, गली में अकेले खेल नहीं सकते हैं। अभिभावकों को डर रहता है कि बच्चों को बंदर काट लें। बंदरों की संख्या निरंतर बढ़ रही है।'
बंद पड़े मकानों में बंदरों का झूंड।
वाइट पूर्व प्रधान दिलशाद सिद्दीकी तुर्कीपुर