चंडीगढ़ के आईटी इंटरप्रेन्योर ने अनाउंस किया नेचुरल इंटेलिजेंस दावा एआई से आगे
करमजीत परवाना,
चंडीगढ़ ।
सोमवार को नेचुरल इंटेलिजेंस के अनाउंस के दौरान मीडिया से बात करते हुए आईटी कंपनी अलोहा इंटेलिजेंस के फाउंडर सिद्धांत ने कहा कि यह कोई प्रोडक्ट लॉन्च नहीं है, यह एक टेक्निक रीसेट है। यह एआई का अंत और नेचुरल इंटेलिजेंस का उदय है। सिद्धांत ने दावा किया कि दुनिया धीरे-धीरे महसूस कर रही है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का युग खत्म हो गया है, अब समय है नेचुरल इंटेलिजेंस का।
सालों तक सिद्धांत ने कटिंग एज आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सिस्टम बनाए। उन्होंने उसे इस्तेमाल किया, उसकी सीमाएं जानी और फिर उन्होंने महसूस किया ये सिस्टम इंसानों के लिए नहीं बने। इनमें रफ्तार थी, लेकिन समझ नहीं, डेटा था, लेकिन भावना नहीं।
इसलिए उन्होंने बनाया नेचुरल इंटेलिजेंस जो एक ऐसा सिस्टम है जो इंसान की तरह सुनता है, सोचता है, और जवाब देता है। इसमें कमांड नहीं, कन्वर्सेशन है, इसमें ऑटोमेशन नहीं, कनेक्शन है।
अलोहा दुनिया की पहली ऐसी कंपनी है जो पूरी तरह नेचुरल इंटेलिजेंस पर आधारित है। ये न केवल लोगों के लिए बना है, बल्कि मशीनों के लिए भी एक रियल टाइम थिंकिंग ब्रेन की तरह काम करता है। इससे सॉफ्टवेयर, "ऐप्स" और ह्यूमन लाइक डिवाइस बन जाते हैं।
“चाहे एक छात्र आरटीआई भरना चाहता हो, या एक माता-पिता एफआईआर लिखना चाहें, अलोहा उनका साथ देता है। और वो भी इतनी कम कीमत में। इस सिस्टम में न ऐड हैं, न सर्विलांस, न ही डिस्ट्रेक्शन। बस सच्ची और साफ़ तकनीक है।
सिद्धांत कहते हैं कि इंटेलिजेंस का मतलब तेज़ नहीं, सही होना चाहिए। मेरा मकसद टेक्नोलॉजी को वापस लोगों के हाथ में देना है । नेचुरल इंटेलिजेंस इंसानों के साथ-साथ मशीनों को भी समझदार बनाती है। अब सिस्टम ऑटोमेशन से आगे बढ़कर समझदारी और मानवता की दिशा में काम कर रहे हैं।
सिद्धांत ने कहा कि अलोहा इंटेलिजेंस भारत में बना है, भारत के लिए बना है। यह "सिलिकॉन वैली" को फॉलो नहीं करता — यह अपनी भाषा बोलता है। यह भारत की ज़मीन से निकली आवाज़ है, जो अब दुनिया सुन रही है।