विनोद कुमार पांडे ब्यूरो चीफ
चिरमिरी की.जनता का क्या कसूर? चुने हुए जनप्रतिनिधियों की गलतियों और सरकारों की चुप्पी के बीच पिसती चिरमिरी की आम जनता
पूर्व कांग्रेस कार्यकाल में लिए गए गलत राजनीतिक और प्रशासनिक फैसलों का खामियाजा आज चिरमिरी की आम जनता भुगत रही है, वहीं वर्तमान सत्ताधारी सरकार की उदासीनता ने इन घावों को और गहरा कर दिया है। नगर निगम क्षेत्र डोमन हिल में करोड़ों रुपए की लागत से कराए गए निर्माण कार्य आज अधूरे, जर्जर और लावारिस हालत में पड़े हैं, जिससे चिरमिरी के 40 वार्डों के नागरिक खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं।पूर्व कांग्रेस शासनकाल के दौरान नगर निगम द्वारा एसईसीएल की भूमि डोमन हिल क्षेत्र. मंगल भवन निर्माण पर बिना एनओसी लिए लगभग 2 करोड़ 75 लाख रुपए की लागत से मंगल भवन का निर्माण कराया गया। सूत्रों के अनुसार निर्माण शुरू होने से पहले ही एसईसीएल प्रबंधन ने नगर निगम को लिखित आपत्ति देकर निर्माण रोकने की जानकारी दी थी, लेकिन तत्कालीन कांग्रेस जनप्रतिनिधियों, निगम अधिकारियों और इंजीनियरों ने इन आपत्तियों को नजरअंदाज कर काम जारी रखा। मामला अंततः न्यायालय पहुंचा और आदेश के बाद निर्माण पर रोक लग गई। उस समय तक लगभग 75 प्रतिशत निर्माण कार्य पूरा हो चुका था।
आज वही मंगल भवन लावारिस हालत में खड़ा है। करोड़ों की लागत से बने इस भवन की खिड़कियां, दरवाजे और ईंट तक चोरी हो रही हैं, लेकिन न तो पूर्व की कांग्रेस सरकार इसकी जिम्मेदारी स्वीकार कर रही है और न ही वर्तमान सत्ताधारी भाजपा सरकार इसकी सुरक्षा, देखरेख या समाधान की दिशा में कोई ठोस कदम उठाती नजर आ रही है।
मंगल भवन ही नहीं, बल्कि चिरमिरी के अन्य महत्वपूर्ण निर्माण कार्य भी इसी राजनीतिक उदासीनता की भेंट चढ़ गए हैं। हल्दीबाड़ी से बड़ी बाजार पहुंच मार्ग पर 25 लाख रुपए की लागत से बनाई गई चौपाटी और बड़ी बाजार से रेलवे स्टेशन पहुंच मार्ग पर 13 लाख रुपए की लागत से किए गए सड़क निर्माण कार्य पर भी स्टे लगा हुआ है। तीन बड़े प्रोजेक्ट रुकने से चिरमिरी का विकास मानो अंधेरे में लटक गया है।
सबसे बड़ा सवाल यह है कि जनता का इसमें क्या कसूर है। चिरमिरीवासियों ने पूर्व में भी अपने जनप्रतिनिधि लोकतांत्रिक प्रक्रिया के तहत चुने थे और वर्तमान में भी चुने हैं, लेकिन जनप्रतिनिधियों की गलतियों और सरकारों की आपसी राजनीति का दंश आम नागरिकों को झेलना पड़ रहा है। पूर्व कांग्रेस सरकार की गलत नीतियों और निर्णयों ने इन परियोजनाओं को विवादों में डाला, वहीं वर्तमान सरकार इन अटके कार्यों को सुलझाने के बजाय चुप्पी साधे बैठी है।शहर में विभागीय कार्यालय. और वर्तमान सत्ताधारी कार्यालय में जनता के भरोसे और विश्वास पर.जगह-जगह लिखे गए नारे ‘हमने बनाया है, हम संवारेंगे’ अब जनता के लिए सवाल बन चुके हैं। चिरमिरी की जनता पूछ रही है कि यदि निर्माण कांग्रेस ने कराया था, तो उसे कौन.संवारेगा क्या हमने बनाया है सिर्फ हम सवारेंगे कांग्रेस ने बनाया है हम नहीं सवारेंगे चिरमिरी शहर के 40 वार्डों की जनता और शहर पूछ रहा है इस रुके हुए निर्माण कार्य भवन चौपाटी और रेलवे पहुंच मार्ग को ना वर्तमान सरकार कोई बात करती है ना पूर्व की सरकार इस पर विपक्ष की भूमिका उठाते हुए निर्माण रुके हुए कार्य की बात करती है लावारिस पड़े निर्माण भवन चोरों के हवाले
यदि वर्तमान में भाजपा की सरकार है, तो फिर विकास को आगे बढ़ाने में देरी क्यों हो रही है। चिरमिरी के रुके हुए पूर्व कांग्रेस कल कल के समय निर्माण कार्य पर लगे ग्रहण क्या वर्तमान सरकार की जिम्मेदारी नहीं है उसे चालू करने की जनता क्या-क्या कसूर भाजपा के द्वारा जनता के विश्वास कर कहा जाता है हमने बनाया हम सावरेंगे तो कांग्रेस ने बनाया तो क्या यह नहीं सब आएंगे किसकी जवाबदारी है सत्ताधारी सरकार चाहे तो इस रुके हुए ग्रहण पर निर्माण चालू कराकर चिरमिरी को बड़ी उपलब्धियां दे सकती है लेकिन राजनीति में पिसता शहर चिरमिरी दोनों सत्ताधारी के बीच में
आज हालात यह हैं कि दो राजनीतिक दलों के बीच चिरमिरी का विकास झूलता हुआ नजर आ रहा है। अधूरे निर्माण कार्य, बर्बाद होती सार्वजनिक संपत्ति और जवाब का इंतजार करती जनता यह पूछने को मजबूर है कि आखिर इन करोड़ों के कामों को कब पूरा किया जाएगा और चिरमिरी को विकास की रोशनी की ओर कौन ले जाएगा।

