रेलवे की उपेक्षा: फर्रुखाबाद-मैनपुरी-कन्नौज मार्ग पर 'कालिंदी' के भरोसे दिल्ली का सफर, जनरल कोच में 'सांस लेना' भी दूभर
रिपोर्ट सौरभ दीक्षित जिला संबाददाता फर्रुखाबाद
फर्रुखाबाद/मैनपुरी/कन्नौज: उत्तर प्रदेश के तीन प्रमुख जिलों—फर्रुखाबाद, मैनपुरी और कन्नौज—से देश की राजधानी दिल्ली की ओर जाने वाले यात्रियों की संख्या लाखों में है। लेकिन रेल कनेक्टिविटी के मामले में इन जिलों की स्थिति आज भी दयनीय बनी हुई है। आलम यह है कि पूरे क्षेत्र से दिल्ली को जोड़ने वाली एकमात्र दैनिक ट्रेन 'कालिंदी एक्सप्रेस' है, जिसमें जनरल डिब्बों की हालत किसी युद्ध क्षेत्र से कम नहीं होती।एक ही सहारा, भारी भीड़ का नज़ारा
इस रूट पर वर्तमान में 14117 कालिंदी एक्सप्रेस ही एकमात्र ऐसी ट्रेन है जो रोजाना दिल्ली के लिए उपलब्ध है। दूसरी साप्ताहिक ट्रेन 14151 (कानपुर-आनंद विहार एक्सप्रेस) केवल रविवार को चलती है। इन दो ट्रेनों के भरोसे तीन जिलों के यात्री निर्भर हैं। दैनिक यात्रियों का कहना है कि जनरल बोगियों में पैर रखने तक की जगह नहीं होती। स्थिति यह है कि लोग टॉयलेट के पास और दरवाजों पर लटककर सफर करने को मजबूर हैं।
रूट का गणित: ट्रेनें तो हैं, पर दिल्ली दूर है
क्षेत्रीय नेटवर्क पर नजर डालें तो फर्रुखाबाद से मैनपुरी और कन्नौज के बीच ट्रेनों की संख्या ठीक-ठाक है, लेकिन वे दिल्ली तक का सफर पूरा नहीं करतीं:
फर्रुखाबाद-कन्नौज: इस रूट पर लगभग 18 ट्रेनें (पैसेंजर व एक्सप्रेस) चलती हैं, लेकिन इनमें से अधिकांश स्थानीय कनेक्टिविटी तक सीमित हैं।
फर्रुखाबाद-मैनपुरी: करीब 60 किमी की इस दूरी के लिए 3 से 5 ट्रेनें उपलब्ध हैं, जो मुख्य लाइन से कनेक्ट तो करती हैं पर सीधी दिल्ली नहीं जातीं।
यात्रियों की मुख्य समस्याएं: क्यों है नाराजगी?
सीमित विकल्प: रोजाना केवल एक ट्रेन होने के कारण सारा दबाव 'कालिंदी' पर आ जाता है।
जनरल कोच की किल्लत: लंबी दूरी की यात्रा होने के बावजूद जनरल कोच की संख्या कम है, जिससे गरीब और मध्यम वर्ग के यात्री सबसे ज्यादा परेशान होते हैं।
कनेक्टिविटी का अभाव: मैनपुरी और फर्रुखाबाद व्यापारिक केंद्र हैं (आलू और जरी-जरदोजी के लिए प्रसिद्ध), फिर भी दिल्ली के लिए सीधी ट्रेनों की कमी व्यापार को भी प्रभावित कर रही है।
जनता की मांग: कम से कम एक और दैनिक ट्रेन
स्थानीय निवासियों और यात्रियों की मांग है कि रेलवे प्रशासन इस रूट पर गंभीरता से विचार करे। नागरिकों का कहना है कि:
"जब यात्री भार इतना अधिक है, तो रेलवे को कम से कम एक और नई दैनिक एक्सप्रेस ट्रेन या इंटरसिटी चलानी चाहिए। मौजूदा कालिंदी एक्सप्रेस में चढ़ना जान जोखिम में डालने जैसा है।"
निष्कर्ष
सालों से लंबित इस मांग पर रेल मंत्रालय की चुप्पी क्षेत्र के विकास पर सवालिया निशान लगाती है। क्या फर्रुखाबाद, मैनपुरी और कन्नौज के लोगों को कभी सम्मानजनक रेल सफर नसीब होगा? यह एक ऐसा सवाल है जिसका उत्तर आने वाले समय में रेलवे के विस्तार कार्यों से ही मिलेगा।
