विनोद कुमार पांडे ब्यूरो चीफ
** चिरमिरी– नगर निगम और.मनेन्द्रगढ़ में जंगलराज!
बंदरो. के.दहशत में पूरा शहर जी रहा. हर रोज.काट रहे.है, बंदर लोगों को.भालू घुस रहे, शहर के अंदर.सड़कें. मे. गायों से रोड भर रहती है आए दिन मुख मार्ग पर जगह-जगह लेकिन वन विभाग और निगम के अधिकारी सिर्फ अवार्ड ले रहे हैं!एमसीबी जिला चिरमिरी और मनेन्द्रगढ़ क्षेत्र में इन दिनों हालात इतने खराब हो चुके हैं कि लोग कहना शुरू कर चुके हैं —
“शहर कम… जंगल ज्यादा लगने लगा है।”
जहाँ आम आदमी दहशत में जी रहा है, वहीं जिम्मेदार विभागों का हाल ऐसा है जैसे यह शहर उनकी प्राथमिकता और जिम्मेदारी कुछ भी नहीं है
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🐒 चिरमिरी मे बंदरों का आतंक अब काटने-मारने तक पहुँच चुका — 40 वार्डों में हाहाकार
चिरमिरी के लगभग 40 वार्डों में बंदरों का अत्यधिक आतंक फैला हुआ है।
स्थिति अब सिर्फ ‘प्रकोप’ दहशत.से आगे जाकर सीधा हमला और काटने तक पहुँच चुकी है।
लोग शिकायत कर रहे हैं कि —
बंदर काट रहे हैं,
मारने के लिए पीछे दौड़ रहे हैं,
कपड़े सुखाने नहीं दे रहे, छत पर या बाहर कपड़े नहीं सुखा सकते
घर के बाहर कुछ भी रखने नहीं दे रहे,
आंगन में बैठना मुश्किल,
छत और खिड़कियों पर कब्जा,
बच्चों और महिलाओं पर लगातार हमले। सुबह 5:00 भर से रात भर हमला करते हैं और छत पर कूदते हैं कई लोगों को तो लगातार शिकार भी बना रहे हैं और काट रहे हैं रात में भी यह चैन से नहीं सोने देते हैं पुरी रात छत पर मडराते.हैं
यह आतंक हर घर की रोज की कहानी बन चुका है।
💰 जीएम कम्प्लेक्स में बंदर पकड़ने पर खर्च… लेकिन बाकी 40 वार्डों का क्या?वन विभाग ने चिरमिरी के जीएम कम्प्लेक्स में बड़ी टीम बनाकर बंदर पकड़ने पर खर्च जरूर किया,
लेकिन बाकी पूरा शहर…?
बाकी 40 वार्ड…?
चिरमिरी की जनता पूछ रही है:
“क्या हम नागरिक नहीं? क्या हमारे घरों में आतंक कम है?”
कहां है व्हाट के पार्षद और जिम्मेदार जनप्रतिनिधि जो बड़े वादे और जनता के सुख-दुख और वार्ड के विकास और सुख दुख में खड़े रहने वाले क्या इनकी जिम्मेदारी भी नहीं बनती बंदरों से मुक्त कराया जाए एक तरफ वन विभाग की कार्यवाही
वन विभाग की यह कार्यशैली जनता को सौतेला व्यवहार लग रही है।
शहर में या चर्चा का विषय बना हुआ है की स्पेशल ही सिर्फ सोशल मीडिया पर और दिखाने के लिए सिर्फ एक ही वार्ड जीएम कंपलेक्स में बंदर को पकड़ने का अभियान चलाया गया कई खर्च करके उसके बाद बाकी वार्डों में किसी प्रकार का कोई बंदरों को पकड़ने की प्रक्रिया नहीं की गई वन विभाग द्वारा जो भगवान भरोसे बाकी वार्ड बंदरों के आतंक और हमले से बचने के लिए छोड़ दिया गया।
एमसीबी जिला के वन मंडल अधिकारी मनीष कश्यप को‘पुरस्कार’ और ‘विवादित बयान’ — जिम्मेदारी शून्य
सबसे चौंकाने वाली बात—
जिन अधिकारियों पर शहर की सुरक्षा की जिम्मेदारी है,
जिन पर बंदरों और भालुओं से राहत दिलाने का दायित्व है,
उन्हीं वन विभाग अधिकारियों को हाल ही में अवार्ड से सम्मानित किया गया!
जबकि जनता पूछ रही है:
किस काम का अवार्ड?
किस उपलब्धि का सम्मान?
जब शहर जल रहा है, तब विभाग सो क्यों रहा है?
इसी बीच कुछ दिन पहले
वन विभाग के अधिकारी द्वारा जनप्रतिनिधि और पत्रकारों के प्रति विवादित, भद्र भाषा में बात करने का मामला भी चर्चा में आया था।
मगर इसके बावजूद
न कोई कार्रवाई, न जिम्मेदारी, न ना ऐसे अधिकारी का ट्रांसफर किया गया ना कोई बड़ी कार्यवाही इन पर की गई ना
सुधार — अधिकारी उसी कुर्सी पर अब भी विराजमान।
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🐻 मनेन्द्रगढ़ में भालुओं की घुसपैठ — हादसे का काउंटडाउन शुरू
भालू लगातार
बस्तियों में,
खेतों में,
सड़कों पर
घूमते दिखाई दे रहे हैं।
लोग साफ कह रहे हैं —
“प्रशासन किसी बड़े हादसे का इंतज़ार कर रहा है।” कोई बड़ी दुर्घटना हादसा होने पर किसकी जवाबदारी होगी कौन इस हादसे का जवाबदार होगा वन विभाग अधिकारी जनप्रतिनिधि या फिर शहर वासियों को अपनी सुरक्षा स्वयं करना पड़ेगा और यह खुद की जवाबदारी होगी
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चिरमिरी.के
🐄 सड़कें गौशाला बनीं — गायों से मुख्य मार्ग जाम, खतरा हर पल
चिरमिरी के प्रमुख मार्ग
हल्दीबाड़ी से सरभोका, बड़ी बाजार से पेट्रोल पंप तक
हर जगह पालक द्वारा छोड़ी गई गायें सड़कों को कब्जा किए बैठी हैं।
शर्मनाक हाल यह कि
नगर निगम कार्यालय के सामने,
एसडीएम कार्यालय के सामने, आए दिन खासकर मंगलवार बड़ी बाजार बाजार वाले दिन दिन भी या यह बड़ी संख्या में देखने मिलता है और उसके बाद भी शहर में जाम जैसे स्थिति बने रहती है और चिरमिरी के एसडीएम दंड अनुविभाग्य अधिकारी किसी प्रकार की कोई कार्यवाही नहीं करते हैं कोई उनकी जिम्मेदारी नहीं बनती है और ना ही नगर निगम प्रशासन की कोई जिम्मेदारी बनती है आए दिन इन सड़कों पर बैठे पशु गायों के द्वारा टू व्हीलर फोर व्हीलर के हाथ से एक्सीडेंट हो रहे हैं और कई बड़ी दुर्घटना होने की संभावना बनी हुई है जबकि शहर की बड़ी जवाबदारी एसडीएम अधिकारी की होती है जिस पर गांव पलको के ऊपर चालान और जुर्माना की बड़ी कार्यवाही करनी चाहिए जिससे यह पशु को मतलब निकालने के बाद जो रोड पर छोड़ देते हैं यह ना छोड़े और दुर्घटना और हादसा होने से चिरमिरी शहर बच सके
बड़ी बाजार,
शिशु मंदिर स्कूल के बाहर
गायों का स्थायी जमावड़ा दिख जाता है। परमानेंट शिशु मंदिर स्कूल से तहसील एसडीएम कार्यालय तक आए दिन जाम की स्थिति इन गायों के द्वारा लगे रहती है और निकलते हैं एसडीएम तहसीलदार और कई बड़े अधिकारी मगर किसी के द्वारा किसी प्रकार का कोई कार्रवाई या संज्ञान नहीं लिया जाता है
जब.की चिरमिरी नगर निगम
कांजी हाउस है, गाड़ियाँ हैं, कर्मचारी हैं —
लेकिन पकड़ने का काम शून्य।
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वन विभाग और निगम की चुप्पी — जनता समझ चुकी है कि ‘सिस्टम नींद में है’
बंदर काट रहे हैं
भालू बस्ती में
सड़कें गायों से भरी
दुर्घटनाएँ बढ़ रही
और बड़े हादसा होने का इंतजार किया जा रहा है इन सभी विभागीय अधिकारी के द्वारा जिम्मेदारी के प्रति नहीं निभा रहे हैं अपना फर्ज
महिलाएँ और बच्चे सुरक्षित नहीं
लेकिन विभागों का रवैया — मौन, निष्क्रिय, लापरवाह
जनता पूछ रही है:
“इस शहर में कौन जागेगा? जनता या प्रशासन?”
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अंतिम सवाल — कब तक जनता आतंक झेलेगी?
हर नागरिक आज यही पूछ रहा है—
बंदरों के काटने से कौन बचाएगा?
भालू अगर किसी पर झपट पड़ा तो जिम्मेदार कौन?
सड़कों पर बैठी गायों से होने वाली दुर्घटनाओं की जवाबदेही किसकी?
अवार्ड लेने वाले अधिकारी शहर की जमीनी हकीकत कब देखेंगे?
विवादित बयानों और अहंकार से ऊपर उठकर कब काम करेंगे?


