विनोद कुमार पांडे ब्यूरो चीफ
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चिरमिरी लोकेशन
छत्तीसगढ़ में नया विवाद — अब शिक्षक करेंगे आवारा कुत्तों की निगरानी, गुरुओं का काम पढ़ाना है या कुत्ते गिनना?
छत्तीसगढ़ शिक्षा विभाग के नए आदेश ने बड़े विवाद को जन्म दिया है। निर्देश के अनुसार अब स्कूल शिक्षक परिसर और आसपास घूम रहे आवारा कुत्तों की जानकारी स्थानीय निकायों को देंगे। प्राचार्य को इस काम का नोडल अधिकारी भी बनाया गया है।---
शिक्षकों पर बढ़ा बोझ — पढ़ाएं या सरकारी काम करें?
शिक्षक पहले से ही कई गैर-शैक्षणिक कामों में उलझे हैं—
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अब कुत्ता निगरानी की जिम्मेदारी भी जोड़ दी गई है।
शिक्षकों की सीधी प्रतिक्रिया —
“हम पढ़ाएं या सर्वे करें या कुत्तों का रिकॉर्ड बनाएं?”
बच्चों की परीक्षाएं करीब हैं, और शिक्षक स्कूल से बाहर सरकारी कामों में व्यस्त हैं।अभिभावकों और शिक्षकों का सवाल —
“बच्चों का भविष्य कौन संभालेगा? पढ़ाई का समय कौन लौटाएगा?”
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सम्मान पर चोट — गुरुजी या ‘मल्टी-टास्क कर्मचारी’?
शिक्षकों का कहना है कि ऐसे आदेश से समाज में उनकी छवि प्रभावित होती है।
लोग मज़ाक में कह रहे हैं —
“अब गुरुजी कुत्ते गिनेंगे!”
यह स्थिति बच्चों पर भी गलत असर छोड़ती है।
नगर निगम, पंचायत और पशुधन विभाग की है,
लेकिन निगरानी का बोझ शिक्षकों पर डाल दिया गया है।
शिक्षकों का सवाल —
“कुत्ता बताएगा कि मेरी नसबंदी हुई है? यह कागजी भ्रष्टाचार है।”
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मुख्य सवाल — गुरुजी कब पढ़ाएंगे?
शिक्षा सुधार तभी संभव है जब शिक्षक को पढ़ाने का समय मिले।
सरकार को तय करना होगा—
क्या गुरुजी SIR सर्वे, चुनाव, फॉर्म, कुत्ता निगरानी करेंगे
या
बच्चों की शिक्षा संभालेंगे?


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