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सिकंदराबाद: दुर्घटनाओं, अप्रत्याशित घटनाओं और नुकसानों से प्रभावित पीड़ितों को शीघ्र न्याय दिलाने के उद्देश्य से रेलवे क्लेम्स ट्रिब्यूनल की स्थापना की गई

 नल्लापु.तिरूपति, 

ब्यूरो चीफ तेलंगाना.

सेल नंबर:-9701617770,

Date:28-10-2025.

लोकेशन:- सिकंदराबाद.


दिनांक:

28 अक्तूबर, 2025

रेलवे में होने वाली दुर्घटनाओं, अप्रत्याशित घटनाओं, नुकसान आदि से संबंधित मुआवज़ा और दावों के निपटारे के लिए रेलवे क्लेम्स ट्रिब्यूनल कार्यरत हैं।

उपरोक्त विषयों से संबंधित मामले दर्ज करने के इच्छुक आम जनता से अनुरोध है कि वे केवल संबंधित रेलवे क्लेम्स ट्रिब्यूनल की पीठों में ही मामले दर्ज करें।


भारतीय रेलवे अधिनियम, 1989 की धारा 124 एवं 124A के अंतर्गत दुर्घटनाओं, अप्रत्याशित घटनाओं और नुकसानों से प्रभावित पीड़ितों को शीघ्र न्याय दिलाने के उद्देश्य से रेलवे क्लेम्स ट्रिब्यूनल की स्थापना की गई है।


वर्तमान में, दक्षिण मध्य रेलवे ज़ोन के अंतर्गत —

(i) तेलंगाना राज्य के मामलों के लिए सिकंदराबाद,

(ii) आंध्र प्रदेश राज्य के मामलों के लिए अमरावती (गुंटूर),

(iii) महाराष्ट्र राज्य के मामलों के लिए नागपुर और मुंबई, तथा

(iv) कर्नाटक राज्य के मामलों के लिए बेंगलुरु —

में रेलवे क्लेम्स ट्रिब्यूनल की पीठें कार्यरत हैं।

इनका उद्देश्य जनता द्वारा दायर किए गए मामलों और विभिन्न दावों का त्वरित निपटारा करना है।


रेलवे क्लेम्स ट्रिब्यूनल का अधिकार क्षेत्र


(a) रेलवे द्वारा परिवहन हेतु सौंपे गए जानवरों या वस्तुओं के नुकसान, क्षति, खराब होने, न डिलीवर होने या कम मात्रा में डिलीवरी होने की स्थिति में मुआवज़े का भुगतान।

(b) किराए की वापसी, माल परिवहन के लिए चुकाई गई राशि की वापसी से संबंधित दावे।

(c) धारा 124 और 124-A के अंतर्गत रेल दुर्घटनाओं या किसी भी अप्रत्याशित घटना में यात्रियों की मृत्यु या चोट के लिए मुआवज़ा।

भारतीय रेलवे अधिनियम की धाराओं 124, 124-A और 125 का संक्षिप्त विवरण:


धारा 124 (रेलवे की देयता):

रेलवे के संचालन के दौरान यदि किसी ट्रेन या यात्रियों को ले जाने वाले ट्रेन के किसी भाग में दुर्घटना होती है, तो उसके परिणामस्वरूप हुई मृत्यु या चोट के लिए रेलवे प्रशासन उतनी ही सीमा तक मुआवज़ा देने के लिए उत्तरदायी होगा, जितनी सीमा अधिनियम में निर्धारित की गई है।


धारा 124-A (अप्रत्याशित घटना के लिए मुआवज़ा):

रेलवे संचालन के दौरान यदि कोई अप्रत्याशित घटना घटती है और उसके परिणामस्वरूप किसी यात्री की मृत्यु या चोट होती है, तो रेलवे प्रशासन उतनी ही सीमा तक मुआवज़ा देने के लिए बाध्य होगा, जितनी सीमा अधिनियम में निर्धारित है।


हालांकि, निम्नलिखित परिस्थितियों में मुआवज़ा देय नहीं होगा —

(क) आत्महत्या या आत्महत्या का प्रयास

(ख) स्वयं को पहुंचाई गई चोट

(ग) स्वयं की अपराधपूर्ण क्रिया

(घ) नशे या पागलपन की स्थिति में की गई क्रिया

(ङ) किसी प्राकृतिक कारण, बीमारी या चिकित्सा/शल्य चिकित्सा उपचार के कारण, बशर्ते कि वह उपचार उक्त घटना में लगी चोट के कारण आवश्यक न हो।

धारा 125:

धारा 124 या 124-A के अंतर्गत मुआवज़े के लिए आवेदन घायल व्यक्ति, उसके अधिकृत प्रतिनिधि या यदि वह नाबालिग है तो उसके अभिभावक द्वारा रेलवे क्लेम्स ट्रिब्यूनल में दायर किया जा सकता है। यदि दुर्घटना या घटना में मृत्यु होती है, तो यह आवेदन आश्रितों द्वारा या उनके लाभ के लिए किया जा सकता है।


मुआवज़े के लिए सामान्य दिशा-निर्देश:


धारा 124 और 124-A के अंतर्गत मुआवज़े के लिए आवेदन घटना की तारीख से एक वर्ष के भीतर संबंधित रेलवे क्लेम्स ट्रिब्यूनल में दायर किया जाना चाहिए।

आवेदन उस ट्रिब्यूनल में दायर किया जा सकता है जो घटना के स्थान या दावेदार के निवास स्थान के क्षेत्राधिकार में आता है।

इन धाराओं के अंतर्गत आवेदन दाखिल करने या किसी प्रक्रिया के निष्पादन हेतु कोई शुल्क देय नहीं है।

रेलवे क्लेम्स ट्रिब्यूनल के आदेश के विरुद्ध अपील संबंधित उच्च न्यायालय में की जा सकती है।


तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और महाराष्ट्र राज्यों के रेल यात्रियों के लिए सिकंदराबाद, अमरावती (गुंटूर), बेंगलुरु, मुंबई और नागपुर में रेलवे क्लेम्स ट्रिब्यूनल की पीठें उपलब्ध हैं।


दक्षिण मध्य रेलवे यात्रियों से अनुरोध करती है कि वे अपने मामलों को समय पर सुलझाने के लिए केवल संबंधित अधिकार क्षेत्र वाली रेलवे क्लेम्स ट्रिब्यूनल पीठों में ही केस दर्ज करें।



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