ऐतिहासिक रामलीला महोत्सव में की सूर्पनखा नाक कटी, तो ले आयी खर-दूषण को, खर-दूषण वध के बाद, रावण ने मारीच से की वार्ता
रिपोर्ट एम एस वर्मा, मनोज कुमार TTN 24
Etawah News: जसवन्त नगर की रामलीला में आज सूर्पनखा की नाक काटने और खर-दूषण वध लीला के बाद रावण-मारीच वार्ता हुई।
जसवंतनगर/इटावा: शुक्रवार को विश्व प्रसिद्ध ऐतिहासिक मैदानी रामलीला महोत्सव में पंचवटी में राम, लक्ष्मण व सीता बैठे हुए थे तभी वन में घूमती हुई सूर्पनखा वहां पहुंचती है। जब सूर्पनखा की दृष्टि राम के सुंदर स्वरूप पर पड़ती है तो वह मोहित हो जाती है और खुद एक बहुत ही सुंदर स्त्री का रूप धारण करके राम के पास जाकर अपने भाई रावण व विस्तृत साम्राज्य का परिचय देते हुए राम से उनका परिचय एवं वन आने का कारण पूछती है। तब राम उसे बताते हैं कि मैं अयोध्या नरेश दशरथ का पुत्र राम हूँ और यहां अपनी पत्नी सीता व भाई लक्ष्मण सहित बनबास काट रहा हूँ। जब सूर्पनखा अपने विवाह का प्रस्ताव राम के सम्मुख रखती है तो राम अपने विवाहित होने की बात कहते हैं तब सूर्पनखा लक्ष्मण के सम्मुख अपने विवाह का प्रस्ताव लेकर जाती है। तो लक्ष्मण सूर्पनखा को ये कहकर वापस भेज देते हैं कि मैं तो अपने भाई का एक सेवक मात्र हूँ तो क्या तुम एक राजकुमारी होकर भी एक सेविका बनना पसन्द करोगी, तुम्हें तो किसी राजकुमार को अपना वर चयन करना चाहिए। सूर्पनखा वापस राम के सम्मुख जाकर एक बार पुनः अपने विवाह का प्रस्ताव रखती है तो राम सीता की ओर इशारा कर देते हैं। सूर्पनखा इसे अपना उपहास समझती है और गुस्से में सीता को मारने के लिए झपटती है वैसे ही राम का इशारा पाकर लक्ष्मण सीता की नाक काट देते हैं।
कटी काट के साथ सूर्पनखा अपने प्रिय भाई खर और दूषण के पास जाकर उन्हें बताती है कि वन में 2 वीर आए हैं उनके साथ एक सुंदर स्त्री भी है। मैंने उस जैसी सुंदर स्त्री नहीं देखी इसलिए उस स्त्री को बड़े भाई रावण की पटरानी बनाने की इच्छा जताई तो उसके पति व देवर ने मेरी नाक काट दी । यह सुनकर क्रोधित हुए खर और दूषण अपनी विशाल सेना के साथ राम लक्ष्मण से युद्ध करने पहुंचते हैं तो राम मोहिनी अस्त्र का प्रहार करते हैं और असुरों को अपने साथी असुरों में राम की क्षवि दिखने लगती है और खर-दूषण की सेना आपस में लड़कर मृत्यु को प्राप्त होती है। अंत में खर और दूषण श्रीराम के हाथों मारे जाते हैं।
जब सूर्पनखा ये सब घटना अपने बड़े भाई रावण को सुनाती है और सीता के रूप सौंदर्य का बखान करते हुए कहतीं है कि ऐसी सुंदर स्त्री तो अपने महल में होनी चाहिए तब रावण सूर्पनखा की बातों में आ जाता है और रावण अपने मामा मारीच को बुला लेता है और दोनों मिलकर सीता हरण की योजना बनाने लगते हैं। इसी के साथ आज की लीला का समापन होता है।
जसवन्त नगर की रामलीला से नगर व क्षेत्रवासियों का एक अलग ही लगाव रहता है यही कारण है कि रामलीला आते ही लोग कहीं भी क्यों न हों वे जसवन्त नगर वापस अवश्य ही आ जाते हैं। देश के साथ विदेशी में रह रहे भारतीयों को भी अपनी रामलीला बहुत याद आती हैं।
इस अवसर पर शूर्पणखा की भूमिका संजू मसाले वाले ने निभाई और अपने अभिनय से दर्शकों का मन मोह लिया। व्यास की भूमिका रामकृष्ण दुबे और उमेश नारायण चौधरी ने निभाई। भगवान राम की भूमिका अभय चौधरी, सीता की गोपाल पारासर और लक्ष्मण की भूमिका गोपाल बाजपेई ने अदा की।रामलीला को सफल बनाने में समिति प्रबंधक राजीव गुप्ता बबलू,उपप्रबंधक ठाकुर अजेन्द्र सिंह गौर, उपाध्यक्ष हीरालाल गुप्ता, विशाल गुप्ता, प्रभाकर दुबे सहित पूरी समिति का सराहनीय योगदान रहा शनिवार की रामलीला में मारीच वध, सीता हरण, कवंध वध और सुग्रीव मिलन की लीलाओं का मंचन किया जाएगा।
कल की लीला में मारीच वध, सीता हरण, कबंध वध, सुग्रीव मिलाई आदि लीलाएं आयोजित की जाएंगीं।
