विश्वकर्मा पूजा की धूम मूर्तिकार दे रहे मूर्तियों को अंतिम रूप।
पत्रकार- स्वतंत्र नामदेव
कांकेर जिला ब्यूरो
विश्वकर्मा पूजा की तैयारियां पूरे परलकोट में धूमधाम से चल रही हैं, और इसी के साथ बाजारों में भी रौनक बढ़ गई है। मूर्तिकार अपनी कला को अंतिम रूप देने में जुटे हैं, ताकि वे समय पर मूर्तियों को ग्राहकों तक पहुंचा सकें।
इस वर्ष विश्वकर्मा पूजा 17 सितंबर को मनाई जाएगी, जो भगवान विश्वकर्मा को समर्पित है, जिन्हें देवताओं का वास्तुकार और इंजीनियर माना जाता है। इस दिन मशीनों, औजारों और कारखानों की विशेष पूजा की जाती है।
बाजारों में मूर्तियों की मांग काफी अधिक है, खासकर भगवान विश्वकर्मा और अन्य देवी-देवताओं की मूर्तियों की। मूर्तिकार दिन-रात काम कर रहे हैं ताकि सभी ऑर्डर पूरे किए जा सकें। परलकोट के मूर्तिकार महादेव सम्मदर बताते हैं, "इस साल अच्छी मांग है, इसलिए हम पूरी मेहनत से काम कर रहे हैं। मूर्तियों को रंगने, सजाने और उन पर अंतिम टच देने का काम चल रहा है।"
इस साल बाजारों में अलग-अलग आकार और कीमतों की मूर्तियां उपलब्ध हैं, जो छोटे और बड़े दोनों तरह के कारीगरों और व्यवसायियों के लिए उपयुक्त हैं। मूर्तियों की सजावट में भी पारंपरिक और आधुनिक शैलियों का मिश्रण देखने को मिल रहा है।
विश्वकर्मा पूजा न सिर्फ कारीगरों और व्यवसायों के लिए एक महत्वपूर्ण त्योहार है, बल्कि यह उनकी कला और मेहनत का भी सम्मान करता है। यह दिन उन सभी लोगों के लिए एक खास अवसर है जो अपनी कुशलता और श्रम से समाज को आगे बढ़ाते हैं।