विनोद कुमार पांडे ब्यूरो चीफ सैलानी की खबर
“चिरमिरी की आठ प्रस्तावित राशन दुकानें 5 माह से अटकी — अनुभागीय अधिकारी की लीपापोती से महिला समूह लाभ से वंचित, आवंटित प्रक्रिया लटकाई जा रही
चिरमिरी।
एमसीबी जिला अंतर्गत चिरमिरी दंडाअनुभागीय अधिकारी (SDM) कार्यालय में उचित मूल्य दुकान (राशन दुकान) के संचालन हेतु आवेदन 14. /5./ 2025 से 28 /5../ 2025 तक आमंत्रित किए गए थे। प्रक्रिया पूरी होने के बाद नए आवंटन होने थे, ताकि महिला स्व-सहायता समूहों को प्राथमिकता दी जा सके। लेकिन पांच महीने बीत जाने के बाद भी आठ प्रस्तावित दुकानों का आवंटन कार्यवाही नहीं किया गया।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, ये आठों दुकानें अब तक “प्रस्तावित” स्थिति में ही संचालित हो रही हैं — यानी स्थायी रूप से किसी को भी आवंटित नहीं की गई हैं। इससे सीधे तौर पर वर्तमान संचालकों को फायदा पहुंच रहा है, जबकि दर्जनों,से भी ज्यादा.महिला समूह आवेदन देकर 5 माह से से चक्कर काट रहे हैं।
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आठ प्रस्तावित दुकानें (विवरण)
1. अब्दुल हमीद वार्ड – क्रमांक 2, कार्ड संख्या 548 (प्रस्तावित)
2. संत रामकृष्ण वार्ड – क्रमांक 16, कार्ड संख्या 442 (प्रस्तावित)
3. संत कबीरदास वार्ड – क्रमांक 18, कार्ड संख्या 254 (प्रस्तावित)
4. विवेकानंद वार्ड – क्रमांक 24, कार्ड संख्या 258 (प्रस्तावित)
5. राजीव गांधी वार्ड – क्रमांक 36, कार्ड संख्या 200 (प्रस्तावित)
6. सरोजिनी नायडू वार्ड – क्रमांक 38, कार्ड संख्या 266 (प्रस्तावित)
7. भगत सिंह वार्ड – क्रमांक 40, कार्ड संख्या 479 (प्रस्तावित)
8. मौलाना आजाद वार्ड – क्रमांक 4, कार्ड संख्या 458 (प्रस्तावित)
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महिला समूह वंचित — पुरुष समिति का कब्जा
राज्य सरकार की योजना के अनुसार उचित मूल्य दुकानों का संचालन महिला स्व-सहायता समूहों को प्राथमिकता के साथ सौंपा जाना है, ताकि उन्हें आत्मनिर्भर बनाया जा सके। इसके बावजूद चिरमिरी की आठों दुकानें पुराने दर पर पुरुष समितियों/समूहों द्वारा चलाई जा रही हैं।
महिला बाल विकास विभाग और राज्य खाद्य अधिनियम की स्पष्ट नीति है कि महिला समूहों को अवसर मिले। लेकिन आवेदन देने के बाद भी महिलाओं को केवल आश्वासन दिया जा रहा है।
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18 दुकानों पर एक ही व्यक्ति का अप्रत्यक्ष कब्जा
स्थानीय चर्चाओं में यह भी सामने आया है कि चिरमिरी में लगभग 18 उचित मूल्य दुकानों पर एक ही व्यक्ति का अप्रत्यक्ष दबदबा है। अलग-अलग महिला समूहों में पुरुषों के नाम जोड़कर दुकानों का संचालन किया जा रहा है।
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निरीक्षण और पारदर्शिता पर सवाल
शिकायतें लगातार मिल रही हैं — कभी चना-शक्कर गायब, तो कभी दुकान संचालकों द्वारा उपभोक्ताओं से -चावल की खरीद-फरोख्त खुलेआम की जाती है। जबकि एक जानकारी के अनुसार या जानकारी मिली है कि नहीं सभी शासकीय उचित मूल दुकानों में
सीसीटीवी कैमरा अनिवार्य होने के बावजूद अब तक किसी भी दुकान में कैमरे नहीं लगे।
निरीक्षण (इंस्पेक्शन) के नाम पर केवल औपचारिकता निभाई जाती है, ठोस कार्रवाई कहीं नहीं होती।
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अनुभागीय अधिकारी पर गंभीर सवाल
लोगों का कहना है कि अगर आवेदन प्रक्रिया समय पर पूरी की जाती तो अब. तक.महिला समूहों को दुकानें मिल चुकी होतीं। लेकिन पांच महीने बीत जाने के बाद भी आवंटन सूची नहीं खोली गई।
इससे साफ संकेत मिलता है कि दंडानुभागीय अधिकारी (अनुभाग्य अधिकारी) की भूमिका संदिग्ध है, जबकि जिला खाद्य अधिकारी भी सह-जिम्मेदार हैं।
नतीजा
महिला समूह आज भी दर-दर भटक रहे हैं। प्रशासन की देरी और लीपापोती से चिरमिरी में यह मामला “जनचर्चा और अविश्वास का विषय” बन चुका है। सवाल यहा.उठ रहा है कि शासकीय उचित मूल्य दुकान आवंटित कार्यवाही पर लेट लतीफ जानबूझ के.किया जा रहा है राजनीतिक दबाव और सत्ताधारी समर्थक व्यक्तियों को दुकान आवंटित किया जाए जिसका दबदबा बाना हुआ है कि — आखिर कब तक प्रस्तावित दुकानों का खेल चलता रहेगा? और आवंटित कार्यवाही पूरी की जाएगी
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