डीजीपी मुख्यालय ने एसएसपी फिरोजाबाद को दिया जनसूचना देने का निर्देश
सुघर सिंह पत्रकार को नही दी जनसूचना, राज्य सूचना आयोग, प्रमुख सचिव गृह, डीजीपी, एडीजी आगरा को शिकायत
रिपोर्ट एम एस वर्मा, मनोज कुमार
फिरोजाबाद। फिरोजाबाद पुलिस के जनसूचनाअधिकारी/ अपर पुलिस अधीक्षक नगर भारत सरकार द्वारा बनाये गए जन सूचना अधिकार अधिनियम 2005 कानून की धज्जियां उड़ा रहे है। सुघर सिंह पत्रकार द्वारा फिरोजाबाद पुलिस को भेजे गए 50 से अधिक पत्रों पर जनसूचना नही दिए जाने की शिकायत सुघर सिंह पत्रकार ने राज्य सूचना आयोग व पुलिस के उच्चाधिकारियों को पत्र भेजकर की है। डीजीपी मुख्यालय द्वारा एसएसपी फिरोजाबाद को पत्र भेजकर सूचना दिए जाने का आदेश दिया है।इलेक्ट्रॉनिक एवं प्रिंट मीडिया वेलफेयर एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष सुघर सिंह पत्रकार सैफई ने बताया कि मेरे द्वारा थाना शिकोहाबाद में एक मुकदमा दर्ज कराया गया था उस मुकदमे की विवेचना ट्रांसफर करने के लिए मेरे द्वारा 50 से अधिक पत्र पंजीकृत डाक व ईमेल से पुलिस के उच्च अधिकारियों को भेजे गए थे। ईमेल व पंजीकृत डाक से उक्त पत्र एसएसपी फिरोजाबाद, अपर पुलिस अधीक्षक ग्रामीण, सीओ शिकोहाबाद को भी भेजे गए थे। उन पत्रों में किसी भी पत्र की कोई जांच नहीं हुई न ही मुझे ब्यान के लिए बुलाया गया। मेरे द्वारा 23 मई को जन सूचना अधिकार अधिनियम के तहत अपर पुलिस अधीक्षक फिरोजाबाद से जन सूचना मांगी गई जिसको सीओ शिकोहाबाद और जन सूचना अधिकारी ने नहीं दिया इसकी शिकायत मेरे द्वारा प्रमुख सचिव गृह, डीजीपी, एडीजी आगरा जोन से की गई है। एसएसपी फिरोजाबाद /प्रथम अपीलीय अधिकारी को जन सूचना न दिए जाने के संबंध में अपील भी कर दी गई है। उसके बाद भी जनसूचना नही दी गयी। डीजीपी मुख्यालय लखनऊ से एसएसपी फिरोजाबाद के लिए जन सूचना देने के लिए पत्र जारी हुआ है अब देखना है कि फिरोजाबाद के एसएसपी/ प्रथम अपीली अधिकारी जन सूचना दिलवाने में कितना सफल होते हैं।
👉 जनसूचना देने पर कई पुलिस अधिकारी फंसेंगे : सुघर सिंह पत्रकार
जनसूचना के आवेदनकर्ता सुघर सिंह पत्रकार का कहना है कि मेरे द्वारा एससी-एसटी का एक मुकदमा थाना शिकोहाबाद में दर्ज कराया गया था जिसकी जांच प्रवीण कुमार तिवारी सीओ शिकोहाबाद द्वारा की जा रही थी। उक्त मुकदमे के स्थानांतरण के लिए व सीओ के विरुद्ध शिकायत के संबंध में मेरे द्वारा 50 से अधिक पत्र मुख्यमंत्री, प्रमुख सचिव गृह, डीजीपी, एडीजी, डीआईजी, राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग, अनुसूचित जाति आयोग, को लिखे गए उक्त पत्रों में फिरोजाबाद के पुलिस अधिकारियों ने नियमों को दरकिनार करते हुए अपने पद का दुरुपयोग करते हुए पत्रों को रद्दी की टोकरी में डाल दिया और किसी भी पत्र पर कोई जांच और कार्यवाही नहीं की। ना ही अभी तक किसी शिकायत में मुझे नोटिस भेज कर ब्यान के लिए बुलाया गया। और जान बूझकर फँसने के डर से जनसूचना नही दी। अगर जनसूचना दी गयी तो कई पुलिस अधिकारी फँसेंगे।

