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चिरमिरी: कैंटीन दफाई की रहने वाली ममता सोंधिया की व्यथा ने एक बार फिर छत्तीसगढ़ की स्वास्थ्य व्यवस्था एम्बुलेंस एमरजैंसी को कठघरे में खड़ा कर दिया

  बिनोद कुमार पांडे TTN न्यूज़ ब्यूरो चीफ चिरमिरी की खबर

चिरमिरी से बड़ी खबर—

वार्ड क्रमांक 16, कैंटीन दफाई की रहने वाली ममता सोंधिया की व्यथा ने एक बार फिर छत्तीसगढ़ की स्वास्थ्य व्यवस्था एम्बुलेंस एमरजैंसी को कठघरे में खड़ा कर दिया है।


बीती रात 18 अगस्त को नौ माह की गर्भवती ममता सोंधिया दर्द से तड़पती रही। रात 11:30 बजे से उसने 108 और 112 पर कॉल किए, लेकिन एंबुलेंस नहीं आई। आखिरकार आधी रात 12 बजे उसने मदद के लिए पत्रकार व समाज.सेवी देवेंद्र सिंह चंदेल, ब्यूरो चीफ को फोन किया।


देवेंद्र सिंह चंदेल ने लगातार एंबुलेंस सेवा से संपर्क की कोशिश की, पर सफलता नहीं मिली। रात 12:50 पर मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ. राजेन्द्र राय से बात कर एंबुलेंस बुलवाई गई। लेकिन तब तक महिला को पड़ोसी के घर जाकर बच्ची को जन्म देना पड़ा। करीब दो घंटे बाद, रात 1:30 बजे एंबुलेंस आई और माँ-बच्चे को अस्पताल ले जाया गया।

लेकिन कहानी यहीं खत्म नहीं होती—

👉 ममता सोंधिया की मदद की यह पहली घटना नहीं है। पहले भी ब्यूरो चीफ देवेंद्र सिंह चंदेल एवं अंतर्राष्ट्रीय मानव अधिकार एसोसिएशन जिला एमसी मीडिया प्रभारी की पहल पर उसका राशन कार्ड बना, घर पर बिजली लगवाने का प्रयास किया गया, और क्षेत्रीय पार्षद राम अवतार की मदद से कुछ व्यवस्था भी हुई। बिजली की व्यवस्था की गई लेकिन वह भी लाइट बिजली की आधी अधूरी व्यवस्था आज तक पड़ी है घर पर 30 वर्ष से लाइट नहीं है 

👉 हाल ही में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में पत्रकार ने ममता के जर्जर घर—जहाँ न दरवाज़ा है, न शौचालय, न बारिश से बचाव की व्यवस्था—का मुद्दा छत्तीसगढ़ के जो एमसीबी जिला चिरमिरी की सबसे गरीब मध्य वर्ग की महिला जिनके घर में दरवाजे तक नहीं है स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल तक उठाया। सवाल मंत्री ने आश्वासन तो दिया, लेकिन हालात अब भी जस के तस हैं।


और अब… वही महिला प्रसव पीड़ा में तड़पती रही, एंबुलेंस समय पर नहीं आई, और मजबूरी में पड़ोसी के घर बच्ची को जन्म देना पड़ा।


सवाल यही है—

👉 जब जिला अस्पताल सिर्फ 2 किलोमीटर दूर था, तो एंबुलेंस को आने में दो घंटे क्यों लगे?

👉 क्यों 108 और 112 जैसी आपातकालीन सेवाएं बार-बार कॉल करने के बावजूद समय पर काम नहीं कर पाईं?

👉 और कब तक गरीब, बेसहारा परिवार सिर्फ आश्वासन पर ज़िंदगी काटते रहेंगे?


यह सिर्फ एक महिला की व्यथा नहीं, बल्कि पूरे छत्तीसगढ़ की स्वास्थ्य व्यवस्था और प्रशासनिक तंत्र पर बड़ा सवाल है। आखिर स्वास्थ सुविधा एम्बुलेंस एमरजैंसी क्यों 2 घंटे विलंब फोन लगने के बाद मुश्किल से नंबर लगा पता है जब तक मैरिज पेशेंट की दर्द पीड़ा से चली जाएगी जान जैसा की कल एक मामला सामने ममता सोंधिया का देखा जा रहा है रात 2:00 बजे 3:00 बजे 4:00 बजे जिला एमसी चीनी में किसी को पीड़ा दर्द या कोई तकलीफ हो नहीं है चिरमिरी जिला अस्पताल में कोई इमरजेंसी नंबर जिससे आम आदमी पेशेंट संपर्क करके अस्पताल में जा सके या सीधे एंबुलेंस को बुला सके या एक बहुत बड़ा सबक है जिला चिरमिरी एमसी के लिए आज तो सिर्फ एक गर्भवती महिला को इस पीड़ा से गुजरना पड़े अंदाजा लगाया जा सकता है कि कल को रात-विराट एमरजैंसी एम्बुलेंस की जरूरत पड़े तो उसे व्यक्ति की जान तक जा सकती है आखिर कौन इसका जिम्मेदार है कब इस पर सुधार होगा पूर्व के कांग्रेस कार्यकाल में नहीं थी ऐसी व्यवस्थाएं 1 मिनट में लगते थे फोन


 ममता सोंधिया की आर्थिक मदद और घर की जन सुविधा की फरियाद पर अब तक जनप्रतिनिधियों ने किसी प्रकार का कोई ध्यान नहीं दिया जिस पर कई सवाल खड़ा कर दिया...........

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