रिपोर्ट एम एस वर्मा, मनोज कुमार
जसवंतनगर/इटावा: भाद्र शुक्ल पंचमी से जैन समाज का दस दिवसीय दशलक्षण पर्व गुरुवार से श्रद्धा एवं उत्साह के साथ प्रारम्भ हुआ। इस अवसर पर नगर के श्री पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन मंदिर में सुबह प्रभात फेरी के साथ कार्यक्रमों का शुभारंभ हुआ।प्रथम दिन उत्तम क्षमा धर्म को समर्पित रहा। प्रभात फेरी के बाद सामूहिक अभिषेक एवं शांतिधारा का आयोजन किया गया। शांतिधारा का सौभाग्य राजकलम चिराग जैन परिवार को प्राप्त हुआ।
इस अवसर पर सांगानेर से पधारे शास्त्री श्री श्रेयांश जैन ने प्रवचन देते हुए कहा कि “कषाय की मंदता होने पर ही क्षमा उत्पन्न होती है। क्षमा धर्म आत्मा को शुद्धि की ओर अग्रसर करता है।”
उन्होंने स्व-क्षमा और पर-क्षमा के महत्व पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए बताया कि अपने द्वारा किए गए अपराधों के लिए आत्ममंथन कर क्षमा मांगना और दूसरों के अपराधों को क्षमा करना ही सच्चा धर्म है।
इस दौरान दूसरे विद्वान निखिल जैन ने भी अपने उद्बोधन मे उत्तम क्षमा के महत्व को विस्तार पूर्वक जानकारी दी।

