बिनोद कुमार पांडे --TTN 24.न्यूज़ ब्यूरो चीफ
हेडलाइन :"बरसात में टूटी झोपड़ी, बिना दरवाजे-बिजली के अंधेरे में नवजात शिशु – ममता सिंधिया की जिंदगी बनी जंग"
खबर :
चिरमिरी/एमसीबी। जिला के अंतर्गत चिरमिरी
वार्ड क्रमांक 16 हल्दीबाड़ी की ममता सिंधिया आज गरीबी, लाचारी और प्रशासनिक उपेक्षा का सबसे भीषण रूप झेल रही है। 18 अगस्त को उसने नवजात शिशु को जन्म दिया, लेकिन जिस घर में वह रह रही है, वह घर रहने लायक भी नहीं बचा।
बरसात के इन दिनों में उसके घर की छत से पानी रिस-रिस कर गिर रहा है क्योंकि छत पर पनी डाली है , दीवारें भीग चुकी हैं और चारों तरफ नमी फैली हुई है। घर में दरवाजा तक नहीं है जिससे बाहर की ठंडी हवा सीधे भीतर आकर नवजात के लिए खतरा बनी हुई ह
घर पर बिजली की व्यवस्थाएं पिछले 30 वर्षों से नहीं है किसी तरीके से बगल से बिजली पार्षद के द्वारा
खींचकर लाई गई तार से रोशनी मिल रही थी, लेकिन अब वह भी काट दी गई है। पड़ोसी के द्वारा क्योंकि उसने बोला मेरा बील ज्यादा आएगा इस कारण रातें घुप्प अंधेरे में गुजरती हैं। नवजात को डॉक्टरों ने विशेष गर्मी और सुरक्षित माहौल की जरूरत बताई है, लेकिन हकीकत यह है कि घर में चिराग तक जलाने की सुविधा नहीं है।
खाने तक की कोई व्यवस्था नहीं है, महिला दाने. दाने मोहताज हो रही है । ऊपर से उसका 13 साल का बच्चा लापता है। 1 महीने से चिरमिरी जिला अस्पताल से आज उसे से छुट्टी कर दिया जा रहा हूं सवाल उठता है कि आखिर ममता अपने शिशु और बच्चों का पालन-पोषण कैसे करेगी, जब सिर पर छत, खाने को भोजन और जलाने तक को चूल्हा नहीं है।स्थानीय लोगों ने बताया कि इस मामले की जानकारी महिला बाल विकास विभाग, एमसीबी जिला व जिम्मेदार अधिकारियों को दी गई, लेकिन अब तक कोई मदद नहीं पहुंची। इससे साफ है कि गरीब, बेसहारा और लाचार जनता आज भी प्रशासनिक संवेदनहीनता की बलि चढ़ रही है। बरसात के पहले से ही जन्म प्रतिनिधि और पार्षद से कई गुहार लगा चुकी मदद के लिए हर प्रकार के लेकिन की सभी जनप्रतिनिधि प्रशासन से किसी प्रकार की मदद नहीं मिलने से आज इस परिस्थितियों से गुजरा पड़ रहा है
---
अपेक्षा :
ऐसे हालात में जरूरत है कि ममता सिंधिया को तत्काल—
सुरक्षित निवास,
भोजन और आवश्यक सामान,
नवजात शिशु की देखभाल हेतु गर्म कपड़े व दवाइयाँ,
और बिजली की सुविधा उपलब्ध कराई जाए।
--

