क्राइम ब्यूरो _ मोहम्मद अहमद
जिला बाराबंकी
*गुमशुदगी की आड़ में रची गई फँसाने की साज़िश, पुलिस की इमानदार सजगता से चाल हुई नाकाम*
रामसनेहीघाट, बाराबंकी। गुमशुदगी की एक सामान्य सी लगने वाली सूचना अब एक गहरी साज़िश की परतें खोल रही है। ग्राम व पोस्ट वाँसगांव निवासी शिवशंकर उर्फ चिकारे की 9 जुलाई को हुई गुमशुदगी अब सिर्फ एक गुमशुदगी नहीं, बल्कि एक निर्दोष समाजसेवी को फँसाने की सोची-समझी कोशिश के रूप में सामने आ रही है। मामले में सबसे चौंकाने वाला तथ्य यह है कि गुमशुदा की तलाश में दिन-रात एक करने वाले समाजसेवी राकेश सिंह, जिन्होंने ज्यादा से ज़्यादा खर्च कर खोज, प्रचार और प्राथमिकी दर्ज करवाई, उन्हीं को झूठे मुकदमे में फँसाने की तैयारी थी। लेकिन प्रकरण पर पड़ा पर्दा तब उठा, जब राकेश के सजग रिश्तेदार ने पूरेडलई के वारिनबाग क्षेत्र में गुमशुदा शिवशंकर को देखा। जो वहाँ स्कूल में लेबर का काम कर रहा था। पूछताछ में खुलासा हुआ कि वह वहीं एक रिश्तेदार के संरक्षण में छुपाया गया था। ताकि राकेश सिंह पर झूठा मुकदमा लगवाकर उन्हें व उनके बेटों को जेल भेजा जा सके। जानकारी अनुसार मिलने की पुष्टि होने पर समाजसेवी श्री सिंह गुमशुदा को साथ लेकर रामसनेहीघाट कोतवाली पहुँचने पर उपनिरीक्षक नौशाद अली खान ने मामले को गंभीरता से लिया और निष्पक्ष जांच शुरू की। उनकी सूझबूझ और तत्परता से यह साज़िश समय रहते उजागर हो गई और एक निर्दोष की ज़िंदगी तबाह होने से बच गई। लेकिन प्रकरण को लेकर ग्रामीणों की मर्जी कुछ और ही है कि फंसाने का तानाबाना बुनने वालों को कड़ा दण्ड मिलना चाहिए। अब इस तरह के लोगों के साथ योगी सरकार संज्ञान भी देते हैं या नहीं ये तो वक्त ही बताएगा।