*युक्तियुक्तकरण के द्वारा स्कूलों को बन्द करने या विलय करने का निर्णय तत्काल रदद् किया जाए - राजेश नुरूटी*
रिपोर्ट- उत्तम बनिक पखांजूर
आदिवासी छात्र युवा संगठन, छत्तीसगढ़, प्रदेश अध्यक्ष राजेश नुरुटी प्रेस विज्ञप्ति जारी करछत्तीसगढ़ सरकार द्वारा लागू की गई स्कूलों के युक्तियुक्तकरण (Rationalization of Schools) की नीति का कड़ा विरोध करता है। इस नीति के तहत ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों के कई स्कूलों को बंद किया जा रहा है या उनका अन्य स्कूलों में विलय किया जा रहा है, जो आदिवासी बच्चों के और sc, obc सामान्य वर्ग के शिक्षा के अधिकार और उनके भविष्य के लिए गंभीर खतरा है।इस नीति से उत्पन्न होने वाली प्रमुख समस्याएं निम्नलिखित हैं:
शिक्षा तक पहुंच में बाधा: ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों में स्कूलों के बंद होने से बच्चों, विशेषकर लड़कियों और आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों के बच्चों को, दूरस्थ स्कूलों तक पहुंचने में कठिनाई होगी। इससे ड्रॉपआउट दर बढ़ने का खतरा है।शिक्षा की गुणवत्ता पर असर: स्कूलों के विलय और शिक्षकों के स्थानांतरण से कक्षाओं में भीड़ बढ़ेगी और शिक्षण कार्य प्रभावित होगा।आदिवासी संस्कृति पर खतरा: स्थानीय स्कूल आदिवासी समुदायों के सांस्कृतिक और सामाजिक केंद्र हैं। इनके बंद होने से आदिवासी पहचान और सामुदायिक एकता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।अपर्याप्त सुविधाएं: जिन स्कूलों में विलय किया जा रहा है, वहां कक्षाओं, शौचालयों, पेयजल और अन्य बुनियादी सुविधाओं की कमी है, जो बच्चों के लिए असुविधाजनक और असुरक्षित है।
हमारी मांगें:
स्कूलों को बंद करने या विलय करने का निर्णय तत्काल रद्द किया जाए।आदिवासी और ग्रामीण क्षेत्रों में स्कूलों को मजबूत करने के लिए शिक्षकों की नियुक्ति और बुनियादी ढांचे का विकास किया जाए।इस नीति पर आदिवासी समुदायों, अभिभावकों, शिक्षकों और अन्य हितधारकों के साथ पारदर्शी और समावेशी चर्चा की जाए।आदिवासी छात्र युवा संगठन, छत्तीसगढ़, सरकार से अपील करता है कि वह इस नीति पर पुनर्विचार करे और आदिवासी बच्चों के शिक्षा के अधिकार को सुनिश्चित करे। हम इस मुद्दे को लेकर जन जागरूकता अभियान चलाएंगे और आवश्यकता पड़ने पर शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन करेंगे।