हाटी समुदाय की पहचान और अधिकारों की बहाली पर राज्यसभा सांसद से मिला प्रतिनिधिमंडल
करमजीत परवाना,
प्रतिनिधिमंडल ने सांसद संधू को अवगत कराया कि केंद्र सरकार द्वारा हाटी समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिए जाने और इसे भारत के राजपत्र में प्रकाशित किए जाने के बावजूद, कुछ कानूनी चुनौतियों के कारण समुदाय को अभी तक इसका पूर्ण लाभ नहीं मिल पा रहा है। विशेष रूप से, हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट द्वारा इस कानून के अमल पर लगाई गई रोक से समुदाय में अनिश्चितता का माहौल है।
सांसद सरदार सतनाम सिंह संधू ने हाटी प्रतिनिधिमंडल की सभी चिंताओं को ध्यानपूर्वक सुना। उन्होंने समुदाय को आश्वस्त किया कि वे हाटी समुदाय के अधिकारों की सुरक्षा और उनकी पहचान की बहाली के लिए संसद में इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाएंगे। संधू ने हर संभव प्रयास करने का वादा किया ताकि गिरिपार क्षेत्र के हाटी समुदाय को उनके संवैधानिक अधिकार और लाभ पूरी तरह से मिल सकें। उन्होंने कहा कि वे इस संवेदनशील मामले में केंद्र सरकार और संबंधित राज्य अधिकारियों के साथ सक्रिय रूप से समन्वय स्थापित करेंगे।
हाटी समुदाय लंबे समय से अपनी विशिष्ट सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और सामाजिक-आर्थिक पहचान के आधार पर अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिए जाने की मांग कर रहा है। यह समुदाय अपनी अनूठी 'खुंबली' (पारंपरिक परिषद), वेशभूषा, लोकगीतों और भाषा के लिए जाना जाता है, जो इसे हिमाचल के अन्य समुदायों से अलग करती है।
इस अवसर पर हाटी समुदाय के कई प्रमुख सदस्य राजेश राजपूत उपाध्यक्ष ,सचिव रजत चौहान , कोषाध्यक्ष आदित्य चौहान , अधिवक्ता अनुज चौहान गौरव रापटा नागेंद्र सिंह एवं सीमा ठाकुर बृजेश सदस्यगण आदि भी उपस्थित रहे।