बिहार बेगूसराय
ब्यूरो मोहम्मद नबी आलम
*डॉ राहुल कुमार ने. जिला वासियों से अपील करते हुए..*
अभी गर्मी का प्रकोप अधिक है ,आइये जानते हैं गर्मी और तेज धूप के कारण होने वाली बीमारी के संदर्भ में ,लू लगना क्या होता है उसको भी हम लोग जानेंगे।
शरीर मे तापमान नियंत्रण का केंद्र ब्रेन के अंदर हाइपो थैलेमस नामक स्ट्रक्चर के द्वारा निर्धारित होती है। हाइपोथैलेमस शरीर के तापमान को (36.5डिग्री सेंटी से 37.5डिग्री सेंटी या 97.7डिग्री फोरेन हाइट से 99 डिग्री फॉरेन हाइट इसे बॉडी का set टेम्परेचर भी कहा जाता या कोर बॉडी टेम्परेचर भी कहते ) एक रेंज में नियंत्रण में रखती है।हाइपो थैलेमस को सिग्नल टेम्परेचर सेंसिटिव न्यूरॉन जो स्किन में रहते के द्वारा मिलते रहता है और उसके अनुसार वह बॉडी के हीट को नियंत्रित करता है।
ठंड के मौसम में खून की नली को सिकुड़ा कर ,शिवेरिंग कर हीट लॉस कम करता ,गर्मी के मौसम में खून की नली को फैला कर तथा स्वेटिंग के माध्यम से हीट लॉस को बढ़ाता है , एवम बॉडी के कोर टेम्परेचर को एक रेंज में नियंत्रित रखता है। अत्यधिक गर्मी या तेज धूप से जब कोई व्यक्ति प्रभावित होता है तो उसे हीट रिलेटेड चार तरह की समस्या हो सकती है। (1) हीट क्रेम्प (2) हीट सिनकोप (3)हीट exhaustion(4) हीट स्ट्रोक। हीट क्रेम्प में मरीज के muscle में painfull कॉन्ट्रेक्शन होता है यह अधिक पसीना चलने से सोडियम की कमी से होता है ,इसका इलाज ors पानी के साथ लेना तथा intra venous नार्मल सेलाइन देना होता है , प्लेन पानी देने से नुकसान हो सकता है दूसरी समस्या होती है ,हीट सिनकोप इस में मरीज कुछ क्षण के लिए बेहोश हो जाता है इसमें भी iv NS बेस्ट इलाज है तथा बाहर से कूलिंग करना चाहिए (ठंडे पानी की sponging , पंखे से हवा करना आदि ) तीसरी समस्या है हीट exhaustion यह सबसे कॉमन हाइपर थर्मिक सिचुएशन होती है , यह गर्मी के मौसम में देर तक धूप में रहने से या खुली धूप में काम करने से होती है इसमे बॉडी का कोर टेम्परेचर बढ़ जाता है 37 डिग्री सेंटिग्रेड से 40 डिग्री सेण्ट तक । इसमे सर दर्द ,उल्टी ,तेज गति से धड़कन ,कमजोरी ,बेचैनी आदि होती है bp भी कम हो जाती , इसका इलाज बाहर से कूलिंग ,ors , iv N S , आइस पैक से सेकना ,cold sponging करना होता है शुरुके 24 घण्टे में 5 लीटर N S तक कि जरूरत पड़ सकती है। चौथी और सबसे खतरनाक समस्या को हीट स्ट्रोक बोला जाता है । इसमे कोर बॉडी टेम्प 40 डिग्री सेंटी ग्रेड से ज्यादा हो जाता है । bp कम हो जाती है बेचैनी ,उल्टी सर दर्द होता शरीर बहुत गर्म रहती लेकिन स्वेटिंग नही होती ,पोटैशियम बढ़ जाता है ब्लड में,शरीर मे कम्पन , चमकी आदि हो सकता है , तुरन्त इलाज नही करने पर जान पर खतरा हो जाता है।इलाज में iv NS ,ors , आइस पैक से सिकाई ,बाहर से कूलिंग तथा वाइटल पैरामीटर के आधार पर इलाज करना होता है। कुल मिलाकर गर्मी में वहुत व्यायाम न करें , पानी ors लेते रहें तेज धूप में खुले न जाएं । अत्यधिक पसीना शरीर से न निकले इसका ध्यान रखें।।डॉ राहुल कुमार फिजिशियन एवम डॉय बिटोलॉजिस्ट बेगूसराय।निदेशक जय मंगला क्लिनिक वेल्लोर डॉय बिटीज रिसर्च सेंटर ।.