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फर्रुखाबाद: इबादत की रात 'शब-ए-बारात', इस रात में दुआ कबूल होती है दिन का 22से रोजा रखना फजीलत है मुफ्ती जफर कासमी।

संवाददाता: रेहान ख़ान 9452755077



 फर्रुखाबाद उत्तर प्रदेश

इबादत की रात 'शब-ए-बारात', इस रात में दुआ कबूल होती है दिन का 22से रोजा रखना फजीलत है मुफ्ती जफर कासमी 

फर्रुखाबाद में 13 फरवरी को शब-ए-बारात का त्योहार मनाया जाएगा. मुफ्ती जफर कासमी ने बताया कि इबादत की रात शब ए बारात इस रात में दुआ कबूल होती है दिन का रोजा रखना 22से फजीलत होती है मुस्लिम धर्म के लोग मस्जिदों में अल्लाह की इबादत करेंगे. लोक जो कब स्थान में जाकर मरहूम के लिए दुआएं मगफिरत करने के लिए दुआ करते हैं और जाना जरुरी भी नहीं है मुफ्ती जफर कासमी ने कहा कि मैं नौजवान बच्चों से कहना चाहते हैं इस रात में गाड़ी मोटरसाइकिल बहुत तेज से चलाते हैं यह बिल्कुल गलत है अल्लाह ताला की इबादत में नमाज रोजा और कुरान की तिलावत में मस्कुर रहना चाहिए और रो रो के अपने लिए गुनाहों और माफी मांगनी चाहिए इस तरह का करतब बाजी करने वाली कोई जरूरत नहीं है

 शब-ए-बारात का त्योहार इस्लाम के अहम त्योहारों में से एक हैं. इस दिन लोग रात में जागकर अल्लाह की इबादत करते हैं. इस बार शब ए बारात 13 फरवरी को पड़ रही है. बता दें कि शब ए बारात इस्लामिक माह शाबान जो की इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार आठवां 14 शाबान का दिन गुजार करे आने वाली 15मि रात को शब ए बारात होती है 

 शब ए बारात कहलाती है. जिसका मतलब होता है जहन्नुम से आजाद करना. इस दिन लोगों में उत्साह देखने को मिलता है. घरों में पकवान बनते हैं और पूरी रात अल्लाह की इबादत की जाती है.उत्तर प्रदेश में रात भर होगी इबादत

फर्रुखाबाद सहित पूरे उत्तर प्रदेश में शब ए बारात को लेकर लोगों में उत्साह है. शब ए बारात पर लोग रात में मस्जिदों में जाकर अल्लाह की इबादत करते हैं. साथ ही अपने पूर्वजों की मगफिरत की दुआ करते हैं. शब ए बारात 13 को सूरज ढलने से शुरु होगी और 14 फरवरी को सुबह फजिर की नमाज तक चलेगी. शब ए बारात में रात भर इबादत होगी. लोग कब्रिस्तानों में जाकर फातिहा पढ़ेंगे और अपने पूर्वजों की मगफिरत की दुआ करेंगे. इस दिन जरूरतमंद लोगों को दान भी किया जाएगा.


शब ए बारात पर रोजे की फजिलियत

जिस रात का मुस्लिम धर्म के लोगों को बेसब्री से इंतजार रहता है वह रात आने वाली है. मुस्लिम बंदे मस्जिदों और अपने घरों में शब ए बारात पर रतजगा कर इबादत करेंगे. इसके साथ , कब्रिस्तानों में जाकर अपने पूर्वजों एवं परिजनों की कब्रों पर दरूद फातिहा पढ़ेंगे. वहीं घरों में महिलाऐं और बच्चे भी नमाजें और कुरआन पढ़ा जाएगा. यह सिलसिला शुक्रवार अलसुबह तक जारी रहेगा. शब ए बारात पर रोजा भी रखा जाता है. हालांकि यह नफली रोजा है. इसे रखने से सवाब मिलता है. लेकिन न रखने पर कोई गुनाह भी नहीं पड़ता.क्यों मनाते हैं शब ए बारात

शब ए बारात का मतलब है आजाद करना. इस रात का इंतेजार हर मुस्लिम बंदे को रहता है. यह रात सूरज के डूबने के बाद से शुरु होती है और सुबह फजिर के समय खत्म होती है. इस रात अल्लाह से जो भी दुआ मांगो वह कबूल होती है. लोग खुदा से अपने गुनाहों की तौबा करते हैं. लेकिन मगफिरत (माफी) तब तक नहीं मिलती जब तक दिल से तौबा न की जाए. कहा जाता है कि इस रात अल्लाह इंसान के पिछले आमालों (काम) को ध्यान में रखकर उसके आने वाले सालों की किस्मत लिखता है. कौन कब पैदा होगा और कौन कब मरेगा इसका रिकॉर्ड भी इस दिन लिखा जाता है.

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फिजूल खर्च से बचना चाहिए

शब ए बारात की नमाज रोजाना होने वाली नमाजों से अलग होती है. इस रात में अपने घरवालों के साथ साथ पूरे देश की हिफाजत उन्नति शान्ति अमन व अमान के लिए दुआ की जाती है.

. इस दिन गरीबों और जरूरतमंद लोगों को दान भी किया जाता है. इस दिन आतिशबाजी और फिजूल खर्च करने से बचना चाहिए.

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