*मनरेगा का नाम मिटाकर ‘बीवी राम जी’ थोपने की तैयारी, भाजपा की
विनोद कुमार पांडे ब्यूरो चीफ
भाजपा पर कांग्रेस का हमला –
“शहीदों और महापुरुषों का इतिहास काग़ज़ों से हटाया जा रहा है
जनता के दिलों से नही
नई दिल्ली —
केंद्र की भाजपा सरकार द्वारा महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) को खत्म कर उसकी जगह ‘विकसित भारत गारंटी फॉर रोजगार एंड आजीविका मिशन (ग्रामीण)’ जिसे ‘बीवी राम जी’ नाम से जोड़ा जा रहा है, लाने की तैयारी ने देश की राजनीति में भूचाल ला दिया है। कांग्रेस ने इस कदम को सीधे तौर पर आज़ादी के आंदोलन, शहीदों और देश के महापुरुषों के इतिहास को मिटाने की साजिश करार दिया है।
कांग्रेस नेताओं का कहना है कि मनरेगा केवल एक योजना नहीं बल्कि ग्रामीण भारत की ज़िंदगी की गारंटी रही है, खासकर उन महिलाओं के लिए जो सिर पर मिट्टी-पत्थर ढोकर परिवार का पेट पालती हैं। अब उसी अधिकार आधारित योजना का नाम बदलकर सरकार यह दिखाना चाहती है कि मानो नया भारत खड़ा हो गया हो, जबकि ज़मीनी सच्चाई यह है कि देश बेरोजगारी, महंगाई और कर्ज़ के बोझ से दबा हुआ है।
कांग्रेस का आरोप है कि भाजपा सरकार के पास धरातल पर दिखाने के लिए कोई ठोस काम नहीं है, इसलिए वह जवाहरलाल नेहरू, महात्मा गांधी और इंदिरा गांधी जैसे नेताओं के नाम योजनाओं से हटाकर इतिहास बदलने की कोशिश कर रही है। जिन नेताओं और शहीदों ने देश की आज़ादी के लिए अपनी जान कुर्बान की, उनके नाम मिटाकर भाजपा यह भ्रम फैलाना चाहती है कि देश का निर्माण आज हुआ है, जबकि सच्चाई पूरा देश जानता है।कांग्रेस नेताओं ने तीखा हमला करते हुए कहा कि देश आज भारी कर्ज़ में डूब चुका है, नौकरियां खत्म हो चुकी हैं और युवाओं का भविष्य अंधकार में है। सरकार सिर्फ नाम बदलने, प्लेटफॉर्म बदलने और योजनाओं के बोर्ड बदलने में व्यस्त है। यह राजनीतिक दोगलापन है जिसे जनता समझ चुकी है।
नाम बदलने के फैसले को लेकर कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने कड़ी आपत्ति दर्ज कराई है और कई राज्यों से विरोध के स्वर उठने लगे हैं। कांग्रेस ने साफ चेतावनी दी है कि अगर सरकार ने मनरेगा को खत्म करने और नाम बदलने का फैसला वापस नहीं लिया, तो देशभर में उग्र आंदोलन किया जाएगा।
राजनीतिक जानकारों का कहना है कि सवाल 125 दिन के रोजगार का नहीं, बल्कि उस भरोसे का है जो मनरेगा ने गरीब, मजदूर और महिलाओं को दिया था। सरकार काग़ज़ों से नाम हटा सकती है, लेकिन जनता के दिलों से गांधी, नेहरू और इंदिरा के योगदान को कभी नहीं मिटा सकती।

