रेहान ख़ान रिपोर्टर फर्रुखाबाद
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फर्रुखाबाद में हाजी बिलाल की फुफी का चालीसवां हुआ, मौलाना सैंथली और कारी कादरी ने फातिहा पढ़ी, दीन की बातें बताईं
फर्रुखाबाद में समाजसेवी हाजी बिलाल अहमद की फुफी के चालीसवें की फातिहा आज नमाज़ ज़ोहर के बाद आयोजित की गई। यह कार्यक्रम रकाबगंज तिराहा स्थित मस्जिद जान अली के पास उनके निवास पर संपन्न हुआ।इस अवसर पर कारी और मौलाना सदाकत हुसैन सैंथली ने कुरान की आयतें पढ़कर मरहूमा की रूह को बख्शा। उन्होंने अल्लाह और रसूल का जिक्र करते हुए लोगों को दीन की बारीकियां समझाईं।
कारी मुख्तार आलम कादरी ने बताया कि अल्लाह रब्बुल आलमीन का इरशाद है कि हर जानदार चीज को मौत का मजा चखना है। यह एक ऐसी सच्चाई है जिससे कोई मुंह नहीं मोड़ सकता। दुनिया में जो भी आया है, उसे एक दिन जाना है, चाहे वह कितना भी बड़ा या प्रभावशाली व्यक्ति क्यों न हो।
उन्होंने आगे कहा कि इंसान दुनिया से चला जाता है, लेकिन वह शख्स बेहतरीन है जो अपने पीछे कुछ ऐसी चीजें छोड़ जाता है, जिनका सवाब उसे मरने के बाद भी मिलता रहता है। नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम फरमाते हैं कि नेक औलाद को जन्म देना सबसे बेहतरीन तोहफा है।कारी मुख्तार आलम कादरी ने उन कामों का भी जिक्र किया जिनसे मरने के बाद भी सवाब मिलता रहता है। इनमें ट्यूबवेल लगवाना, कुआं खुदवाना, हैंडपंप लगवाना, मदरसे या मस्जिद का निर्माण करवाना और कुरान का हदिया करना शामिल है। उन्होंने बताया कि ये वे चीजें हैं जो करने के बाद भी कब्र में अल्लाह ताला रब्बुल आलमीन की ओर से सवाब दिलाती रहती हैं।
इसके बाद फातिहा पढ़ी गई और मरहूमा की मगफिरत के लिए दुआ की गई। फातिहा पढ़ने वालों में कारी मुख्तार आलम कादरी, मौलाना सदाकत हुसैन सैंथली और हाफिज अली हारून अली प्रमुख थे। इस मौके पर समाजसेवी सभासद फुरकान अहमद खान, जाकिर खान साहब, हाजी बिलाल अहमद, हाजी दिलशाद अहमद, हाजी निहाल अहमद, मेराज खान और हाफिज सैय्यद हारून अली सहित कई अन्य लोग मौजूद।

