भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ी नौनिहालों की छत: मरोड़ा पंचायत में आंगनबाड़ी भवन का पैसा डकार गए पूर्व सरपंच-सचिव।
पत्रकार स्वतंत्र नामदेव
कांकेर जिला ब्यूरो
शासन द्वारा बच्चों को बेहतर शिक्षा, पोषण और सुरक्षित परिवेश देने के लिए लाखों रुपये खर्च कर आंगनबाड़ी भवनों की स्वीकृति दी जाती है। लेकिन पखांजूर क्षेत्र के ग्राम पंचायत मरोड़ा से भ्रष्टाचार का एक ऐसा मामला सामने आया है, जहाँ पूर्व सरपंच और सचिव की मिलीभगत से तीन आंगनबाड़ी भवनों की पहली किस्त की राशि तो निकाल ली गई, लेकिन धरातल पर ईंट तक नहीं रखी गई।*नए सरपंच ने खोला मोर्चा, शासन को लिखा पत्र*
वर्तमान सरपंच गायत्री मांडवी ने पदभार ग्रहण करने के बाद जब अधूरे कार्यों की समीक्षा की, तो यह चौंकाने वाला खुलासा हुआ। सरपंच का कहना है कि ग्रामीणों की मांग पर जब उन्होंने जनपद पंचायत से जानकारी ली, तो पता चला कि पंचायत में तीन आंगनबाड़ी भवनों के निर्माण के लिए पहली किस्त जारी हो चुकी है और पूर्व सरपंच-सचिव द्वारा यह राशि आहरित (निकाली) भी जा चुकी है।
श्रीमती मांडवी ने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि:
"मैने जनपद पंचायत को लिखित में आवेदन देकर इस कार्य को निरस्त करने की मांग की है। पूर्व सरपंच और सचिव न तो पैसा वापस कर रहे हैं और न ही भवन बनवा रहे हैं। इस वित्तीय गड़बड़ी की जिम्मेदारी मेरी नहीं है, बल्कि इसकी पूरी जवाबदेही पूर्व सरपंच, सचिव और संबंधित विभाग की होगी।"
*किराए के भवन में भविष्य, बारिश में आफत*
भ्रष्टाचार का सबसे बुरा असर बच्चों पर पड़ रहा है। मरोड़ा पंचायत के आश्रित ग्राम फुरफुंडी में आंगनबाड़ी का आदेश करीब 4 साल पहले आया था। पैसा निकालने के बावजूद भवन नहीं बना, जिसके कारण आज भी आंगनबाड़ी किराए के मकान में संचालित हो रही है। शासन को हर महीने इसका किराया अलग से चुकाना पड़ रहा है। बारिश के दिनों में बच्चों को जर्जर और अस्थायी ठिकानों में बैठने को मजबूर होना पड़ता है।
*प्रशासन की चुप्पी पर सवाल*
हैरानी की बात यह है कि पूर्व सरपंच का 5 साल का कार्यकाल खत्म हो गया और नए सरपंच को आए भी एक साल बीत चुका है, लेकिन अब तक दोषियों पर कोई कड़ी कार्रवाई नहीं हुई है। सवाल यह उठता है कि:
आखिर प्रशासन ऐसे लापरवाह और भ्रष्ट जनप्रतिनिधियों व सचिवों पर कार्रवाई क्यों नहीं कर रहा?
बच्चों के हक का पैसा डकारने वालों से वसूली कब होगी?
क्या नन्हे बच्चों को कभी अपना पक्का और सुरक्षित भवन मिल पाएगा?
क्षेत्र की जनता अब जिला प्रशासन और संबंधित विभाग से मांग कर रही है कि इस मामले की उच्च स्तरीय जांच हो और दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जाए ताकि सरकारी धन की रिकवरी कर भवनों का निर्माण पूर्ण कराया जा सके।
इस संबंध में पीओ जनपद पंचायत कोयलीबेड़ा बालकिशन बंजारे से बात करने पर उन्होंने बताया है कि सरपंच के द्वारा आंगनबाड़ीओ को निरस्त करने हेतु आवेदन दिया गया है जिसकी सूचना जिला मुख्यालय में दी गई है निरस्त की प्रक्रिया जिला पंचायत से होनी है।
