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मनेंद्रगढ़–भरतपुर–चिरमिरी: खनिज विभाग की मौन स्वीकृति और प्रशासनिक निष्क्रियता ने इस पूरे क्षेत्र को भू-माफियाओं का अड्डा बना दिया



 विनोद कुमार पांडे ब्यूरो चीफ 

एमसीबी जिला (मनेंद्रगढ़–भरतपुर–चिरमिरी) में इन दिनों अवैध खनिज उत्खनन, मिट्टी कटिंग, रेत चोरी और ईंट भट्टों के अवैध संचालन का बड़ा खेल खुलेआम चल रहा है।

 

 एमसीबी जिला.खनिज विभाग की मौन स्वीकृति और प्रशासनिक निष्क्रियता ने इस पूरे क्षेत्र को भू-माफियाओं का अड्डा बना दिया है।


चिरमिरी से लेकर देवाडाण हंसदो नदी पुलिया तक — हर जगह दिन-रात जेसीबी मशीनों से मिट्टी की कटाई और रेत का अवैध खनन किया जा रहा है।

बारतुंगा क्षेत्र में भी खुलेआम मिट्टी कटिंग जारी है।

बड़ी बाजार ओ.सी.एम. खदान के आसपास तो भू-माफिया ने सरकारी और निजी जमीन तक को नहीं छोड़ा है।

बिना रॉयल्टी और बिना अनुमति के खनिज संपदा की लूट लगातार जारी है।


जानकारी के अनुसार, इन स्थानों पर खनिज विभाग के अधिकारी न तो मौके पर पहुंचते हैं और न ही मीडिया के सवालों का जवाब देते हैं।

पत्रकारों के फोन तक नहीं उठाए जाते, जबकि यह विभाग की जवाबदेही का विषय है।

यहां तक कि कई आरटीआई में यह खुलासा हुआ है कि चिरमिरी शहर में  सारे ईंट भट्ठे बिना किसी वैध लीज या रॉयल्टी के अवैध रूप से संचालित हो रहे हैं। फिर भी मगर आज तक खनिज विभाग या और विभागीय जांच अधिकारी के द्वारा आज तक चिरमिरी में बड़ी कार्यवाही निरक्षण जांच जुर्माना किसी प्रकार की कोई कार्यवाही नहीं की गई इससे यह पता चलता है कि सब कुछ साट गांठ और सेटिंग से चल रहा है चिरमिरी शहर में अनगिनत मात्रा मे


 ईंट भट्ठे अलग-अलग इलाकों में गैरकानूनी रूप से चल रहे हैं।

भट्टा संचालक लगातार नई जगहों पर मिट्टी कटिंग कर मिट्टी के ढेर लगा रहे हैं, और रात-दिन कारोबार जारी है।

इतना सब कुछ एसडीएम कार्यालय और तहसील कार्यालय से कुछ ही दूरी पर हो रहा है, फिर भी किसी प्रकार की रोक-टोक या ठोस कार्यवाही नहीं हो रही है।


ना खनिज विभाग सक्रिय है, ना तहसील प्रशासन, ना वन विभाग और ना ही एसईसीएल  साबेएरिया की रोक टोक.लागी है। और सबसे बड़ी बात है कि इन ईट के भटटो में भारी बड़ी मात्रा में कोयला खपाने के लिए आता कहां से हैं महज कुछ ही दूरों में.ओसीएम कोयले की खदान है और ईट भट्ठा संचालक कारोबारी का  खेल कोयले की माइंस के अगल-बगल चारों साइड अवैध रूप से संचालित चल रहे हैं जो यह चर्चा का विषय बना हुआ है की माइंस अधिकारियों के और गार्ड के सेटिंग से कोयल भट्टों पर पहुंचाया जाता है रातों में मिली जुली भगत से चल रहे हैं या संचालित भटटे

इससे न केवल राज्य सरकार को करोड़ों का राजस्व नुकसान हो रहा है, बल्कि वन और पर्यावरण पर भी गहरा असर पड़ रहा है।

 ईट के भट्टों से निकलने वाले दुआ और कोयला माइंस से निकलने वाले जहरीली गैस से मानव स्वास्थ्य पर भी गंभीर जानलेवा स्वस्थ हानिकारक प्रभाव पड़ रहा है जो धीरे-धीरे चिरमिरी के आम नागरिक को अपनी चपेट में ले रहा है और स्वास्थ्य पर पड़ता बुरा असर इनका साथ देखा जा रहा है


स्थानीय जनता में चर्चा का विषय बना हुआ है है कि आखिर खनिज विभाग मौन क्यों है, जबकि पूरा जिला खनिज चोरी के कब्जा में झगड़ा हुआ है और भूमाफियाओं का खनिज खनन अवैध रूप से लगातार वर्षों से चालू है 


> “आश्चर्य की बात यह है कि एसडीएम और तहसील कार्यालय से कुछ ही दूरी पर

200 से ज्यादा ईंट भट्टे बिना अनुमति चल रहे हैं।

न रॉयल्टी, न अनुमति — बस विभागीय मौन और भू-माफियाओं की मौज।

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