चन्दगीराम मिश्रा
हरदोई यूपी
भगवंत नगर सीता स्वयंवर रामलीला में पहुंचे समाजसेवी श्यामू द्विवेदी।
मल्लावां हरदोई 140 वें श्री रामलीला महोत्सव भगवंतनगर के पंचम दिवस की लीला का शुभारंभ अनुराग मिश्र अध्यक्ष नगर पंचायत माधोगंज नवल माहेश्वरी प्रदेश मंत्री उद्योग व्यापार प्रतिनिधि मंडल, श्यामू द्विवेदी (निदेशक एस डी ग्रुप)एवं धीरेन्द्र शुक्ला जी ने संयुक्त रूप से पूजन अर्चन कर किया साथ में जीतू गुप्ता जी गुड्डू अवस्थी राहुल शुक्ला उपस्थित रहे।तत्पश्चात समिति द्वारा अतिथियों का माल्यार्पण कर अंग वस्त्र एवं स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया गया।
प्रभु श्री राम की लीला में ,, मुनि विश्वामित्र ने श्री राम एवं लक्ष्मण को संध्योपासना करने के लिए आदेश एवं उपदेश देते हैं,संध्या येन विज्ञाता,संध्या येना नुपासिता,जीव माना भवेत् क्षुद्र, मृत्यों स्वानभिजायते,।।जो प्राणी त्रिकाल संध्या नहीं करता वह शूद्र हो जाता है और मरने के बाद स्वान की योनि प्राप्त करता है।महाराज जनक जी ने पुरोहित शतानंद जी से प्रार्थना करी कि समस्त मुनि समुदाय एवं दोनों राजकुमारों सहित मुनि विश्वामित्र रंग भूमि में पधारें। प्रभु श्री राम विश्वामित्र जी का अनुगमन करते हुए जनकराज की विशाल सभा में पधारे,,जनक ने भव्य ,दिव्य और नव्य मंच पर श्री राम लक्ष्मण और मुनि विश्वामित्र को आशीन कराते हैं ।देश देशांतर के राजा उपस्थित हैं,पाताल निवासी बाणासुर ,एवं लंका के राजा रावण का वाद प्रतिवाद होता है और दोनों पराक्रमी योद्धा अपने अपने गृह को पयान करते हैं।महाराज जनक की घोषणा बंदीजन सुनाते हैं कि जो वीर योद्धा धनुष को तोड़ेगा ,उसी के साथ जानकी का विवाह होगा।यह सुन अनेक राजाओं ने अपना जोर आजमाया लेकिन धनुष को उठाना तो दूर हिला भी नहीं सके।यह देख जनक अत्यंत निराश होकर समस्त राजाओं को धिक्कारने लगे कि इस पृथ्वी में कोई वीर ही नहीं।
पृथ्वी वीरों से खाली है।वीरों का अपमान लक्ष्मण सह न सके और अत्यन्त कुपित हो जनक को अपने प्रभाव और प्रभु श्री राम के प्रताप से अवगत कराया ,,लक्ष्मण की क्रोध भरी वाणी से पृथ्वी में कम्पन होने लगा। प्रभु श्री राम ने लक्ष्मण को शांत किया। विश्वामित्र जी ने शुभ समय जानकर श्री राम को आदेशित की राम धनुष का खंडन करो और जनक जी के संताप को दूर करो।श्री राम उदित मंच से उतरकर सभी गुरुजनों को प्रणाम किया और मस्त गजराज की सी चाल चल कर धनुष के समीप पहुंच दो खंडों में विभाजित किया और सब को आनंदित किया।अजगव खंडन के पश्चात परशुराम जी जनक पुरी पहुंचते हैं और अजगव को खंडित देख कर क्रोधित हो जाते हैं और अजगव के खंडन करने वाले को चेतावनी देते हैं और स्वयंवर स्थल पर सभी राजाओं को चेतावनी देते है लक्ष्मण जी से यह देखा न गया और परशुराम जी से संवाद करते हैं संवाद सुनकर जन-मानस आनन्दित हुआ।
इस अवसर पर समिति के विशेष सहयोगी अभय शंकर शुक्ला महामंत्री भास्कर मिश्र मंत्री रामपाल दिवाकर सुभाष चन्द्र अनुज कुमार अभिषेक दीक्षित ऋषभ गुप्ता मधुरेश तिवारी उदय नारायण वर्मा राजेश मिश्रा तेज राठौर सहित समिति के समस्त पदाधिकारी एवं सहयोगी गण उपस्थित रहे।

