सरपंच की उदासीनता से त्रस्त शांतिनगर के निवासियों ने खुद उठाया सड़क मरम्मत का जिम्मा, चंदा जुटाकर किया मुरूमीकरण।
पत्रकार स्वतंत्र नामदेव
कांकेर जिला ब्यूरो
सरपंच ग्राम पंचायत बांदे कालोनी की कार्यप्रणाली से निराश होकर शांतिनगर निवासियों ने एक मिसाल कायम की है। जर्जर हो चुकी मुख्य सड़क की मरम्मत के लिए सरकारी फंड का इंतज़ार करते-करते थक चुके ग्रामीणों ने अब स्वयं ही यह ज़िम्मेदारी उठाई है। निवासियों ने आपस में चंदा इकट्ठा कर सड़क पर मुरूमीकरण का कार्य शुरू कर दिया है।
ग्रामीणों का आरोप है कि सड़क की खराब स्थिति के बारे में जब भी सरपंच से शिकायत की जाती है, तो सरपंच प्रतिनिधि जयनंद पवार का एक ही रटा-रटाया जवाब होता है, "हमारे पास फंड नहीं है।"
शांति नगर के निवासी दुलाल दत्ता और समीर मिस्त्री ने बताया कि एक सौ परिवारों के लिए यह सड़क अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस मुख्य मार्ग में स्कूल, अंग्रेजी मदिरा दुकान (शराब की दुकान), जागृत काली मंदिर और एक शिव मंदिर को जोड़ता है। प्रतिदिन सैकड़ों लोगों का आवागमन इसी रास्ते से होता है, जिसमें बच्चों का स्कूल जाना भी शामिल है। सड़क की खस्ता हालत के कारण लोगों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था।
सरपंच की लगातार उपेक्षा से परेशान होकर, ग्रामीणों ने अंततः सरकारी मदद का इंतजार छोड़ दिया और एकजुट होकर खुद ही समाधान निकालने का फैसला किया। निवासियों ने आपस में पैसे जुटाए और सड़क पर मुरूम डालकर उसे आवागमन के योग्य बनाने का काम शुरू कर दिया है।
ग्रामीणों के इस कदम ने न केवल उनकी समस्या का अस्थायी समाधान किया है, बल्कि स्थानीय प्रशासन और पंचायत की कार्यप्रणाली पर भी गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। निवासियों की मांग है कि सरपंच को तत्काल इस महत्वपूर्ण सड़क की स्थाई मरम्मत के लिए फंड की व्यवस्था करनी चाहिए। यह घटना दर्शाती है कि जब जनप्रतिनिधि अपने कर्तव्य से विमुख होते हैं, तो जनता को अपनी मूलभूत सुविधाओं के लिए भी खुद ही संघर्ष करना पड़ता है।
सड़क मरम्मत कार्य में दुलाल दत्ता, समीर मिस्त्री, पिंटू सिंह, ठाकुर मजूमदार सहित शांतिनगर निवासी समस्त ग्रामीणों का सहयोग रहा।